गुंडरदेही। भारतीय संविधान में महिला एवं पुरूष दोनों को समानता का अधिकार दिया गया है भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए अनुच्छेद:- 1. 14 से 18 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार। 2. अनुच्छेद 15 (3) के अनुसार कोई बात राज्य की स्त्रियों एवं बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।3. अनुच्छेद 15 के अनुसार ही धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।4. अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव का दुर्व्यापार, बेगार प्रथा इसी प्रकार का अन्य बलात श्रम प्रतिषिद्ध किया जाता है। 5. अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के लड़के एवम लड़कियों को कारखाने या खान में या अन्य किसी परिसंकटमय नियोजन काम करवाना अपराध है। 6. प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का कानून:- अनुच्छेद 21 एवं 22 दैहिक स्वाधीनता का अधिकार प्रदान करते हैं एवं हर व्यक्ति को अपने शरीर एवं प्राण की सुरक्षा का हक है 7. स्वरोजगार का अधिकार:- संविधान के अनुच्छेद 16 में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है हर व्यस्क लड़की एवं महिला को कामकाज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार पुरुषों के बराबर है। 8.राजनीतिक अधिकार:- कोई भी महिला चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकती है तथा वोट देने के लिए पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त है। 7.संपत्ति का अधिकार:- कोई भी बेटी अपने पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार मांग सकती है तथा पिता भी अपनी इच्छा अनुसार अपनी संपत्ति अपनी पुत्री के नाम पर कर सकता है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध को रोकने के लिए उसके जन्म से वृद्धावस्था तक कानून बनाये गए है जैसे ,भ्रूण हत्या ,लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम,बाल विवाह निषेध अधिनियम ,दहेज प्रताड़ना अधिनियम,घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम,परित्यक्त महिलाओं के लिए 125 जा फो के तहत भरण पोषण का अधिकार, किसी भी महिला की शादी के 7 वर्ष के भीतर संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत होने पर कार्यपालिक मजिस्ट्रेट से जांच ,60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत अधिकार ,प्रत्येक जिले में महिला थाना ,थानो में महिला सेल की स्थापना,किसी भी स्थान/थाने में शून्य पर प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार है।