Home छत्तीसगढ़ मुंगेली जिला अस्पताल में मानवता हुई फिर शर्मसार… डाक्टर के सामने पोस्टमार्टम...

मुंगेली जिला अस्पताल में मानवता हुई फिर शर्मसार… डाक्टर के सामने पोस्टमार्टम के बाद शव की सिलाई के बदले परिजनों से शराब के लिये मांगी गई रकम…

487
0

मुंगेली/ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मुंगेली जिले के प्रभारी मंत्री है परंतु मुंगेली जिला अस्पताल में अधिकारियों की लापरवाही चरम सीमा पर है साथ ही जिला अस्पताल के अधिकारियों में मानवता नाम की कोई चीज नही है जिसका जीता जागता उदाहरण आज देखने को मिला। जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल के कर्मचारी के द्वारा पोस्टमार्टम के लिए मृतक के परिजन से 1500 रुपये की मांग की गई. पैसे नहीं देने पर पोस्टमार्टम के बाद कर्मचारी ने सिलाई करने से इंकार कर दिया. कर्मचारी ने सिविल सर्जन के सामने ही मृतक के परिजनों से 500 रुपये रिश्वत ले ही लिया और बेशर्मी की हद तो तब हो गई जब पैसे लेने के बाद उसने खाने पीने के लिए भी अलग से पैसे की मांग की. परिवार के लोगों ने आरोप लगाया है कि दारू मुर्गा खाने पीने के लिए पैसे की मांग की गई थी।
दशहरा त्योहार के दिन रायपुर रोड में सड़क हादसे में नेवासपुर निवासी संतराम की मौत हो गई थी. जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाने की वजह से शव अस्पताल में ही रखा रहा. शिनाख्ती होने के बाद परिजन अस्पताल पहुंचे. पोस्टमार्टम के दौरान मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पोस्टमार्टम करने वाले अस्पताल के कर्मचारी ने पोस्टमार्टम करने के किये 1500 रुपये पैसे की मांग की. वही पैसे नहीं देने की स्थिति में मृतक के बॉडी का सिलाई करने से ही इंकार कर दिया. जिस पर आक्रोशित परिजन शिकायत लेकर अस्पताल प्रबंधन के पास पहुंचे थे. परंतु सिविल सर्जन के सामने ही उस कर्मचारी ने 500 रुपये रिश्वत ले लिया और सिविल सर्जन तमाशबीन बन ये सब देखता रहे। मामले का एक वीडियो भी सामने आया है. वीडियो में पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारी और मृतक के परिजनों के बीच विवाद की स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही है. कर्मचारी द्वारा दारू के लिए अलग से पैसे की मांग किया जा रहा है. जो कि बहुत ही शर्मनाक बात है। मामले में जिले के प्रभारी व स्वास्थ्य मंत्री को दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये। मुंगेली में प्रभारी मंत्री के बहुत सारे शुभचिंतक है जो उन तक ये बात पहुंचा सकते है।
नेताओं और मंत्रियों के जन्मदिन पर अस्पतालों में फल बांटने वालों को ऐसे मानवता शर्मसार करने वाले मामले में कोई विशेष भूमिका नही रहती और न ही अस्पताल की अव्यवस्था पर कभी कोई शिकायत या मांग की जाती है। यदि किसी भी बड़े नेता या किसी मंत्री का जन्मदिन आता है तो उसके सर्मथक, नेताओं, जनप्रतिनिधिगणों द्वारा गिनती के फल और बिस्कुट मरीजों को देते हुये ऐसी मुस्कुराहट वाली मुद्रा में फोटो खिचवाते है मानों वे उस मरीज पर एहसान कर रहे हो या मरीज के उपर होने वाले सारे स्वास्थ्य संबंधी निजी खर्च वे ही वहन कर रहे हो ? पर फल वितरण करने वालों ने कभी ये जानने की कोशिश ही नही की मरीजों को अस्पताल में क्या तकलीफ या कमी है। उन्हें केवल फोटो खिचवाकर सोशल मिडिया में वाहवाही लूटने में मजा आता है।

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन ने अपनी गलती छिपाने एक खण्डन पत्र जारी किया जो कि बहुत ही हास्यपद है—