लद्दाख
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की 19वें राउंड की बैठक हुई है. ये बैठक 13 और 14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो में आयोजित की गई. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में LAC पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक और लंबी चर्चा हुई. दोनों देशों ने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया और शांति बनाए रखने पर जोर दिया है.
बता दें कि दोनों देशों के बीच साढ़े तीन साल से बॉर्डर पर गतिरोध देखने को मिल रहा है. इसी सैन्य गतिरोध का हल निकालने के लिए बैठकें आयोजित की जा रही हैं. वार्ता के समापन के एक दिन बाद मंगलवार को संयुक्त बयान जारी किया गया है. दोनों पक्षों ने शेष मुद्दों को शीघ्र हल करने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए बातचीत को बनाए रखने पर सहमति जताई है. दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए हैं.
‘भारत ने चीन पर सैनिकों की वापसी पर दबाव डाला’
बैठक में भारत ने देपसांग और डेमचोक समेत अन्य टकराव वाले पॉइंट से सैनिकों की जल्द वापसी को लेकर चीन पर दबाव डाला. बैठक में क्षेत्र में समग्र तनाव को कम करने पर भी चर्चा हुई. जानकारों ने बताया कि यह पहली बार है कि सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिनों तक चली और दो दिनों में कुल मिलाकर करीब 17 घंटे तक चर्चा हुई.
‘ब्रिक्स समिट में मोदी और जिनिपिंग लेंगे हिस्सा’
बताते चलें कि यह सैन्य वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने से ठीक एक हफ्ते पहले हुई. दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाली ब्रिक्स समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे. वहां दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष की मुलाकात भी होगी.
‘बातचीत बनाए रखने पर सहमति’
सैन्य वार्ता के बाद दिल्ली और बीजिंग ने एक बयान में कहा कि शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत और चर्चा की गति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. अंतरिम रूप से दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. बैठक के बीच भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय सेना और पीएलए सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान किया गया. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर दोनों सेनाओं के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान पिछले कई वर्षों से एक परंपरा रही है.
‘देपसांग और डेमचोक का मुद्दा सुलझाने पर जोर’
समझा जाता है कि बातचीत में भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया. अप्रैल में 18वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा था कि दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए हैं. शेष मुद्दे जल्द से जल्द हल किए जाएंगे. सरकार पूर्वी लद्दाख को पश्चिमी सेक्टर कहती है.
‘भारत और चीनी सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति’
भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर टकराव की स्थिति है. दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-मुख्यालय 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने किया. जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया.
23 अप्रैल को हुई सैन्य वार्ता के 18वें दौर में भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की वकालत की थी. 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जोहान्सबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के मौके पर शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है.
एनएसए ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके. भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
2020 में भारत-चीनी सैनिकों के बीच हुआ था टकराव
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गरमाहट आ गई थी. सैन्य और राजनयिक वार्ता के चलते दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की.