मुंगेली/ विगत कई दिनों से नगर में घूम रहे एक ऊंट को नगर पालिका द्वारा करोड़ों के भ्रष्टाचार वाले खंडहर रूपी गार्डन में छोड़ दिया गया था, जहां उस ऊंट की मौत हो गई थी। उस खंडहर रूपी गार्डन के सामने ही स्टेडियम है जहां बहुत लोग अपने घूमने व कसरत अभ्यास के लिये सुबह शाम आते-जाते रहते है, ऊंट की मौत के बाद से आसपास क्षेत्र में पूरी तरह से बदबू फैल रहा था, जिसकी लोगों ने शिकायत की थी। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऊंट की मौत के बाद उसे पास में दफना दिया गया, अब सवाल यह उठता है कि नगर पालिका जिसने उस बीमार ऊंट को अपने संरक्षण लेकर गार्डन में रखा गया था तो उस ऊंट के अचानक हुये मौत का जिम्मेदार कौन होगा ? और उस ऊंट की मौत की वजह जानने नगर पालिका और जिला प्रशासन ने मृत ऊंट का पोस्टमार्टम कराना उचित क्यों नही समझा ? सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ऊंट के मौत के बाद बगैर पोस्टमार्टम के उसे दफना दिया गया। ऐसे में कई सवाल शहरवासियों ने खड़े किये है, जिससे नगरपालिका और जिला प्रशासन कटघडे में आ सकती है ? जानकारों की माने तो जिसने भी इस ऊंट को बीमार अवस्था में छोड़ शहर से चले गये उनके खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अध्याय 3 की धारा 1 (ज)(झ)(ञ) और धारा 2 (1) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। मानवीय दृष्टिकोण की बात करें तो इस मामले में जब नगरपालिका ने जब बीमार ऊंट को अपने संरक्षण में लिया था तब उक्त पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कराना था, भले ही यह मामला संदेही या अज्ञात लोगों के खिलाफ पंजीबद्ध किया जाता। बहरहाल लोग भी इस मामले में यह कह रहे है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नगर पालिका और जिला प्रशासन के अधिकारी दोषी है क्योंकि जब यह मामला सामने आया तो विशेष संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही की जानी थी और इस गार्डन में यदि ऊंट को रखना भी तो तो विशेष देखरेख, सुरक्षा उपायों को ध्यान रखा जाना था। अब देखते है कि इस मामले में जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करती है। और उस ऊंट की मौत की वजह स्पष्ट कराने क्या पहल की जाती है ?