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कलेक्टर को गिफ्ट देने के नाम पर वसूली का लगा महिला एसडीएम पर गंभीर आरोप

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मुर्गा मटन तक बुलाती थी त्रस्त पटवारियों,राजस्व निरीक्षक,और राजस्व अधिकारियों ने कलेक्टर से की शिकायत।
जशपुर ।
किसी भी व्यवस्था में यदि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का रोग लग जाए तो वह न तो स्वस्थ रह सकती है और न ही सुचारु तरीके से कार्य कर सकती है। दुर्भाग्यवश छत्तीसगढ़ के सरकारी महकमे भी कुछ हद तक इसी रोग से पीड़ित दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनी है तब से पूरे छत्तीसगढ़ में भ्रस्ट्राचार और रिश्वत खोरी का दानव अपना पंजा हर विभाग में पसार रहा है छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में एक के बाद एक कई रिश्वतखोर विजिलेंस की गिरफ्त में फंसते दिखाई दे रहें हैं जिससे छोटे और ईमानदार अधिकारी बदनाम भी हो रहें हैं किंतु उच्च स्तर के अधिकारी अपने निचले स्तर के अधिकारियों को भी इस रिश्वत खोरी और भ्रस्ट्राचार के दलदल में धकेलने का प्रयास कर रहें हैं जो ना माने तो उसे लुकलाईन फेक दिया जा रहा हैं। छत्तीसगढ़ के महासमुंद फिर रायगढ़ और अब उसके पड़ोसी जिले जशपुर से सरकार की फजीहत कराने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक महिला एसडीएम पर सरकारी कर्मचारियों ने बेहद ही संगीन आरोप लगाए हैं। बगीचा में पदस्थ एसडीएम ज्योति बबली के खिलाफ बेहद ही संगीन आरोप लगाए गए हैं, बल्कि मारने-पीटने की धमकी देने की बात कही गई है। यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने क्षेत्र के पटवारी, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षकों को एकसूत्रीय वसूली अभियान पर लगा रखा है।

शर्मनाक बात: फल,सब्जी से लेकर मुर्गा, मटन, मछली और अंडे तक मंगवाती हैं एस डी एम

शिकायती पत्र में जिस तरह का दर्द अफसरों ने बयां किया है कि उसने महिला अफसर की मर्यादा को तार-तार करके रख दिया है। पैसे की डिमांड तो होती ही है, शर्मनाक बात ये है कि फल, सब्जी से लेकर मुर्गा, मटन, मछली और अंडे तक भी कर्मचारियों व अधिकारियों से फ्री सेवा में मंगवाया जाता है। शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने 8 बिंदुओं पर इसकी लिखित शिकायत जशपुर कलेक्टर से की है। कलेक्टर से कहा है कि एस डी एम बगीचा द्वारा किए जा रहे उपरोक्त कार्यों से हम सभी आर्थिक एवं मानसिक रुप से प्रताड़ित हो रहे हैं तथा भयपूर्ण वातावरण में कार्य करने के लिए मजबूर हैं। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बगीचा ज्योति बबली कुजूर को जिला मुख्यालय में अटैच कर पारदर्शिता पूर्वक विभागीय जांच कराकर नियमानुसार कार्यवाही करने की मांग की है। जिस पर कलेक्टर ने इस मामले में जांच करने का आश्वासन दिया है।

एसडीएम ज्योति बबली पर लगाए गए गंभीर आरोप

आरोप 1 : बगीचा एसडीएम बबली ज्योति के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि होली गिफ्ट दिए जाने के नाम पर दो लाख रुपए वसूलने के लिए प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से सात-सात हजार रुपए जमा कराने के लिए तहसीलदार बगीचा टीडी मरकाम को निर्देशित किया गया था जिसकी जानकारी तहसीलदार द्वारा पटवारी मीटिंग में दी गई एवं प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से सात-सात हजार रुपए जमा करने के लिए कहा गया। इसके अतिरिक्त प्रत्येक पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों से प्रत्येक माह सात-सात हजार रुपए एस डी एम बगीचा के लिए जमा करने के लिए कहा गया। इसका विरोध किया गया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ, आखिरकार अंत में प्रत्येक पटवारी द्वारा एक-एक हजार रुपए चंदा कर दिया गया।

आरोप 2 : पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों दो लाख रुपए वसूली नहीं कर पाने पर पटवारी एवं राजस्व निरीक्षकों की मीटिंग में नायब तहसीलदार बगीचा रोशनी तिर्की एव नायब तहसीलदार अविनाश चौहान तथा पटवारीयों एवं राजस्व निरिक्षकों की उपस्थिति में तहसीलदार बगीचा टीडी मरकाम द्वारा एस डी एम बगीचा को कहा गया कि- ‘आपने मुझे पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों से दो लाख रुपए वसली करने के लिए कहा था जिसे मैं वसली नहीं कर सका। जिस पर तहसीलदार को एसडीएम द्वारा मीटिंग से बाहर निकाल दिया गया।

