मुंगेली/ मुंगेली जिला बन तो गया पर जिला होने का लाभ जिलेवासियों को नही मिल पा रहा। कई विभागों के अधिकारियों की मनमानी के चलते आम जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार और लापरवाही जिले में इस कदर हावी है कि जनता की समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नही है। वर्तमान में पदस्थ जिले के कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे की सक्रियता और तत्परता की वजह से अभी कुछ हद तक विभागों में लापरवाही करने वालों पर लगाम लगी है, परंतु कई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कुछ सत्तापक्ष के छुटभैये नेताओं को अपना आका बना बैठे है जिसके कारण वे कलेक्टर के आदेशों की भी अवहेलना करने नही चुकते। कई विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का यही हाल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में लगभग 15 दिनों पूर्व मुंगेली की एसडीएम रूची शर्मा और नपा के जनप्रतिनिधिगण शहर के वार्डो की समस्या जानने निकले, समस्या जानने वाले अधिकारीगण शहर के प्रमुख शंकर मंदिर नंदी चोैक पहुंचे, जहां लोगों की समस्याओं का अंबार था, आसपास के रहवासियों एवं जनप्रतिनिधियों ने एसडीएम और अन्य अधिकारियों को अवगत कराया कि नंदी चोैक के सामने गली में पंप में खराबी हो जाने के कारण पानी की भारी समस्या है साथ ही नंदी चोैक के सामने के बड़े ब्रेकर में एक बहुत बड़ा गढ्ढा है जिसमें जाली लगा हुआ है परंतु वह जाली नीचे की तरफ धस गया है और उस गढ्ढे के सामने ही एक और बड़ा और गढ्ढा है, जहां अक्सर पानी भरा रहता है। उस पानी भराव वाले गढ्ढे और उस जालीनुमा बड़े गढ्ढे में आये दिन कई दुर्घटनायें होती रहती है। राहगीरों एवं आसपास के लोगों ने बताया कि नंदी चैक वाले गढ्ढे में आये दिन कोई न कोई वाहन सवार उस गढ्ढे में गिर जाता है और कई बार महिलाओं और बच्चों को भी काफी चोटे आ चुकी है, गिरने वाले बाईक सवारों को आसपास के लोगों द्वारा कईयों बार उठाया गया गया है, वार्डवासियों ने बताया कि एसडीएम और नगर पालिका के लोग यहां की समस्या देखने आये थे और जल्द ही गढ्ढे और पानी व्यवस्था दुरूस्त करने की बात कही गई थी परंतु आज करीब दो सप्ताह हो गया न ही पानी की समस्या सुधरी और न ही गढ्ढे की मरम्मत हुई। वार्डवासियों के लिये नंदी चोैक के सामने ही नगर पालिका ने टेंकर व्यवस्था तो कर दी परंतु उस खराब बोर को अभी तक नही बनाया गया है और न ही गढ्ढे की मरम्मत की गई, जिससे लोगों में समस्या जानने आये अधिकारियों के प्रति काफी रोष देखा गया। मामले में यह बात तो स्पष्ट है कि अधिकारियों के द्वारा भी नेताओं की तरह त्वरित आश्वासन दे दिया गया उसके बाद उनका उन समस्याओं से कोई सरोकार नही रहा। नेताओं को चाहिये कि वे समस्या जानने वार्डो में गये है तो इसका प्रचार सोशल मीडिया में तो करते है परंतु समस्या निराकरण के लिये उनकी निष्क्रियता समझ से परे है। अब देखना है कि शंकर मंदिर नंदी चोैक वाले क्षेत्र में पानी और गढ्ढे की समस्या के लिये अधिकारियों द्वारा क्या पहल की जाती है।