तिरुवनंतपुरम
केरल सरकार ने अलाप्पुझा के उस किसान की संपत्ति की कुर्की के आदेश पर रोक लगा दी, जिसने ने पिछले साल नवंबर में लोन न चुका पाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी।
किसान ने क्यों की थी आत्महत्या?
दरअसल, अलाप्पुझा के थकाझी के रहने वाले किसान ने खेती के लिए बैंक से लोन लिया था, लेकिन वह लोन नहीं चुका पाया। जिस वजह से उन्हें परेशान किया गया और अंत में उन्होंने अपनी जान दे दी। किसान ने सुसाइड नोट में केरल की वामपंथी सरकार और कुछ बैंकों को जिम्मेदार ठहराया था।
किसान ने खेती के लिए लिया था लोन
पीड़ित परिवार के करीबी सूत्रों ने कहा कि किसान ने एससी-एसटी कॉरपोरेशन के लिए केरल राज्य विकास निगम से लोन लिया था, जिसका भुगतान बकाया था। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन ने इसमें हस्तक्षेप किया और मंत्री ने कुर्की की प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया।
मंत्री ने लोन देने वाले अधिकारियों को किया तलब
मंत्री के हवाले से बताया कि किसान के परिवार को रियायत देकर लोन चुकाने के लिए निर्देश दिया गया है। इसके अलावा मंत्री राधाकृष्णन ने उन अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, जिन्होंने किसान परिवार की परिस्थितियों को समझे बिना उन्हें नोटिस जारी किया था।
किसान ने बैंक और सरकार को ठहराया था जिम्मेदार
मंत्री के आदेश पर निगम के अधिकारियों ने किसान के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की। जानकारी के अनुसार, मृतक किसान केजी प्रसाद ने पिछले साल 60 हजार रुपये का लोन लिया था। किसान के सुसाइड नोट में सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने पर राज्य में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई थी।