आरोप 3 : एस डी एम बगीचा द्वारा अपने घरेलू एवं निजी उपयोग की सामग्री जैसे राशन सामग्री, सब्जी, फल, जूस, दही, ड्रायफूड्स, देशी मुर्गा, मटन, कबूतर, बर्तन इत्यादि पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों एवं लिपिकों से मंगाया जा रहा है एवं स्वयं के द्वारा किए गए खरीददारी का बिल पटवारियों एवं अन्य कर्मचारियों से भुगतान कराया जा रहा है। जिसके लिये एस डी एम बगीचा द्वारा नायब तहसीलदारों एवं तहसीलदार को फोन कर आर्डर दिया जाता है। तहसीलदार एव नायब तहसीलदारों द्वारा सामग्री भिजवाने से मना किये जाने पर उन्हें भी कार्यवाही की धमकी दी जाती है।

आरोप 4 : एस डी एम बगीचा द्वारा प्रोटोकाल ड्यूटी के नाम पर पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों को अनावश्यक आर्थिक एवं मानसिक रुप से प्रताडित किया जाता है। प्रोटोकाल के नाम पर अनावश्यक सामग्री की खरीददारी कराई जाती है एवं खरीदे गये सामग्री को स्वयं के घर पहुंचाने हेतु कहा जाता है, मना करने पर दबाव डालकर मंगाया जाता है।

आरोप 5 : एस डी एम बगीचा द्वारा हाल ही में 17 फरवरी 2021 को पटवारियों को पाट क्षेत्र में स्थानांतरण करने के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर पच्चीस से तीस हजार रुपए तक अवैध वसूली किया गया है, मजबूर होकर कुछ पटवारियों दारा पैसा दिया गया है किन्तु जो पटवारी रुपए नहीं दे सकें उन्हें दूरस्थ एवं पाट क्षेत्र में स्थानान्तरण किया गया है।

आरोप 6 : एस डी एम बगीचा द्वारा पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों की साप्ताहिक मिटींग में पटवारियों को अपमानित किया जाता है एवं अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है जैसे- “दो थप्पड़ लगाउंगी तो भी मेरा कुछ नहीं कर सकते हो तुम लोग”, “किसी को मुझसे कोई भी प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है और इस लायक भी नहीं हो तुम लोग इसके अतिरिक्त मीटिंग हॉल से पटवारियों को बाहर निकल जाओ बोला जाता है, किसी को अपनी बात तक रखने का अवसर नहीं दिया जाता है उल्टा डांट फटकार कर चुप करा दिया जाता है।

आरोप 7: एस डी एम बगीचा द्वारा बिना शासन की अनुमति के हमर अंचरा’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें सभी विभाग के कर्मचारियों को अपना डर दिखाकर 1000 से 5000 तक जमा कराया जा रहा है और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को हमर अंचरा कार्यक्रम के कार्यों को करने के लिए आदेशित किया जाता है, जिससे इनका मूल काम प्रभावित हो रहा है।

