Home छत्तीसगढ़ डीजे-कलेक्टर ने वितरित किए मूल कर्तव्य के बैनर

डीजे-कलेक्टर ने वितरित किए मूल कर्तव्य के बैनर

77
0

धमतरी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सुधीर कुमार तथा कलेक्टर रजत बंसल के द्वारा आज सुबह संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्य के बैनर (प्रदर्शन पट्टिका) का वितरण शहर के प्रमुख शासकीय विद्यालयों के प्राचार्यों को जिला एवं सत्र न्यायालय के सभाकक्ष में किया गया। विदित हो कि संविधान के अनुच्छेद-51 में वर्णित मूल कर्तव्यों का ज्ञान विद्यार्थियों को हो सके तथा तदनुसार आचार-व्यवहार कर अन्य लोगों को भी इसकी जानकारी से अवगत करा सकें। उक्त प्रदर्शन पट्टिकाओं का वितरण धमतरी शहर के विभिन्न शासकीय विद्यालयों के संस्था प्रमुखों को आज डीजे एवं कलेक्टर के द्वारा विद्यार्थियों के अवलोकनार्थ निःशुल्क किया गया। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी.एल. पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोना चैहान, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 गिरिजेश प्रताप सिंह उपस्थित रहे।
क्या है अनुच्छेद-51 में वर्णित मूल कर्तव्य- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में मूल कर्तव्यों का वर्णन है। इसमें उल्लेख किया गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। उक्त अनुच्छेद में यह भी वर्णन किया गया है कि स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें। भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें। देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हों, करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध है। अनुच्छेद-51 में वर्णित मूल कर्तव्य में यह भी लेख है कि हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझें और उसका परिरक्षण करें। प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव हैं, रक्षा करें और उसका संवर्द्धन करें तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें। सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें। व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई उंचाइयों को छू ले। जो माता-पिता या संरक्षक हों, वह छह से 14 वर्ष के बीच की आयु की यथास्थिति, अपने बच्चे अथवा प्रतिपाल्य को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा।