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नगर पालिका मुंगेली के अधिकारियों की लापरवाही से गई बेजुबान ऊंट की जान…लगभग 2 करोड़ के भ्रष्टाचार वाले खंडहर रूपी गार्डन में मरने छोड़ दिया था नपा ने… न ही वहां पानी की व्यवस्था और न ही छांव की…

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मुंगेली/ अभी हाल ही में कुछ दिनों पहले शहर में एक ऊंट को गली गली भटकते देखा जा रहा था, जो बच्चों के लिये आर्कषक का केन्द्र बना हुआ था तो वहीं दूसरी ओर बेजुबान ऊंट अपनी पीड़ा किसी से व्यक्त नही कर पा रहा था…महिनों पहले अन्य राज्य से खानाबदोश समूह के द्वारा ऊंट शहर लेकर आया गया था, जिसमें एक ऊंट बीमार पड़ गया और इसी कारण उस ऊंट को मुंगेली में छोड़ दिया गया. वह ऊंट नगर में भटक कर एक खुली नाली में गिर गया, जिसके बाद नगर पालिका को सूचना मिलने पर उस ऊंट को नाली से निकाला गया और यह बात सामने आयी कि उस ऊंट का क्या किया जाये और कहां रखा जाये…इस ऊंट को सुरक्षित व निर्धारित स्थान पर भेजने की बजाय नगरपालिका के अधिकारी एवं कुछ लोगों के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि उस ऊंट को वीरान पड़ी गार्डन में रख दिया जाये, परंतु इन्होंने यह नही सोचा कि करोड़ों के भष्टाचार की भेंट चढ़ी इस गार्डन में ऊंट को रखना उचित है या नही ? साथ ही इसकी देखभाल का जिम्मा किसका होगा ? फिर भी आखिरकार ऊंट को खंडहर पड़े गार्डन में छोड़ दिया गया, परंतु नगर पालिका अधिकारियों एवं अन्य लोगों ने उस ऊंट की सुरक्षा, ईलाज और पीने हेतु पानी मुहैय्या कराने नही सोचा…जिसके चलते कुछ दिनों वहां रहने के बाद ऊंट की दर्दनाक मौत हो गई, आखिर इस बेजुबान ऊंट की मौत का जिम्मेदार कौन है ? आपको बता दे कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी का निवास स्थान भी उसी गार्डन के सामने ही है ऐसे में बेजुबान ऊंट का मौत होना मानवीयता को शर्मसार करता है अब देखना है कि इस पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ? खंडहर में तब्दील हो चुके गार्डन पर ऊंट को छोड़ने के बाद उपस्थित अधिकारियों एवं अन्य लोगों ने उस समय नेताओं जैसे वायदे भी किये थे कि ऊंट का ईलाज यही कराया जायेगा तथा उसके लिये शेड बनाया जायेगा, परंतु ऊंट को छोड़ने के बाद सभी अपने अपने काम मे लग गये और इस बेजुबान ऊंट की मौत हो गई। स्टेडियम टहलने वाले लोगों ने बताया कि उस ऊंट की मौत हुये लगभग 2-3 दिन हो गये है और आसपास पूरी तरह से बदबू फैल चुकी है।

आपको बता दे कि लगभग दो करोड़ की लागत से नवागढ़ स्थित यह गार्डन बनना था परंतु पूरी राशि आहरित कर ली गई और गार्डन नही बन सका और वर्तमान में यहां गार्डन की बजाय खंडहर है, उक्त गार्डन की प्रथम जांच जिला प्रशासन द्वारा करायी गई थी जिसमें भ्रष्टाचार होना पाया गया था, तथा दूसरी जांच राज्य स्तरीय जांच दल द्वारा की गई थी, जिसमें भी आरोप लगभग तय है उसके बाद भी उच्चाधिकारियों द्वारा गार्डन मामले में कोई कार्यवाही नही की जा रही है। गार्डन निर्माण होते ही यह भ्रष्टचार की भेंट चढ़ गया है उसके बाद से जितने भी कलेक्टर या मुख्य नगर पालिका अधिकारी आये उनके द्वारा गार्डन को खोलवाने से परहेज किया जाता रहा है क्योंकि हाईप्रोफाईल हुये इस भ्रष्टाचार की शिकायत अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से शिकायत की चुकी है, और वर्तमान में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका हेतु तैयारियां भी पूरी हो चुकी है बावजूद इसके अभी हाल ही में नवपदस्थ मुख्य नगर पालिका द्वारा उस विवादित गार्डन को खोलवाकर बेजुबान ऊंट को इस खंडहर पड़े गार्डन में भेज दिया गया। ऊंट की मौत के बाद शहरवासियों के द्वारा सोशल मिडिया में ऊंट की मौत को लेकर कई तरह के सवाल उठाये जा रहे है।