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मुंगेली/ मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने कम समय में ही अपनी सक्रियता और कार्यशैली से जिलेवासियों का मन मोह लिया हैं। जनदर्शन में भी उनके द्वारा फरियादी से मित्रता व अपनत्व जैसा व्यवहार सभी को भाता हैं। कलेक्टर राहुल देव की सक्रियता और लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं हैं, ऐसे में कलेक्टर कार्यालय के वे कौन से अधिकारी और कर्मचारी हैं जिन्हें कलेक्टर राहुल देव की सक्रियता और लोकप्रियता रास नहीं आ रही हैं ? और वे कलेक्टर राहुल देव की लोकप्रियता को दीमक की तरह चट कर जाने का प्रयास कर रहे हैं ? क्योंकि अगर कलेक्टर कार्यालय में किसी भी नियम-अधिनियम का पालन नहीं हुआ तो जिले के प्रशासनिक मुखिया होने के नाते कलेक्टर के ऊपर कई सवाल उठना स्वाभाविक हैं, भले ही वह विषय कलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों से ही जुड़ा हो। हम बात कर रहे हैं कलेक्टर कार्यालय मुंगेली में लगाये गए सूचना के अधिकार आवेदन की।
सूचना के अधिकार की धज्जियाँ किस प्रकार उड़ाई जा रही हैं यह हमें मुंगेली कलेक्टर कार्यालय में देखने को मिलता हैं। सूचना के अधिकार के तहत कलेक्टर कार्यालय में दिनांक 04.07.22 को आवेदन किया गया था, परंतु सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन के तीस दिनों के भीतर कलेक्टर कार्यालय के जनसूचना अधिकारी के द्वारा आवेदक को जानकारी नहीं दी गई, कारण पता करने पर मालूम हुआ कि आवेदन को संबंधित अधिकारी, शाखा में प्रेषित कर दिया गया था, वहीं से जानकारी अप्राप्त हैं जिससे जानकारी नहीं दिया गया। जानकारी न मिलने के बाद आवेदक द्वारा मुंगेली कलेक्टर कार्यालय में प्रथम अपीलीय अधिकारी/ADM के समक्ष दिनांक 02.09.22 को प्रथम अपील किया गया। प्रथम अपीलीय अधिकारी/ADM द्वारा दिनांक 28 और 29 सितंबर को प्रथम अपील पर सुनवाई रखी गई थी, दिनांक 28 सितंबर को प्रथम अपीलीय अधिकारी के अवकाश पे रहने पर सभी आवेदनों की सुनवाई 29 सितंबर को हुई, जिसमें प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा जनसूचना अधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों को 7 दिवस के भीतर समस्त आवेदनों की जानकारी आवेदक को देने निर्देश दिया गया, प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के 2 माह बाद भी सम्बंधित अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा आज दिनांक तक आवेदक को कोई जानकारी प्रदान नहीं की गई, आवेदक द्वारा हमेशा कार्यालय में संबंधित कर्मचारियों से भी जानकारी देने कहा गया परंतु सभी के द्वारा जानकारी जल्द ही देने का आश्वासन मिला। परंतु आज दिनांक 01 दिसंबर तक जानकारी नहीं दी गई हैं। हालांकि आवेदक द्वारा अब शिकायत के साथ द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में करने की तैयारी हैं। सामान्यतः किसी विभाग में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी जाती हैं तो उनके द्वारा जानकारी भ्रष्टाचार के उजागर होने के भय के चलते कई बार जानकारी नहीं दी जाती, साथ ही कई कारण भी होते हैं, परंतु जिले के सबसे बड़े कार्यालय कलेक्टर कार्यालय के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा ही अगर किसी नियमों-अधिनियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाए तो इसे क्या कहेंगे ? क्या कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों को किसी बात का डर हैं ? या जानकारी देने से कोई मना कर रहा हैं ? या जानकारी देने से किसी मामले का खुलासा होने की संभावना हैं ? यह सभी बातें विचारणीय हैं, आपको बता दे कि आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण और जनहित से जुड़ी हुई हैं। कलेक्टर कार्यालय में बैठ ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाले कुछ तथाकथित अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा की जा रही मनमानी और नियमों की अनदेखी कई संदेहों को जन्म दे रही हैं।