मुंगेली/ मुंगेली जैसे ही जिले के रूप में अस्तित्व में आया वैसे ही अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और छुटभैये नेताओं की मौज हो गई है, और वे खुलकर भ्रष्टाचार को अंजाम देकर अपनी जेंबे गरम करने में लगे हुये है। निर्माण व मरम्मत कार्य के नाम पर खानापूर्ति कर उसके भुगतान से अपने घरों का राशन भरने वाले और राजशाही से रहने वाले अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने शहर को पूरी तरह तबाह कर के रख दिया है, यदि मामले गिनाया जाये तो शायद शब्द कम पड़ जाये। परंतु समझ में ये नही आता कि इस भ्रष्ट अधिकारियों और जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार कर जनता और शासन की राशि में गफलत कर उसे डकारने की इजाजत किसने दी है ? इन भ्रष्ट अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कहीं न कही उनके आका जो कि बड़े-बड़े राजनितिक पदों में है उनका संरक्षण प्राप्त हो सकता है ?
जानकारी के अनुसार नवागढ़ रोड स्थित गार्डन के लिये लगभग 1 करोड़ 59 लाख रूपयें स्वीकृत हुये थे, इस गार्डन निर्माण की पूरी राशि आहरित भी की जा चुकी है परंतु यहां गार्डन केवल कागजों में ही निर्मित हुआ है। गार्डन निर्माण में नगर पालिका के अधिकारियों सहित ठेकेदार और नेताओं द्वारा जनता की राशि को डकार लिया गया है। यह गार्डन जो कि निर्धारित समय में न ही बन सका और न ही इस गार्डन निर्माण में किसी प्रकार कि कोई पारदर्शिता या ईमानदारी बरती गई। मुंगेली को जिला बने करीब 7 वर्षो से अधिक हो गया परंतु यहां अभी तक एक भी गार्डन का निर्माण नही हो सका, और जिस गार्डन का निर्माण हो जाना था, वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इसके लिये नगर पालिका के अधिकारी और जनप्रतिनिधिगण जितने दोषी है, उतने ही दोषी यहां के यहां के उच्चाधिकारी और वरिष्ठ जनप्रतिनिधिगण भी है, कारण स्पष्ट है कि जब जिले के विकास संबंधी कार्यो की अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा समीक्षा बैठकें ली जाती है तो ये अधिकारी और जनप्रतिनिधिगण क्या करते है ? गार्डन भ्रष्टाचार मामले में तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा सर्वप्रथम इस गार्डन निर्माण की लोक निर्माण विभाग तथा उद्यानिकी विभाग के द्वारा जांच कराई गई, जिसमें जांच दल को नगर पालिका में गार्डन निर्माण की पूरी फाईल नही मिली, फिर भी देर से ही सही जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि नगर पालिका द्वारा निर्माण किये गये गार्डन में भ्रष्टाचार हुआ है। इसके बाद कलेक्टर के द्वारा कार्यवाही न कर इस गार्डन भ्रष्टाचार मामलें में विस्तृत जांच हेतु सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर को पत्र क्रमांक/4773/शिकायत/मु.स./राजस्व-177/2017 दिनांक 05/08/2017 को भेज दिया गया, जिसमें काफी मशक्कत के बाद दिनांक 9 फरवरी 2018 को उच्च स्तरीय जांच दल के द्वारा गार्डन में हुये भ्रष्टाचार पर जांच की कार्यवाही संपन्न कर ली गई। परंतु आज लगभग 1 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रायपुर से गठित जांच टीम के द्वारा गार्डन की जांच रिर्पोट नही सौपीं जा सकी है और न ही कोई ठोस कार्यवाही की गई, विभाग द्वारा आरोप पत्र के लिये संचालक को लिखने की बात का बहाना बना मामले को दबाने की तैयारी की जा रही है। अब इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पत्र लिखकर जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की गई है।