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मुंगेली-सीवी रमन विवि के परीक्षा केन्द्र में नकल मामलें में ADM और DEO ने मारा छापा, मिली कई अनियमिततायं…लगाई फटकार…नकल कराने के बदले सभी से लेते थे 2000 रूपये… नहीं देने पर एक छात्र को निकाला परीक्षा हाल से बाहर…

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मुंगेली / शिक्षा जगत को कलंकित करने और फर्जी डिग्री मामले में प्रसिद्धि हासिल करने वाले बिलासपुर जिले के कोटा में स्थित डाॅ. सीवी रमन विश्वविद्यालय शुरू से ही सुर्खियां बटोरते आया है साथ ही अपने फर्जीवाड़े के बलबूते पर उंचे-उंचे भवनों और शानों पर टिके इस विश्वविद्यालय पर शासन-प्रशासन का किसी प्रकार का कोई अंकुश नही रहा है जिसके चलते ये शुरू से अपनी मनमानी करते आया है। अभी हाल ही में मुंगेली में सीवी रमन विश्वविद्यालय के द्वारा होने वाले परीक्षा में बीआरसाव स्कूल को परीक्षा केन्द्र बनाया गया था, जहां आज डीसीए की परीक्षा भी थी, परंतु यहां एक छात्र को केवल इसलिये परीक्षा से बाहर कर दिया गया क्योंकि वह नकल करने दो हजार रूपये नही दे सका… उसके बाद उस छात्र के द्वारा कलेक्टर मुंगेली से शिकायत की गई जिसके चलते कलेक्टर ने एडिशनल कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी की संयुक्त टीम बनाकर परीक्षा केन्द्र में छापा मार की कार्यवाही की, जब तक छापे के लिये टीम पहुंचती परीक्षा हो चुकी थी और द्वितीय पाली की परीक्षा 2 बजे शुरू होनी थी, जांच टीम ने पाया कि परीक्षा आयोजन हेतु जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को किसी प्रकार की कोई सूचना नही दी गई थी और न ही अनुमति लिया गया था, केवल स्कूल के कुछ स्टाफ के भरोसे यह परीक्षा संचालित हो रहा था और वह स्टाफ भी गायब था, साथ ही जांच टीम को सबसे बड़ी खामी यह मिली कि 2 बजे होने वाले परीक्षा के प्रश्न पत्र सुबह से ही खुले हुये थे, जिस पर जिम्मेदार स्कूल स्टाफ द्वारा गोलमोल जवाब दिया जा रहा था, और जांच टीम के द्वारा लगातार परीक्षा लेने वाले व परीक्षा केन्द्र प्रभारी को फटकार लगाई जा रही थी, साथ ही परीक्षा निरस्त करने की बात भी कही जा रही थी। शिकायतकर्ता छात्र ने जांच टीम को बताया कि परीक्षा के एक दिन बाद या एक दिन पहले प्रश्न पत्र और उत्तरपुस्तिका उपलब्ध करा दिया जाता है और किताब देख उसका जवाब लिखा जा सकता है,,, इस तरह की गंभीर शिकायत के बाद भी जांच टीम के द्वारा कोई गंभीर कार्यवाही न करते हुये केवल टालमटोल कर 3-4 दिनों में जांच पूरी कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया तथा सीवी रमन विवि एवं बीआरसाव स्कूल प्रबंधन को नोटिस देने की बात भी जांच दल ने कही।
पूरे मामले में एक बात समझ में नही आया जब शिकायत स्वयं छात्र के द्वारा सामूहिक नकल मामले को लेकर की गई और प्रश्न पत्र कई घंटों पहले खुला पाया गया…और जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की वगैर जानकारी या अनुमति के किसी भी विवि की परीक्षा लेना कितना उचित है ? क्या इस पर कार्यवाही किया जाना उचित नही है ? जांच के दौरान जांच टीम के द्वारा बड़ी-बड़ी कार्यवाही की बात की जा रही थी परंतु बाद में वे भी शांत हो गये…इसी बीच कई लोगों ने जांच पर संदेह व्यक्त करना भी शुरू कर दिया गया, अब देखना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुये जांच दल के द्वारा क्या जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाती है और इस मामले में आगे क्या कार्यवाही होती है ?