एयर इंडिया यूनियनों ने चेताया
मुंबई। एयर इंडिया के पायलट यूनियनों इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) और इंडियन कमर्शियल पायलट्स असोसिएशन (आईसीपीए) ने अपनी लंबित वित्तीय और अन्य मांगों का समाधान न होने का मुद्दा उठाते हुए धमकी दी है कि उनके लिए एयरलाइन के ‘सामान्य परिचालन बहाल करने में सहयोग करना संभव नहीं होगा। दोनों यूनियनों ने एक युक्त पत्र में कहा है कि पायलट इन मुद्दों के रहते उड़ान ड्यूटी और समय की सीमा (एफडीटीएल) के मामले में अपना समर्थन नहीं दे पाएंगे।
यूनियनों का आरोप है कि कर्मचारियों के वित्तीय और अन्य मुद्दों को अब तक हल नहीं किया गया है। दोनों यूनियनें बोइंग और एयरबस विमानों का परिचालन करने वाले पायलटों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यूनियनों ने कार्मिक विभाग को संयुक्त पत्र भेजकर जानना चाहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से एयरलाइन ने लागत कटौती के जो विभिन्न उपाय किए हैं, उनका नतीजा क्या रहा है।
आईपीजी और आईपीसीए का यह पत्र ऐसे समय आया है, जब घरेलू मार्गों पर वाणिज्यिक उड़ानें 25 मार्च से शुरू होने जा रही हैं। कोविड-19 संकट की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते करीब दो माह पहले घरेलू के साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन बंद कर दिया गया था। एयर इंडिया ने लागत कटौती के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें पायलटों के विशेष भत्तों और अपने अधिकारियों के लिए अन्य सुविधाओं को वापस लेना शामिल है। इसके अलावा, केबिन क्रू को छोड़कर सभी कर्मचारियों के भत्तों में 10 प्रतिशत की कटौती की गई है।
दोनों यूनियनों ने शनिवार को भेजे पत्र में कहा है कि हमने अपनी खराब होती वित्तीय स्थिति की जानकारी पर्याप्त नोटिस के समय के साथ आपको दे दी थी। इनपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी के मद्देनजर हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हम संभवत: एफडीटीएल और सामान्य परिचालन में सहयोग नहीं दे पाएंगे। यूनियनों ने मांग कि है कि प्रबंधन कर्मचारियों के मुद्दों पर ध्यान दे तथा एयरलाइन के लिए जबरिया राजस्व सृजन के कदम उठाना बंद करे।
आईपीजी और आईसीपीए दोनों ने सात मई को नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र भेजकर उनके लिए तत्काल वित्तीय समर्थन की मांग की थी। पत्र में कहा गया था कि एयरलाइन प्रबंधन ने लंबे समय से कर्मचारियों वेतन का भुगतान समय पर करने की मांग को गंभीरता से नहीं लिया है।