रायपुर। आज की भागदौड़ भरी दिनचर्या में समाज का नैतिक पतन मन को विचलित कर देता है। ऐसे समय पर ब्रह्माकुमारी संस्थान अपनी शिक्षाओं के द्वारा समाज को दिशा देने और लोगों को संस्कारित करने का शुभ कार्य कर रही है जो कि हम सब के लिए अनुकरणीय है। यह विचार राज्यसभा सांसद राम विचार नेताम ने आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर में आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए। विषय था -विश्व शान्ति का अग्रदूत भारत। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था विश्व शान्ति के लिए पूरे सालभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को शान्ति का सन्देश दे रही है। जिस शान्ति के लिए लोग भटक रहे हैं वह यहाँ शान्ति सरोवर में सहज ही मिल जाती है। यहाँ पर आने से ही शान्ति की अनुभूति होने लगती है।
छ.ग. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग की रजिस्ट्रार श्रीमती उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने कहा कि न सिर्फ आज बल्कि वैदिक काल से ही भारत शान्ति का अग्रदूत रहा है। जब हमारा देश आजाद हुआ तो विश्व दो गुटों में बटा हुआ था किन्तु भारत ने निर्णय किया कि वह किसी गुट के साथ न होकर गुट निरपेक्ष रहेगा। उन्होंने कहा कि मन की शान्ति के लिए हमें धर्म अथवा अध्यात्म के पथ पर आगे बढऩा होगा क्योंकि शान्तचित्त रहने से ही हम स्वयं के व्यक्तित्व का निर्माण कर सकेंगे और विश्व शान्ति के लिए अपना योगदान दे सकेंगे। उनके स्वयं के व्यक्तित्व विकास में ब्रह्माकुमारी संस्थान का बड़ा योगदान रहा है। यह संस्थान विश्व शान्ति के लिए भी सराहनीय योगदान कर रही है।
ब्रह्माकुमारी संगठन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि विश्व शान्ति का भारत हमेशा से ही पक्षधर रहा है। व्यक्ति समाज की इकाई है इसलिए उसके अन्दर शान्ति होने से विश्व में शान्ति हो सकती है। लेकिन आज वह काम क्रोध लोभ मोह और अहंकार से ग्रसित होने के कारण तनाव और अवसाद का शिकार हो रहा है। मन की शान्ति उससे दूर हो गई है। अशान्ति का प्रमुख कारण उसके व्यर्थ विचार हैं। आज यह प्रतिज्ञा करने की जरूरत है कि मैं मन वचन कर्म और सम्बन्ध सम्पर्क से कभी अशान्त नहीं होउंगा। इस तरह एक-एक व्यक्ति के शान्त होने से पूरा समाज, देश और फिर विश्व में शान्ति हो सकती है। राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने कहा कि शान्ति को हम भौतिक वस्तुओं में ढूंढते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि अच्छा मकान बना लेंगे तो शान्ति मिल जाएगी कुछ लोग महंगी गाडिय़ों में उसे पाने का प्रयास करते हैं। किन्तु भौतिक साधनों से सुख और शान्ति की प्राप्ति नहीं हो सकती। शान्ति आन्तरिक अनुभूति है। वास्तव में आत्मा है ही शान्त स्वरूप। आत्मा का सही परिचय नही होने के कारण हम अपनी पहचान और संस्कृति को भूल गए हैं। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने किया।