मुंगेली/ शासन की राशि को भ्रष्टाचार कर अपनी जेबें भरने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को जनता, उच्चाधिकारियों एवं शासन का भय नही है तभी तो अधिकारी एवं ठेकेदार अपने पद का दुरूपयोग कर निर्माण कार्यो में बेखौफ होकर अनियमितता कर शासन के लाखों-करोड़ो की राशि डकार जाते है और उन पर अगर लगाम न लगाया जाये या कोई उचित कार्यवाही न की जाये तब तक ये बेखौफ होकर अपनी मनमानी कर शासन और जनता के पैसे को हजम करते रहेंगे। वर्तमान समय में मुंगेली जिले में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर हैं अधिकारियों की मनमानी और भ्रष्ट रवैये के चलते मुंगेली जिला विकास की बजाय विनाश की ओर आगे बढ़ रहा है। यहां अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार में संलिप्तता अपने चरम सीमा पर है।
अभी हाल ही में मुंगेली गार्डन में हुये करोड़ों के भ्रष्टाचार की चर्चा पूरे प्रदेश भर में है इस गार्डन में हुये करोड़ों के भ्रष्टाचार पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिस पर दिनांक 22.10.2019 को हाईकोर्ट की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई करते हुये गार्डन भ्रष्टाचार मामले में छत्तीसगढ़ शासन नगरीय प्रशासन सचिव, संचालक, कमिश्नर बिलासपुर, कलेक्टर मुंगेली, सीएमओ मुंगेली एवं नपा परिषद् मुंगेली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। हाईकोर्ट द्वारा राजधानी एवं संभाग स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ मुंगेली जिले के कलेक्टर, मुख्यनगर पालिका अधिकारी और नगरपालिका परिषद् को पक्षकार बनाते हुये नोटिस जारी किया है वही मुंगेली सीएमओ और नगरपालिका परिषद् हाईकोर्ट के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने उस विवादित गार्डन में लीपापोती शुरू कर दी गई, विवादित गार्डन में की जा रही लीपापोती मरम्मरत कार्य पर दिनांक 15.11.2019 को मुख्य नगरपालिका अधिकारी, कलेक्टर मुंगेली, संचालक और सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर को पत्र भेज मुंगेली के विवादित गार्डन में मरम्मत एवं अन्य कार्य रोकने पत्र भेजा गया था पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि मुंगेली गार्डन में हुये करोड़ों रूप्ये के गार्डन भ्रष्टाचार पर माननीय उच्च में डब्ल्यूपीपीआईएल 83/2019 लंबित है और इस मामले में शासन से जवाब मांगा गया है उस स्थिति में उस विवादित गार्डन में किसी भी प्रकार का मरम्मत, पौधों की कटाई,छंटाई एवं अन्य कार्य करना न्यायसंगत नही है और जब तक माननीय न्यायालाय द्वारा गार्डन मामले में कोई निर्णय नही आ जाता तब तक उस विवादित गार्डन में किसी प्रकार का कोई कार्य न किया जाये। इस आवेदन के बाद भी मुख्य नगर पालिका ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों एवं नगरपालिका में नियुक्त वकील या अन्य विधि विशेषज्ञों से सलाह लेना उचित नही समझा गया ? वरना आपत्ति आवेदन के बाद मरम्मत कार्य रूक जाता।
आश्चर्य कि बात तो यह है कि जिले के शीर्ष अधिकारी कलेक्टर को भी यह पत्र भेज आपत्ति लगाई गई थी उसके बाद भी उस विवादित गार्डन में कार्य जारी रखना कई संदेहों को जन्म देता है। नागरिकों ने कहा कि यदि विवादित गार्डन माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है और नपा द्वारा वहां मरम्मत कार्य शुरू कर दिया गया है और जब कलेक्टर, सीएमओं सहित वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र के माध्यम से कार्य रोकने आपत्ति लगाई गई है उसके बाद भी सीएमओ द्वारा विवादित गार्डन में मरम्मत कार्य किया जा रहा है तो यह जिले के कलेक्टर एवं वरिष्ठ अधिकारियों से खुद को बड़ा समझने के समान है। नागरिकों ने आगे कहा कि यह चुनावी वर्ष है अगामी महिनों में नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले है ऐसे में नेताओं और जनप्रतिनिधियों का कही न कही कलेक्टर और सीएमओं पर दवाब होगा कि कैसे भी करके उस गार्डन में लीपापोती कर उसे चुनाव के पूर्व ठीकठाक स्थिति में कर लिया जाये वरना नगरीय चुनाव में अगर जनता पूछ दी कि करोड़ों का गार्डन कहां है उस स्थिति में वे मूकदर्शक बने जायेगें और हार सामना करना पड़ सकता है।
बहरहाल अब देखना है कि हाईकोर्ट को गार्डन भ्रष्टाचार पर जवाब देने जिला प्रशासन और नगर पालिका कौन-कौन से हथकंडे अपनाती है। वरिष्ठ विधि सलाहकारों ने बताया कि यदि हाईकोर्ट में मामला लंबित है तो उस विवादित गार्डन में छेड़छाड़ किया जाना न्यायोचित नही है क्योंकि हाईकोर्ट गार्डन भष्टाचार मामलें में सुनवाई उपरांत पुनः जांच या भ्रष्टाचार की पुष्टि होने पर आपराधिक मामला दर्ज करने आदेश देने की संभावना है, ऐसे में कलेक्टर और सीएमओ को गार्डन में किसी प्रकार का कोई कार्य नही करना चाहिये।