बिलासपुर संभाग/ जब अचानक से किसी को पद -प्रतिष्ठा मिल जाये तो वह यदि उसे संभाल लिया तो ठीक है परंतु यदि नही संभाल पाया तो वह उसी के लिये दुखदायी बन जाता है । बिलासपुर विधायक के साथ भी ऐसा ही कुछ है क्योंकि वे अपनी विधानसभा चुनाव जीत को पचा नही पा रहे और आये दिन विवादों में घिरे रहते है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने पूरे देश में लाॅकडाउन और धारा 144 लागू था ऐसे में उनके बंगले में हुये भीड़ के चलते विधायक शैलेश पांडेय पर अपराध भी दर्ज हो चुका हैं।
अभी हाल ही में लगातार बढ़ रहे लाॅकडाउन से शराब दुकान भी बंद थी जिससे मदिराप्रेमियों में काफी नाराजगी और उदासी देखी जा रही थी, लाॅकडाउन के तीसरे चरण में केन्द्र सरकार ने कुछ निर्धारित नियमों के तहत ग्रीन जोन वाले जिले में शराब दुकान खोलने की बात कही थी, परंतु राजनितिक जानकारों की माने तो शराब दुकान खुलना या न खुलना यह निर्णय लेना राज्य सरकार का होता है, और छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार ने 4 मई से ग्रीन जोन जिले में शराब दुकान खोलने की अनुमति दी थी, निर्धारित तिथि में शराब दुकान खुलने के बाद कई जिलों व दुकानों में मदिराप्रेमियों ने लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ाई तो वही कई दुकानों में कतारबद्ध होकर शराब की खरीददारी की गई। अभी हाल ही में बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने शराब दुकान खुलने के बाद से खुद से ही राज्य शासन पर विरोध स्वरूप बयान देते हुुये भुपेश सरकार को कटघडे़ में खड़ा कर दिया है, पत्रकारों को दिये गये बयान में विधायक शैलेष पांडेय ने कहा कि शराब दुकान खोलने के फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये इस संबंध में उन्होंने मुख्य सचिव आरपी मंडल से चर्चा के दौरान कहा कि शराब दुकानों में जो भीड़ उमड़ रही है इस पर चिंता व्यक्त करते हुये विधायक ने मुख्य सचिव से आग्रह किया कि शराब दुकान को खोलने के निर्णय पर पुर्नविचार किया जाये और लाॅकडाउन खत्म होते तक शराब दुकान बंद रखने का आग्रह किया है। बिलासपुर विधायक के इस बयान के बाद से लोगों एवं पार्टी से जुड़े नेताओं से तरह-तरह की प्रतिक्रिया आ रही हैं। क्योंकि शराब दुकान खुलवाने का अधिकार प्रशासनिक निर्णय के बजाय शासन के निर्णय पर निर्भर या आधारित रहता है, भले ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आदेश निकाला जाता है परंतु उस आदेश का निर्णय राज्य शासन के विवेक पर आधारित माना जाता है। मंत्रालय-सचिवालय स्तर का कोई भी अधिकारी बिना मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री से सलाह ले बिना कोई आदेश निकाल ही नही सकता और वह निर्णय यदि शराब दुकान खोलने को लेकर हो तब तो और भी नही ?
विश्लेषकों का मानना है कि एक तरफ बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने मुख्य सचिव को जरिया बना भूपेश सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुये उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया है जिसे अधिकांश कांग्रेसी उचित नही मान रहे तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने शराब दुकानें खोलने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर आपत्ति करते हुये कहा कि इस आदेश पर पुनर्विचार होना चाहिये। उन्होंने आगे कहा कि शराब दुकान खुलने से लाॅकडाउन का उल्लंघन होगा, प्रदेश में अधिकांश लोग शराब दुकान खोलने के खिलाफ है लेकिन केन्द्र के आदेशानुसार उन्हें खोला गया है केंद्र को अभी इस समय शराब दुकाने खोलने की अनुमति नही देनी थी। इसमें एक बात तो स्पष्ट माना जा सकता है कि प्रदेश के इतने जिम्मेदार मंत्री केन्द्र सरकार को शराब दुकान खोलवाने का पूरा श्रेय देते हुये आरोप लगा रहे है वही कांग्रेस पार्टी के बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय अपने ही कांग्रेस सरकार को शराब दुकान न खोलने की नसीहत देते हुये शराब दुकान खोलने के फैसले पर पुनर्विचार करने कहा, जबकि कई कांग्रेसियों ने कहा कि बिलासपुर विधायक को यदि शराब दुकान के संबंध में पुनर्विचार करने या दुकान बंद करने के संबंध में कुछ कहना था तो सीधा केन्द्र सरकार के खिलाफ अपना बयान देना था जैसा कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिया परंतु राजनितिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि बिलासपुर विधायक आये दिन विवादों एवं विवादित बयानों में घिरे रहकर सुर्खियां बटोरते है, कई कांग्रेसियों ने यहां तक माना कि शैलेष पांडेय का अधिकांश कार्य या बयान भूपेश सरकार के खिलाफ होता है, बहरहाल यह कांग्रेस पार्टी के घर की लड़ाई है जिसे वे आपस में सुलझाये।