मुंगेली/ पहले मुंगेली के आसपास क्षेत्रों में मंदिरों में भगवान की मूर्तियाँ खंडित करने की खबर मिलती थी परंतु अब मुंगेली शहर में ही एक बार फिर हिंदुत्व को शर्मसार करने वाली घटना सामने देखने को मिली, शहर के विकास की महत्वपूर्ण ईकाई माने जानी वाली नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा मंदिर या भगवान की मूर्ति को खंडित करने का शर्मनाक कृत्य किया गया हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेली जिले के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम परिसर में ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी का सरकारी मकान बना हुआ है जिसमें पहले के लगभग सभी CMO की तरह वर्तमान में पदस्थ अधिकारी राजेन्द्र पात्रे निवास करते है जिन्होंने सरकारी बंगले के बाहर स्थापित छोटे से शिव जी के मंदिर को खंडित करवाकर सरकारी आवास के पीछे बहुत अपमान जनक स्थिति में रखवा दिया गया था, मुख्य नगर पालिका अधिकारी का यह कृत्य हिंदुत्व एवं हिन्दू धर्म को अत्यधिक ठेस पहुचाने वाला है। जिस पर कई हिन्दू संगठनों ने CMO के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग तथा शिव जी के मंदिर को उचित स्थान में स्थापित करने की मांग करने की बात की गई हैं। नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार उस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पूर्व मुख्य नगर पालिका अधिकारी सागर राज ने कराया था, जो वर्तमान CMO को रास नही आया और उस शिव मंदिर तो वहाँ से हटवा दिया गया, इस घटना के बाद जब हिन्दू संगठनों में भारी आक्रोश देखा गया तथा उनके द्वारा आंदोलनों की रूपरेखा बनाई जा रही थी, साथ ही सोशल मीडिया में भी लोगों का गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था, ऐसे में मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेन्द्र पात्रे अपनी चतुराई दिखाते हुए आनन-फानन में कई बहाने बनाने शुरू कर दिए और वहाँ टाइल्स लगाने और बाद में विधिवत मूर्ति स्थापना करने जैसे बयान देकर खुद को लोगों के गुस्से से बचाने प्रयास करने लगे, जिस पर हिन्दू संगठनों के लोगों ने कहा CMO द्वारा जो सफाई दी जा रही उसका कारण लोगों में इस घटना के बाद उत्पन्न हुए भारी आक्रोश का परिणाम हैं। अब देखना हैं कि हिन्दू संगठनों द्वारा इस मामले पर क्या कार्यवाही किया जाता हैं और CMO अपने बचाव में क्या तर्क पेश करते हैं। शहर के लोगों ने कहा कि इस मामले में कई ऐसे लोग भी सामने आने लगे है जिन्होंने मुख्य नगर पालिका अधिकारी का बचाव करना शुरू कर दिया है क्योंकि उन लोगों के कार्यक्रमों में ऐसे अधिकारी शिरकत कर कुछ चंदा दे देते है।
इसमें एक महत्वपूर्ण बात यह हैं कि अगर CMO टाइल्स लगवाने का बहाना बनवा मामले से बच रहे हैं तो मंदिर को खंडित कर इतना दूर पीछे रखने का क्या औचित्य ? मंदिर वही पर रहकर भी बाकी आसपास टाइल्स का काम किया जा सकता था। वैसे ये भी सोचने वाली बात है कि जहाँ CMO टाइल्स लगवाना चाह रहे थे क्या वाकई वहाँ टाइल्स लगवाना उचित है ? क्या वह निजी फंड से लगवा रहे ? या सरकारी फंड से ? खैर महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर के रहते ही टाईल्स लगाया जा सकता था, परंतु सीएमओ ने ऐसा न कर मंदिर को ही वहां से हटवाना उचित समझा, बाद में आक्रोश देख कई तरह के बहाने बनाने शुरू कर दिये, अब देखना है कि मामले में आगे क्या होता है। अभी सुबह-सुबह जानकारी मिली है कि मामले को तूल पकड़ता देख सीएमओ ने आनन-फानन में मंदिर निर्माण करवा दिया है, घटना स्थल का निरिक्षण कर आगे की कार्यवाही की मांग के लिये करनी सेना सहित कई संगठनों ने अपनी रूपरेखा बनाने की बात कही है।