कोरबा। एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल गुणवत्तायुक्त बिजली बनाने के लिए एनटीपीसी प्रतिबद्ध है। प्रदूषण पर अंकुश लगाने संयंत्र में लगभग 1170 करोड़ की लागत से फ्यूल गैस डिसल्फराइजेशन यानी एफजीडी लगाया जाएगा। आगामी वित्तीय वर्ष में राख का शत-प्रतिशत यूटिला इजेशन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए मानिकपुर ओपन कास्ट खदान के बंद एरिया में राख का भराव किया जाएगा। रायपुर के आसपास स्थित सीमेंट फैक्ट्री तक राख रेलवे के माध्यम से पहुंचाई जाएगी।
एनटीपीसी प्रशासनिक भवन के सम्मेलन कक्ष में पावर सेक्टर परिचय कार्यक्रम में पत्रकारों से त्रिपाठी रूबरू हुए। उन्होंने बताया कि कोरबा संयंत्र का मेगा रिनोवेशन एंड मेंटेनेंस का काम चल रहा है। लगभग 60 फीसदी काम पूर्ण हो चुका है, शेष 40 फीसदी काम इस वर्ष पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही संयंत्र की पुरानी इकाइयां पुन: पूर्ण क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करने लगेगी। मिश्रा ने कहा कि संयंत्र से उत्सर्जित केमिकल युक्त पानी को बाहर डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा। इसे रिसाइकलिंग कर पुन: उपयोग में लिया जाएगा। पुराने प्लांटों से प्रदूषण कम हो, इस पर केंद्र सरकार का फोकस है। इसके लिए संयंत्र में अत्याधुनिक एफजीडी लगाया जा रहा है। इस मौके पर एनटीपीसी के महाप्रबंधक प्रचालन एवं अनुरक्षण एम रघुराम, महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं वाईएम बासवराजू, महाप्रबंधक चिकित्सा डॉ. बीके मिश्रा, अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन सिद्धार्थ शंकर दास, प्रबंधक पीआरओ आशुतोष मिश्रा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मानिकपुर के बंद क्षेत्र में होगा राख का भराव : मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में सुराकछार की तीन-चार नंबर भूमिगत खदान में राख भरी जा रही है। इसके साथ ही बिलासपुर नेशनल हाईवे, लो-लाइन एरिया में भी राख खपत की जा रही है। मानिकपुर ओपन कास्ट खदान के बंद वेस्टर्न क्वारी में राख भरने पर एसईसीएल प्रबंधन से चर्चा हुई है, इसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा। रायपुर के आसपास स्थित सीमेंट फैक्ट्री को राख देने पर भी चर्चा हो चुकी है और रेलवे के माध्यम से आपूर्ति करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए साइडिंग बनाया जाएगा।
टॉप टेन ग्रुप में कोरबा, उत्पादन घट कर 2.30 रुपये : महाप्रबंधक मिश्रा ने कहा कि कोरबा संयंत्र ने एनटीपीसी के टॉप टेन ग्रुप में शामिल है और यह स्थिति भविष्य में भी बरकरार रखने का प्रयास किया जा रहा है। इसके सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि संयंत्र का पीएलएफ वर्तमान में 86.5 फीसदी है, वहीं बिजली उत्पादन की लागत 2.30 रुपये है। अगले वित्तीय वर्ष में एक हजार मिलियन यूनिट ज्यादा बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।