आरोप 8 : एस डी एम बगीचा द्वारा हमर अंचरा कार्यक्रम के लिए निर्मित बैंक अकाउंट में कर्मचारियों व्यापारियों एवं प्रतिष्टित व्यक्तियों से चंदा एकत्रित कर लगभग 20 से 25 लाख रुपए जमा कराया गया है जिसका उपयोग गरीबों को निःशुल्क सामग्री वितरण के नाम पर प्रत्येक सामग्री में कमीशनखोरी किया जा रहा है जिसका जांच किया जाना उचित होगा एवं हमर अंचरा कार्यक्रम में एकत्रित राशि का उपयोग वर्तमान में कोविड 19 के दौर में आक्सीजन सिलेंडर एवं अन्य राहत सामग्री के लिये किया जाना उचित होगा परंतु एस डी एम बगीचा जिन सामग्रीयों की खरीदी में कमीशन मिलता है वहीं कार्य करती है। ये घटनाएं चिंतित करने वाली हैं, क्योंकि इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश के सरकारी महकमे का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो रिश्वतखोरी के रोग से पीड़ित न हो। आम जनता को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ ही रहे हैं, कहीं न कहीं सरकार को भी इससे नुकसान झेलना पड़ता है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के कारण ही कई बार सरकार की अच्छी और जनोपयोगी योजनाओं का लाभ भी आम जनता को नहीं मिल पाता। रिश्वतखोरी,लालफीताशाही और भ्रष्टाचार के कारण ही निवेशक प्रदेश में निवेश करने से कतराते हैं और अंतत: इससे प्रदेश के विकास की गति पर भी असर पड़ता है। इतने नुकसान को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि यदि इस रोग से मुक्ति मिल जाए तो प्रदेश का उद्धार हो जाएगा।रिश्वत खोरी की बीमारी इस कदर अपनी जड़ें जमा चुकी है कि बिना सामाजिक सहभागिता व सरकार के दृढ़निश्चय के इससे उबर पाना कठिन प्रतीत होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार के खिलाफ और सख्त कदम उठाएगी। आम जनता को भी रिश्वत देकर काम कराने की मनोवृत्ति से उबरना होगा,तभी इस रोग का कारगर इलाज संभव है।
नैतिकता क्यों खो रहें हैं अधिकारी?
जैसे-जैसे दुनिया विकसित हो रही है, हम देखते हैं कि कैसे लोग अपनी नैतिकता खो रहे हैं।भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी जैसी चीजें इतनी आम हो गई हैं कि हर कोई इस पर आंख मूंद लेता है।रिश्वत का तात्पर्य नकदी, सामग्री या वस्तुओं के आदान-प्रदान से है।यह विनिमय अवैध साधनों के माध्यम से कुछ कार्य प्राप्त करने या प्रक्रिया को तेज करने के लिए किया जाता है। हालाँकि हर कोई इस अवधारणा का विरोध करता है।यदि आप दुनिया में किसी ऐसे व्यक्ति को खोजने के लिए तैयार हैं, जिसने कभी रिश्वत दी या स्वीकार नहीं की है, तो आपके सफल होने की बहुत संभावना नहीं है। रिश्वत हमारे आसपास है और सभी छोटी और बड़ी चीजों में प्रचलित है।उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अपने बच्चे को एक अच्छे स्कूल में भर्ती कराना चाहता है, तो वे रिश्वत की पेशकश करते हैं। यदि किसी के पास ट्रेन में यात्रा करने के लिए टिकट नहीं है, तो वे टिकट पाने के लिए टीटी को रिश्वत देते हैं। इसी तरह, बड़े स्तर पर, लोग अपने अपराधों से छुटकारा पाने के लिए पुलिस को रिश्वत देते हैं। पुलिस रिश्वत को लालच और कभी-कभी डर के कारण स्वीकार करती है।
अगर हम इसके बारे में सोचते हैं, तो हमारे जीवन में रिश्वतखोरी से कोई क्षेत्र नहीं बचा है। यहां तक ​​कि चॉकलेट माता-पिता भी अपने बच्चे को किसी भी काम को करने की पेशकश करते हैं, केवल रिश्वत की तरह है। इसका स्रोत घर से है। बच्चे देखते हैं कि उनके माता-पिता ट्रैफिक पुलिस या टीटी को रिश्वत देते हैं, वे भी यही सीखते हैं। इसके अलावा, सिस्टम में रिश्वत देने और स्वीकार करने की कभी न खत्म होने वाली श्रृंखला इसे आपके विचार से अधिक सामान्य बनाती है।
रिश्वत का देश के विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह समग्र रूप से अर्थव्यवस्था और देश के विकास में बाधा डालता है। हम सभी के बीच समानता की बात करते हैं और लोगों के लिए समान अवसर चाहते हैं लेकिन रिश्वत ऐसा होने से रोकती है।
जब आप स्कूल या कॉलेज को अपने बच्चे को सीट देने के लिए रिश्वत देते हैं, तो उस सीट पर बहुत योग्य उम्मीदवार हार जाता है। वह उम्मीदवार हार जाता है क्योंकि वे अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए राशि नहीं दे सकते हैं। इस प्रकार, हमें इस समस्या को पूरी तरह से देश और लोगों को समृद्ध करने में मदद करने की आवश्यकता है।हालांकि, इसे पूरा करना एक मुश्किल काम है क्योंकि भारत सरकार अपनी आय के लिए भारी रिश्वत पर निर्भर है। नागरिक समान रूप से जिम्मेदार हैं क्योंकि वे एक या दूसरे रूप में रिश्वत दे रहे हैं। जब नागरिक खुद अधिकारियों को रिश्वत देना बंद कर देंगे, तो सरकार के पास इस अपराध में लिप्त होने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।इसके अलावा, हमें कम उम्र के बच्चों को ईमानदारी के बारे में सिखाना चाहिए। हमें उन्हें रिश्वत स्वीकार करने के परिणाम से अवगत कराना चाहिए। इस प्रकार, धीरे-धीरे और लगातार हम इस अभ्यास को समाप्त कर सकते हैं यदि हम सभी एक साथ आते हैं।
हम सभी को सामूहिक रूप से इस प्रथा के खिलाफ लड़ना चाहिए और घर से ही इसका अभ्यास शुरू करना चाहिए।