Home Uncategorized रावघाट के अंजरेल से उत्खनन लौह अयस्क की पहली खेप पहुंची भिलाई

रावघाट के अंजरेल से उत्खनन लौह अयस्क की पहली खेप पहुंची भिलाई

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नारायणपुर। भिलाई इस्पात संयंत्र की महत्वाकांक्षी और बहुप्रतीक्षित रावघाट खदान परियोजना का पहला चरण लगभग पूर्णता की ओर है। परियोजना के तहत रावघाट लौह अयस्क खदान क्षेत्र के एफ ब्लाक के अंजरेल क्षेत्र में दिसम्बर 2021 से भिलाई इस्पात संयंत्र ने लौह अयस्क उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया है। यह लौह अयस्क को भिलाई तक लाने के लिए रेल लाइन की भी स्थापना की जा रही है। इस परियोजना के तहत अंजरेल से उत्खनन किए गए लौह अयस्क के प्रथम रैक का तकनीक ट्रायल लेते हुए अंतागढ़ से भिलाई इस्पात संयंत्र लाया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में रविवार को सुबह संयंत्र के निदेशक प्रभारी, अनिर्बान दासगुप्ता ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इस रैक का स्वागत किया।
इस अवसर पर संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने कहा कि यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ की धरती से लौह अयस्क ब्लास्ट फर्नेस, स्टील मेल्टिंग शॉप तक पहुंचता है और विश्व स्तरीय उत्पादों जैसे हमारा रेल में परिवर्तित हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम रावघाट में रामकृष्ण मिशन, बीएसएफ और डीएवी स्कूल से मिल कर कार्य कर रहें है। मुझे विश्वास है कि दल्ली-राजहरा रावघाट से अयस्क के लिए लाभकारी क्षेत्र के रूप में कार्य करेगा। रावघाट से लंबे समय से प्रतीक्षित अयस्क का खनन अब साकार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि सेल-बीएसपी राज्य सरकार के सहयोग से प्रगति करेगी और सभी तकनीकी मुद्दों से निपटेगी। दासगुप्ता ने अंजरेल के खोडगांव ग्राम पंचायत के 27 प्रशिक्षु छात्रों का स्वागत किया। तपन सूत्रधर, ईडी (खान) ने इस ऐतिहासिक क्षण को लाने के लिए खान बिरादरी को बधाई देते हुए कहा कि इस परिणाम से देश को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।भिलाई इस्पात संयंत्र ने रावघाट क्षेत्र में 3 लाख टन प्रतिवर्ष लौह अयस्क के उत्खनन और निर्गमन की सभी आवष्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद 10 सितम्बर, 2022 को अंतागढ़ से 21 वैगन की प्रथम रैक को लोड किया और भिलाई के लिए रवाना किया। अंजरेल से अंतागढ़ रेल्वे स्टेशन तक 50 किलोमीटर सड़कमार्ग से और अंतागढ़ रेल्वे स्टेशन से भिलाई इस्पात संयंत्र तक 150 किलोमीटर की यात्रा करके यह पहला रैक 11 सितम्बर 2022 को भिलाई पहुंचा। अंजरेल से प्राप्त लौह अयस्क में 62 प्रतिशत तक आयरन (एफई) की मात्रा है। इस लौह अयस्क से भिलाई इस्पात संयंत्र की इस्पात उत्पादन की लागत में कमी आयेगी और देश के विकास में और अधिक योगदान दे सकेगा। भिलाई ने अंजरेल में दिसम्बर 2021 में लौह अयस्क उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया था।