नई दिल्ली
14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान अब 23 अगस्त को अपनी निर्धारित चंद्रमा लैंडिंग के लिए तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 मिशन के साथ एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करना है। इस मिशन के सफल होने के बाद भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ इस खास उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 को चंद्रमा के लिए तीसरे अभियान के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने के उसके दूसरे प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है है। 2019 में असफल चंद्रयान-2 मिशन के बाद, यह नया मिशन अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। मौजूदा वक्त में, चंद्रयान ने चंद्रमा की ओर लगभग दो-तिहाई यात्रा पूरी कर ली। अगले दो दिन इस मिशन के लिए जरूरी बताए जा रहे हैं।
कहां तक पहुंचा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की निकटवर्ती ऑर्बिट में पहुंच गया है। 16 अगस्त सुबह करीब साढ़े आठ बजे चंद्रयान को 100 किमी की ऑर्बिट तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। 17 अगस्त के दिन इसरो चंद्रयान-3 को प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा। चंद्रयान-3 मुख्य रूप से तीन प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है। एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, रोवर के जरिए चंद्रमा के डाटा को इकट्ठा करना और वैज्ञानिक प्रयोग करना। चंद्रयान-3 के लिए स्वीकृत बजट 250 करोड़ रुपये है, जिसमें लॉन्च वाहन से संबंधित खर्च शामिल नहीं हैं।
चंद्रयान-3 के इस चरण की शुरुआत जनवरी 2020 में शुरू हुई, जिसका लक्ष्य 2021 में लॉन्च करना था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण मिशन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद इसरो ने अपने अगले प्रयास में चंद्रयान-3 को भेजा है।