रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बिना अध्यक्ष और सदस्यों के संचालित हो रहा है। ऐसे में यहां पहुंचाने वाली शिकायतों की सुनवाई के लिए अधिकारी मामले को सीधे संबंधित विभागों या मंत्रालय में प्रेषित कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल जनवरी में ही खत्म हो गया है। फिर भी तकरीबन दो माह होने के बाद सरकार अध्यक्ष और सदस्यों का चयन नहीं कर सकी है। अधिकारियों के मुताबिक कई ऐसे प्रकरण भी आते हैं, जिनकी सुनवाई अध्यक्ष और सदस्य द्वारा ही की जाती है। 20 से अधिक आवेदनों की सुनवाई के विचारधीन है।
अधिकारियों को नहीं है सुनवाई करने का अधिकार
बाल संरक्षण आयोग के सचिव ने बताया कि आयोग में आने वाले प्रकरणों की सुनवाई का अधिकार सिर्फ अध्यक्ष और सदस्यों को है। ऐसे में अभी आने वाले प्रकरणों को संबंधित विभागों में ट्रांसफर करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष और सदस्यों के चयन का अधिकार सरकार के पास है। ऐसे में हम सिर्फ प्रकरणों को विभाग में सुनवाई के लिए प्रेषित कर रहे हैं, ताकि लोगों को राहत मिल सकें।
तीन साल का रहता है अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और छह सदस्य का कार्यकाल तीन साल का होता है। इसके बाद सरकार द्वारा अध्यक्ष और सदस्यों का चयन किया जाता है। बकायदा इसके लिए वैकेंसी निकलकर विभिन्न नियम और शर्त को शामिल करके विज्ञापन भी प्रकाशित किया जाता है, लेकिन सरकार इस ओर कदम नहीं उठा रही है। बता दें कि 2017 से 2020 तक अध्यक्ष प्रभा दुबे थीं। साथ ही छह सदस्य भी थे। इन सभी का कार्यकाल जनवरी माह में ही खत्म हो गया है।