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स्वास्थ्य मंत्री के प्रभारी जिले में निजी हाॅस्पिटल शासन के नियमों की उड़ा रहे धज्जियां… कोरोना संकट काल में हाॅस्पिटल बंद कर भागे निजी चिकित्सक… महिलाओं,बीमार बच्चों व मरीजों को हो रही भारी परेशानी…

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मुंगेली/ वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है साथ ही देश में भी कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों की भी संख्या लगातार बढ़ रही है, पूरे देश में चरणबद्ध तरिके से लाॅकडाउन लागू है, धार्मिक संस्थान भी बंद है, ऐसे में लोग डाक्टर को ही भगवान का स्वरूप मान रहे है परंतु यदि डाॅक्टर ही अपने कर्तव्यों से विमुख होने लगे तो उन्हें भगवान तो दूर, इंसान कहना भी गलत होगा। इसका उदाहरण मुंगेली में देखने को मिला जहां शासन के आदेश के बाद भी मरीजों के लिये निजी हाॅस्पिटल नही खुल रहे, और न ही डाक्टर उपलब्ध हो पा रहे।
मुंगेलीवासियों के बताये अनुसार मुंगेली में निजी तौर पे केवल गिने-चुने ही शिशु रोग उपलब्ध है जिसमें डाॅ. संजय अग्रवाल और डाॅ. संतोष बघेल मुख्य रूप से तथा स़्त्री रोग विशेषज्ञ में डाॅ. सुषमा अग्रवाल शामिल है जिसमें वर्तमान में केवल डाॅ. संतोष बघेल ही अपनी सेवायें दे रहे है, परंतु डाॅक्टर संजय अग्रवाल और डाॅ. सुषमा अग्रवाल का अता-पता नही है, जब लाॅकडाउन नही था उन दिनों अग्रवाल हाॅस्पिटल में मरीजों की इतनी भीड़ होती थी कि खड़े होने जगह नही रहता था क्योंकि अग्रवाल हाॅस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. संजय अग्रवाल और स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुषमा अग्रवाल थे, ये इन्हीं का निजी हाॅस्पिटल है,  मुंगेलीवासियों के बताये अनुसार जब से लाॅकडाउन के पहले चरण की धोषणा हुई तब से लाॅकडाउन होने के बाद से आज तक यह हाॅस्पिटल नही खोला गया, जिससे उन अभिभावकों को जिनके बच्चें बीमार हो रहे, या जिनका ईलाज डाॅ. संजय अग्रवाल के पास लगातार जारी है या गर्भवती सहित अन्य महिलायें तथा इस हाॅस्पिटल में जो शुरू से बच्चों को टीके लगवाते रहे है उन सभी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, अग्रवाल हाॅस्पिटल के आसपास के लोगों का कहना है कि जब से लाॅकडाउन लागू हुआ है तब से ये हास्पिटल नही खुला है बीच में दो-तीन दिन डाॅक्टर आये थे, उसमें भी केवल स्टाॅफ को मासिक भुगतान करने आने का कारण बताया गया, भले ही शिकायत के डर से गिनती के मरीज को देख लिया गया हो ? परंतु आज तक अग्रवाल हाॅस्पिटल बंद है। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी इस मामले में किसी प्रकार की कोई संज्ञान नही ली गई, हो सकता है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग किसी शिकायत की प्रतिक्षा कर रहा है परंतु वर्तमान समय में डाॅक्टर के खिलाफ शिकायत कर कोई भविष्य में अपना नुकसान नही करना चाहेगा। मुंगेली जिम्मेेदार लोगों के द्वारा छग शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सचिव निहारिका बारिक को फोन कर मामले की जानकारी देनी चाही परंत उन्होंने फोन नही उठाया, जिसके चलते राज्य शासन के अधिकारी कितने जिम्मेंदार है यह प्रतीत होता है ?
राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने दिनांक 12.04.20 को आदेश जारी कर प्रदेश के सभी निजी चिकित्सालयों एवं नर्सिग होम संचालकों को कहा था कि कोविड-19 के अतिरिक्त अन्य मरीजों हेतु आवश्यक चिकित्सकीय सेवाओं की निरंतरता बनाये रखने के लिये दिशा-निर्देश जारी किया गया था, इस आदेश में उल्लेख किया गया था कि कोविड-19 के कारण निजी चिकित्सा संस्थानों द्वारा अस्पतालों का संचालन संपूर्ण रूप से बंद कर दिया है जिसके कारण आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बाद शासन ने जारी आदेश में कहा कि वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण के कारण यह आवश्यक है कि आम जनता के लिये आवश्यक चिकित्सकीय सेवाओं की निरंतरता बनाये रखने सभी निजी अस्पतालों एवं नर्सिग होम को संचालित किया जाये साथ ही सुरक्षा मानक भी तय कर दिया गया था। शासन के इस आदेश के बाद भी अग्रवाल हाॅस्पिटल नही खोला गया और औपचारिक मात्र हाॅस्पिटल के बाहर मोबाईल नम्बर चस्पा कर हाॅस्पिटल संचालकों द्वारा अपना पल्ला झाड़ दिया गया। डाक्टरों के इस प्रकार के रवैये से सभी क्षेत्रवासी आक्रोशित है परंतु कोरोना संकट काल में लोग आखिर किसे शिकायत करें ? अग्रवाल हाॅस्पिटल के बंद होने पर जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी हैं, कई जनप्रतिनिधियों ने यहां तक कहा कि जब कोरोना वायरस नही फैला था जब अग्रवाल हाॅस्पिटल में मरीजों की लाईन लगती थी परंत अब डाक्टर खुद कोरोना के भय से अस्पताल नही खोल रहे ऐसे में मरीजों को ईलाज कौन करेगा, मंगेली की जनता के बताये अनुसार अग्रवाल हाॅस्पिटल में मुंगेली जिले की सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ वहीं रहती थी अब कोरोना संकट काल में वे डाॅक्टर ही अपने जिम्मेंदारियों एवं कर्तव्यों से भाग खड़े हुये। क्षेत्र के लोगों ने यह भी संभावना जताया कि जो प्रभारी अधिकारी होंगे उन्हें इन डाक्टरों द्वारा मोटी रकम खिला दी गई होगी तभी वे शासन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है और अपना क्लिनिक बंद कर दिये है, जिन पर कोई कार्यवाही नही हो रही ? कुछ मरीजों ने कहा कि जिला अस्पताल में आये दिन लापरवाहियों और डाॅक्टरों की कमी के चलते वे निजी अस्पताल जाने भी मजबूर है।

इन्होंने ये कहा –
संजय सिंह ठाकुर (पार्षद) – आज देश में वैश्विक महामारी फैली हुई है और आज की स्थिति में डाक्टर ही भगवान है और इस विषम परिस्थतियों में जब उनकी नितांत आवश्यकता है ऐसे समय में अगर वे क्लिनिक नहीं खोलते है तो इससे गलत तो कुछ हो ही नही सकता और उनके उपर कार्यवाही होनी चाहिये और उनका लायसेंस रद्द होना चाहिये।

राणा प्रताप सिंह (नगर अध्यक्ष भाजपा) – जिला प्रशासन को संबंधित अस्पताल को नोटिस देना चाहिये और अगर उसके बाद भी अस्पताल नही खोला जाता तो उन पर कार्यवाही होना चाहिये, डाक्टर को मानवता दिखाते हुये स्वयं शासन के सुरक्षा नियमों-निर्देशों का पालन कर अपना अस्पताल खोलना चाहिये।