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जिले में लघु उद्योग प्रसंस्करण व वनोपज पर आधारित उद्योग की भरपूर संभावनाएं

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जिला स्तरीय औद्योगिक विकास संगोष्ठी में उद्योग मंत्री ने कहा, उद्योगपतियों ने भी साझा किए विचार
उद्योग स्थापित करने तीन युवकों को बैंकों से ऋण स्वीकृति पत्र प्रदान किए गए
धमतरी ।
औद्योगिक विकास पर आधारित जिला स्तरीय एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन आज स्थानीय अग्रसेन भवन में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के तत्वावधान में किया गया, जिसमें प्रदेश के उद्योग एवं वाणिज्य और आबकारी मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने शिरकत कर कहा कि धमतरी जिला धान की पैदावार के लिए प्रदेश के शीर्ष जिलों में शुमार है। यहां पर धान या चावल के अलावा लघु उद्योग प्रसंस्करण केन्द्र के साथ-साथ वनोपज पर आधारित उद्योगों की भी भरपूर संभावनाएं हैं। उन्होंने विशेष तौर पर आदिवासी बाहुल्य नगरी एवं मगरलोड विकासखण्ड में वनोत्पाद एवं वन सपदा पर आधारित उद्योग स्थापित करने पर जोर दिया।
स्थानीय सिहावा चौक पर स्थित अग्रसेन भवन के सभाकक्ष में आयोजित संगोष्ठी में उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि इमली, लाख, महुआ जैसे अनेकानेक वनोत्पाद जिले में मौजूद हैं, इसके अलावा सब्जी एवं फलों पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना की जिले में बहुत स्कोप हैं। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे व्यावसायिक नगरों की भांति धमतरी में भी तेजी से औद्योगिक विकास हो रहा है। मुयमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश शासन कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव मदद दे रहा है और युवा उद्यमियों को इसका लाभ लेने के लिए आगे आना चाहिए। जिले के उद्यमी सिर्फ राइस मिल ही नहीं, अन्य उद्योगों की स्थापना के बारे में भी विचार करें। उन्होंने बताया कि उद्योग स्थापित करने में आदिवासी वर्ग आज भी काफी पिछड़ा हुआ है, जिसके लिए जनजागरूकता अभियान और व्यापक प्रचार-प्रसार की भी जरूरत है। केबिनेट मंत्री ने माना कि वन क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, किन्तु प्रशासन के परस्पर अंतर्विभागीय समन्वय से ऐसे प्रकरणों का प्राथमिकता से समाधान किया जाएगा। इस अवसर पर धमतरी विधायक श्रीमती साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि लघु एवं कुटीर उद्योग की स्थापना के लिए सबसे बड़ा फैक्टर कच्चे माल की सर्वसुलभता है। जिले में उद्योगों को बढ़ावा देने के पहले क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होने वाले उत्पादों पर जोर देने तथा इसके प्रति लोगों में सकारात्मक रूचि पैदा करने के लिए ऐसे समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही। सिहावा विधायक श्रीमती ध्रुव ने आदिवासी बाहुल्य नगरी एवं मगरलोड विकासखण्ड में रोजगार सृजन के लिए उद्योगों की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इन क्षेत्रों में वनोत्पादों की प्रचुरता और सुलभता पर आधारित उद्यमिता प्रारभ करने की बात मंच से कही।
संगोष्ठी में विशिष्ट रूप से उपस्थित उद्योग एवं वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने अपने उद्बोधन में कहा कि रोजगार के परपरागत साधन अपर्याप्त हैं तथा शासकीय क्षेत्र में सेवाएं भी सीमित मात्रा में हैं। ऐसे में उद्यमिता ही ऐसा क्षेत्र है जिससे युवा पीढ़ी बेहतर भविष्य एवं नए अवसर पैदा कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि पहले उद्योग स्थापित करना आर्थिक रूप से सशक्त लोगों के लिए ही उपयुक्त माना जाता था, किन्तु आज के दौर में ऋण एवं अन्य सुविधाओं ने इसे काफी आसान बना दिया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमिता (एमएसएमई) के जरिए यह काफी सरल हो गया है। नवीन औद्योगिक नीति का भी यही उद्देश्य है कि जो क्षेत्र अछूते रह गए हैं, उन्हें इसके दायरे में लाते हुए स्थापना के लिए नए युवा उद्यामियों को तैयार कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा जिले के उद्योगपति सत्यनारायण राठी, शिवचरण नेताम तथा उद्योग विभाग के अपर संचालक प्रवीण शुक्ला ने भी संगोष्ठी में हिस्सा लेकर उद्योग के विकास एवं नवीन संभावनाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
जिला स्तरीय औद्योगिक विकास पर आधारित एकदिवसीय संगोष्ठी में उद्योग मंत्री श्री लखमा के द्वारा पंजाब नेशनल बैंक की ओर से उद्योग स्थापना के लिए रत्नेश पदमवार को 50 हजार रूपए का ऋण स्वीकृति पत्र भेंट किया गया। इसी प्रकार भारतीय स्टेट बैंक की ओर से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत खगेश्वर सिन्हा को एक लाख 90 हजार रूपए और बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से मनीष वाधवानी को 10 लाख रूपए का ऋण स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर रजत बंसल, एसपी बीपी राजभानू, महापौर विजय देवांगन, जिला पंचायत की अध्यक्ष कांति सोनवानी, उपाध्यक्ष नीशु चंद्राकर, पूर्व विधायक द्वय हर्षद मेहता एवं लेखराम साहू सहित वरिष्ठ नागरिक मोहन लालवानी, शरद लोहाणा, महाप्रबंधक उद्योग सी.एस. पाण्डेय सहित वरिष्ठ जनप्रतिनिधिगण मंच पर मौजूद थे।