42000 बेड की होगी जरूरत
नईदिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश की राजधानी में आने वाला वक्त बेहद खराब हो सकता है. पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की कमेटी ने ऐसी आशंका जताई है. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जून के अंत तक दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद 1,00000 तक पहुंच सकती है. साथ ही उन्होंने कहा है कि जुलाई के मध्य तक तकरीबन 42,000 बेड की जरूरत होगी, जिससे जरूरतमंदों का इलाज किया जा सके. इस कमेटी ने मुंबई और अहमदाबाद जैसे सबसे बुरी तरह से प्रभावित महानगरों के ट्रेंड का विश्लेषण करते हुए सुझाव दिया है. विशेषज्ञों की कमेटी का गठन कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए योजना बनाने में सरकार की मदद करने और स्वास्थ्य सुविधाओं पर अपनी सुझाव देने के लिए की गई थी. समिति ने 6 जून को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हालांकि, इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में कमेटी के एक सदस्य के हवाले से यह बात कही गई है.
कमेटी के इस सदस्य ने रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर बात करते हुए बताया कि जून के अंत तक 15,000 और जुलाई मध्य तक 42,000 बेड की जरूरत होगी. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली में फिलहाल कोविड-19 संक्रमितों के लिए 8,600 बेड हैं, जिनमें से तकरीबन 49 प्रतिशत बेड पर पहले से ही मरीज इलाजरत हैं. अब दिल्ली सरकार जून मध्य बेड की संख्या 9,800 तक करने पर काम कर रही है.
दरअसल, दिल्ली सरकार ने डॉक्टर महेश वर्मा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति गठित की थी. कमेटी अपने सुझाव केजरीवाल सरकार को सौंप दी है. दिल्ली कैबिनेट की बैठक के बाद इस पर लिए जाने वाले फैसले का ऐलान किया जाएगा. इस बीच, डॉक्टर वर्मा ने कहा कि दिल्ली में फिलहाल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 25,000 है जो हर 14 से 15 दिनों में यह तादाद दोगुनी हो रही है. ऐसे में जून के मध्य तक संक्रमितों की तादाद 50,000 तक पहुंचने की आशंका है और महीने के अंत तक इस खतरनाक संक्रमण से 1 लाख लोग ग्रसित हो सकते हैं. डॉक्टर वर्मा ने कहा कि एक आकलन के अनुसार, इनमें से 20 से 25 फीसद संक्रमितों को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ेगा. ऐसे में जुलाई मध्य तक दिल्ली में 42,000 बेड की जरूरत पड़ेगी।