भोपाल
प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद हर बंदी की जेल प्रशासन उसके अपराधों की कुंडली बनाने वाला है। इसके बाद ऐसा प्लान तैयार किया जाएगा ताकि ओवर क्र्राउड हो रहे जेलों में बंदियों की संख्या कुछ हद तक कम की जा सके। इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी जेल प्रशासन को निर्देश दिए हैं। साथ ही पिछले दिनों उन्होंने ऐसे बंदियों की रिहाई का रास्ता खोला है,जो आर्थिक तंगी या विभिन्न कारणों से जमानत नहीं ले पा रहे हैं।
केंद्रीय जेल से लेकर जिला और उप जेल तक सभी में बंदियों की संख्या क्षमता से लगभग दो गुना के करीब पहुंच रही है। इसे लेकर बार-बार शासन स्तर पर चिंता जताई जा चुकी है। अब इस पर प्लान तैयार कर संख्या को कम करने का रास्ता तलाशने के प्रयास शुरू होने वाले हैं। इस प्लान को बनाने से पहले जेलों में बंद बंदियों के अपराधों का आंकलन किया जाएगा। जिसमें तहत गंभीर अपराध, महिला अपराध जो गंभीर किस्म के हैं। साथ ही आदतन अपराधियों का पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। इनके अलावा जो आदतन अपराधी नहीं हैं, जिन पर गंभीर अपराध दर्ज नहीं हैं। ऐसे सभी बंदियों का रिकॉर्ड तैयार कर अलग-अलग श्रेणी में रखा जाएगा।
अभी यह है स्थिति
प्रदेश में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, नरसिंहपुर, बड़वानी और नर्मदापुरम में केंद्रीय जेल हैं। वहीं 41 जिला जेल हैं। इनके अलावा 73 उपजेल प्रदेश में हैं। इसके साथ ही नर्मदापुरम, इंदौर, सागर, सतना, जबलपुर, भोपाल और नरसिंहपुर में खुली जेलें हैं। प्रदेश की 11 केंद्रीय जेलों में 25 हजार 170 के लगभग बंदी है। जबकि इन जेलों की क्षमता 14 हजार 604 की है। इसी तरह जिला जेलों में 15 हजार से ज्यादा बंदी हैं। जबकि इनकी क्षमता 9672 की है। वहीं प्रदेश की उपजेलों में लगभग आठ हजार बंदी हैं, जबकि इनकी क्षमता 5321 की है।