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अवैध काम्प्लेक्स मामला – मुंगेली नगर पालिका में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के पीछे असली मास्टरमाइंड कौन ? तालाब पाटकर बना रहे अवैध काम्प्लेक्स की फाईल गायब करने आखिर किसका हाथ ? जनप्रतिनिधियों की चुप्पी समझ से परे… क्या फाईल गायब करने वालों पर होगी FIR ?

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मुंगेली/ मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र में तालाब पाटकर बनाये जा रहे अवैध काम्प्लेक्स के मामले में नगर पालिका के अधिकारी और जनप्रतिनिधिगण चुप्पी साधे हुए हैं हो सकता हैं कहीं न कहीं उनका इस मामले में स्वार्थ सिद्ध हो रहा हैं, मुंगेलीवासियों ने कहा कि नगर पालिका मुंगेली में वरिष्ठ और नए जनप्रतिनिधियों के होने के बाद भी कार्यालय से फाइल गायब हो जाना शर्मनाक हैं, कोई भी निर्माण कार्य या काम चाहे वह छोटा हो या बड़ा जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में होना चाहिए, वहीं नागरिकों ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को कमीशन से फुर्सत नहीं मिलता, जिसके चलते वे जनहितैषी मुद्दों को दरकिनार कर देते हैं। काम्प्लेक्स विवाद ने नपा के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की पोल खोल कर रख दी हैं, नए प्रभारी CMO के हस्ताक्षर से जारी काम्प्लेक्स निर्माण पर विवाद गहराता दिख रहा हैं क्योंकि जिला प्रशासन के अधिकारियों से इसकी शिकायत कर कार्यवाही की मांग की गई हैं।
अब प्रश्न यह उठता हैं कि नगर पालिका मुंगेली की कमान किसके हाथों में हैं ? साथ ही नपा में हो रहे भ्रष्टाचार व अनियमितता का मास्टरमाइंड आखिर कौन हैं ? इस बात पर मुंगेलीवासियों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नपा में जो जनहित मुद्दों की अनदेखी करें, नगर में गलत निर्माण कार्य होता देख चुप रहे, साथ ही कमीशनखोरी जिसकी पहली प्राथमिकता हो ऐसा हर वो जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार और अनियमितता को बढ़ावा देने मास्टरमाइंड की श्रेणी में आता हैं, क्योंकि जनप्रतिनिधियों को जनता ने इस उम्मीद और विश्वास के साथ चुनकर भेजा हैं ताकि वे शहर का विकास करें, न कि स्वयं का…। तालाब पाटकर बनाये जा रहे काम्प्लेक्स की फाइल गायब करने में आखिर किसका हाथ हैं, और प्रभारी CMO को किसने अधिकार दिया हैं जो फाइल को अपने साथ अन्य दूसरे शहर या घर ले जाये, क्या इस फ़ाइल में कुछ और रहस्य छिपे हुए हैं ? या इसमें अभी और कुछ छेड़छाड़ करना बाकी हैं ? अब नागरिकों और नेताओं की ओर यह मांग उठ रही हैं कि जिसने भी फ़ाइल गायब किया हैं उसके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, परंतु यह केवल बोलने की बातें हैं सही मायने में कमीशनखोर नेता या जनप्रतिनिधि केवल बोल सकते सकते हैं पर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करवाने उनके पसीने छूट जाते हैं साथ ही मैनेजमेंट का भी सवाल रहता हैं, लोगों ने कहा कि नपा में वरिष्ठ और नए जनप्रतिनिधि मौजूद हैं और नगर पालिका द्वारा कराए गए कार्यो की जानकारी उन्हें होती हैं अगर जानकारी नहीं हैं तो इसका मतलब वे निष्क्रिय जनप्रतिनिधि हैं ? अब देखना यह हैं कि नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मामले में क्या कार्यवाही की जाती हैं। साथ ही नियम विरुद्ध जाकर NOC देने वाले प्रभारी CMO पर अब क्या कार्यवाही होती हैं यह देखने वाली बात हैं। नगर पालिका सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिलासपुर संभाग के एक पूर्व मंत्री के फोन आने के दबाव के चलते इस कॉम्प्लेक्स को अनुमति दी गई हैं, जिनका नगरीय निकाय में अक्सर दखल रहा हैं, फिर भी नपा के अधिकारियों को नियम विरुद्ध काम करने से पहले सोचना चाहिए था जो उन्होंने ऐसा नहीं किया ?