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मुंगेली में बाल विवाह की रोकथाम हेतु समिति गठित…..रामनवमी एवं अक्षय तृतीया पर रहेगी नजर

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स्वतंत्र तिवारी
मुंगेली / जिले में रामनवमी व अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की आशंका देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा पुलिस विभाग, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जनपद पंचायतों के सीईटो व महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी जिला बाल संरक्षण इकाई, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, सरपंच/सचिव समस्त ग्राम पंचायतों की समिति बनाई गई है। समिति द्वारा ग्राम पंचायत में सरपंच, सचिव, पंच व समस्त ग्रामवासियों से बाल विवाह रोकने के लिए सहयोग करने के लिए अपील किया जायेगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र कश्यप ने बताया कि बाल विवाह के रोकथाम के लिए गांव में कोटवार से मुनादी कराया जायेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए सूचना तंत्र प्रभावी है। जिले में कहीं पर भी बाल विवाह होने की सूचना मिलते ही समिति द्वारा संबंधित परिवार को समझाईश देकर तत्काल बाल विवाह रूकवाया जायेगा। ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्य सरपंच, पंचायत सचिव, शिक्षक, कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बाल विवाह की सूचना तत्काल पहुंचायेंगे।
बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जिसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकार का उल्लंघन है। बाल विवाह के कारण बच्चे पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार, अच्छा स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने के मूलभूत अधिकारों से वंचित हो जाते है और बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। बाल विवाह की सूचना मिलने पर तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, अनुविभागीय अधिकारी, ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, महिला हेल्प लाईन 181 पर सूचना दे सकते है।
ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह करने वाले माता-पिता, विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार, विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। अधिनियम के तहत 02 वर्ष के कठोर सश्रम कारावास तथा 01 लाख के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जाने का प्रावधान है।