Home छत्तीसगढ़ मन को स्वस्थ रखने राजयोग मेडिटेशन आवशयकता- वासानी

मन को स्वस्थ रखने राजयोग मेडिटेशन आवशयकता- वासानी

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धमतरी। ब्रह्मा कुमारी ज द्वारा शिवरात्रि महोत्सव के पांचवे और अंतिम दिन समाज सेवा प्रभाग के लिए समाज के प्रति हमारा उत्तर दायित्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। समाज के प्रमुख,तथा समाज सेवी संस्थाओं के प्रमुख अतिथियों के रूप में उपस्थित हुए जिसमें मुख्य रूप से उपस्थित थे जागृति दोषी चेयरमैन डी 326 इन्हर व्हील क्लब, अजय पारेख अध्यक्ष लायन्स क्लब, विनोद राव लोंधे अध्यक्ष मराठा समाज,अनीता बाबर अध्यक्ष मराठा महिला मंडल,दुलार सिन्हा अध्यक्ष सिन्हा समाज,संतोष मिन्नी नवकार महिला मंडल,प्रिया पंजवानी सिंध महिला मंडल,राजकुमारी पटेल अध्यक्ष पटेल समाज,प्राप्ति वासनी सिंध महिला मंडल,घनश्याम साहू अध्यक्ष साहू समाज लिमतरा,प्रतिभा गुप्ता पूर्व अध्यक्ष   लेडीज क्लब,मोहन अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष रोटरी क्लब, ब्रह्मा कुमारी सरिता दीदी जी,अखिलेश बहन।
अपने मुख्य वक्तव्य में ब्रह्मा कुमारी अखिलेश बहन ने कहा समाज को समृद्ध ,शिक्षित, स्वच्छ, सुसंस्कारी बनाना समाज सेवको का दायित्व है।आज समाजसेवक कम्बल दान,नेत्र दान कर रहे है लेकिन आज मनुष्य को सबसे ज्यादा आवश्यकता है मन कि शांति। क्योंकि मन कि बीमारी ने आज महारोग का रूप धारण कर लिया है। मन कि बीमारी अर्थात घुस्सा होना, ईर्ष्या,नफरत,मूड ऑफ करना।हमारा मन ही यदि अच्छा न हो तो हम सामाज सेवा नहीं कर सकते।तन बीमार हो तो समाज सेवा कर सकते हैं।
मन को स्वस्थ रखने के लिए राजयोग मेडिटेशन की बहुत आवशयकता है। प्राप्ति वासनी ने कहा एक ऋण होता है माता पिता का ऋण,दूसरा ऋण होता है समाज का। समाज का ऋण हम कुछ न कुछ समाज सेवा कर चुका सकते है। चेयर मैन डी 326 इन्हरवील क्लब जागृति दोषी ने अपने उद्बोधन में कहा हमारा पूरा परिवार समाज सेवा के लिए समर्पित है। दोस्ती और सेवा हमारा मुख्य उद्देश्य है।इस वर्ष इनर व्हील क्लब का उद्देश्य है अनाथ मुक्त भारत।ब्रह्मा कुमारी संस्था की मुख्य संचालिका सरिता दीदी जी ने कहा इस सृष्टि रंगमंच पर परमात्मा ने हरेक को श्रेष्ठ पार्ट बजाने है।हर व्यक्ति यदि सोचे मुझे अच्छा रोल बजाना है तो समाज में विकृतियां कभी नहीं आएगी।
हर समाज अपने जीवन का कुछ समय अध्यात्म के लिए दे
हर समाज में चार बातें स्वास्थ,साक्षरता,स्वावलंबन,स्वछता  चार पैर के रूप में हो तो हर समाज का बहुमुखी विकास हो सकता है।आज समाज में एकता मर्यादा नहीं दिखाई दे रही है। हर समाज अपने जीवन का कुछ समय अध्यात्म के लिए दे तो ये दुनिया स्वर्ग बन सकती है।आज लोग जितना शिक्षित दीक्षित होते जा रहे हैं उतने ही बिगड़ रहे हैं। हम स्वयं को बदलने की जिम्मेवारी ले।हमे आंतरिक परिवर्तन करना है।आप चैतन्य आत्मा है,हर आत्मा के अंदर 7 गुण भरे है,मेडिटेशन के द्वारा उन्हें जाग्रत करने की जरूरत है,तो धरती स्वर्ग बन जाएगी।कार्यक्रम के अंत में एस डी नान कानी जी ने सभी का आभार व्यक्त किया,संचालन कामिनी कौशिक ने किया।