नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नारियल के उत्पादन और इसके उपज संबंधी कार्यों को अधिक लाभकारी बनाने के लिए नारियल विकास बोर्ड अधिनियम, 1979 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने कृषि बुनियादी ढांचा कोष के अंतर्गत वित्तपोषण सुविधा की केंद्रीय क्षेत्र योजना में संशोधन को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) को कृषि बुनियादी ढांचा कोष से एक लाख करोड़ रुपए का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी, जिसकी घोषणा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत की गई थी। ए.पी.एम.सी खत्म नहीं होंगी। कृषि कानून लागू होने के बाद भी कृषि उपज मंडी को करोड़ रुपये का साधन भारत सरकार की ओर से इस इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड में से उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे सशक्त होगी। उनके आय के साधन बनेंगे और अधिक किसानों के लिए उपयोग में आ सकेंगी। कृषि मंत्री ने कहा कि एपीएमसी के लिए एक ही बाजार क्षेत्र के भीतर विभिन्न बुनियादी ढांचों जैसे कोल्ड स्टोरेज, छंटाई, क्रम निर्धारण, परख इकाइयों और साइलो जैसी प्रत्येक परियोजना के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि योजना के तहत किसी इकाई को वर्तमान समय में एक ही स्थान पर 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए अनुदान सहायता के लिए पात्र माना जाता था, लेकिन अब यदि पात्र इकाई विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएं लगाती है, तो ऐसी सभी परियोजनाएं अनुदान सहायता के लिए पात्र होंगी। हालांकि निजी क्षेत्र में इकाइयों को अधिकतम 25 परियोजनाएं लगाने की अनुमति होगी।
योजना के तहत वित्तीय सुविधा की अवधि 2025-26 तक 4 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दी गई है और 2032 – 33 तक इस योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष कर दी गई है। इस योजना में संशोधनों से निवेश जुटाने में गुणक प्रभाव प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जबकि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचे। एपीएमसी मार्केट बाजार संपर्क प्रदान करने और सभी किसानों के लिए फसल कटाई के बाद सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को खुला रखने के लिए इकोसिस्टम बनाने के लिए स्थापित किए जाते हैं।