नई दिल्ली । एक दिसंबर को भारत औपचारिक रुप से जी-20 का अध्यक्ष बन जाएगा। इस मौके पर देशभर में सौ स्मारकों पर जी-20 के लोगो के साथ लाइटिंग की जाएगी। इसके बाद जी-20 की बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा। अगले साल 9-10 सितंबर को जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन होगा। इससे पूर्व देश के 50 शहरों में दो सौ से अधिक बैठकें आयोजित होंगी। पहली जी-20 शेरपा बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर में होगी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत की अध्यक्षता में जी-20 के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। इस मौके पर भारत विभिन्न क्षेत्रों में हुई अपनी प्रगति को प्रदर्शित करेगा। साथ ही पर्यटन, संस्कृति और त्योहारों को भी जी-20 आयोजनों से जोड़ा जाएगा। जी-20 के भव्य आयोजन के जरिये ब्रांड इंडिया को प्रमोट किया जाएगा। जिस भी शहर में बैठकें होंगी वहां के पर्यटन स्थलों को भी दिखाया जाएगा। साथ ही वहां की कला संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा। वहां के उत्पादों के तोहफे दिए जाएंगे।
इतने बड़े पैमाने पर नहीं हुई बैठक
मंत्रालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर लद्दाख से लेकर कोहिमा तक 50 से अधिक शहरों में जी-20 से जुड़ी बैठकें आयोजित की जाएंगी। इनमें मंत्री स्तरीय, वर्किंग ग्रुप और गैर सरकारी बैठकें शामिल भी शामिल हैं। अब तक इतने बड़े पैमाने पर जी-20 की बैठकें नहीं हुई। चीन में 14 और इंडोनेशिया में 25 शहरों में जी-20 की बैठकें हुई थीं। बैठकें सभी राज्यों में होंगी, जिनमें भाजपा शासित और विपक्ष शासित राज्य शामिल है। सभी राज्यों की तरफ से सहयोग मिल रहा है और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक भी करने वाले हैं। बैठकों के दौरान 75 विश्वविद्यालयों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इन मुद्दों पर चर्चा
बैठकों में आर्थिक मामलों, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्री मुद्दों, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी।
ये देश भी आमंत्रित
बैठक में जी-20 देशों के अलावा विशेष आमंत्रितों में बांग्लादेश, मारीशस, ओमान, यूएई, नाइजीरिया तथा मिस्र को आमंत्रित किया गया है। बैठक के लिए जी-20 के सदस्यों को भारत की तरफ से औपचारिक निमंत्रण भेजने की प्रक्रिया कुछ समय के बाद की जाएगी। जबकि विशेष आमंत्रित देशों को इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’
मौजूदा वैश्विक भू राजनीतिक घटनाक्रम में पश्चिमी देशों और रूस को एक मंच पर लाने की चुनौती के बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा, बैठक की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ है। भारत वसुधैव कुटुम्बकम की भावना में विश्वास रखता है।