मुंबई। महाराष्ट्र में सीएम कुर्सी पर मंडराते खतरे के बीच उद्धव ठाकरे ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। महाराष्ट्र दिवस के मौके पर उद्धव गवर्नर से मिलने सुबह-सुबह राजभवन पहुंच गए। भले ही इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है लेकिन महाराष्ट्र वर्तमान परिस्थिति के लिहाज से यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। एक ओर उद्धव अपनी कुर्सी बचाने के लिए राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत होने के लिए भगत सिंह कोश्यारी की हामी इंतजार कर रहे थे। वहीं गवर्नर ने मामले को चुनाव आयोग की झोली में डाल दिया है।
उद्धव के लिए एमएलसी बनना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर उन्हें विधान परिषद की कुर्सी नहीं मिलती है तो आने वाली 27 मई को उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ेगी। उद्धव फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को उन्होंने सीएम की शपथ ली थी। लिहाजा उन्हें शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर यानी 28 मई से पहले विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना जरूरी है।
दरअसल गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी नामित करने पर फैसला टाल दिया और गेंद चुनाव आयोग के पाले में डाल दी। जानकारी के मुताबिक, भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग को पत्र लिख चुनाव कराने की मांग की है। गवर्नर ने चुनाव आयोग को लिखे गए पत्र में कहा है कि वह जल्द से जल्द महाराष्ट्र विधान परिषद की खाली पड़ी 9 सीटों पर चुनाव कराए। अब अगर चुनाव आयोग गवर्नर के अनुरोध को स्वीकार कर लेता है तो 27 मई से पहले राज्य में चुनाव हो सकते हैं।
जल्द फैसला करे चुनाव आयोग: गवर्नर
गवर्नर कोश्यारी ने अपने पत्र में लिखा है, ‘महाराष्ट्र में चुनाव हो सकते हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन के दौरान कई छूट और उपायों की घोषणा की है और चुनाव कराने संबंधी कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं।’ कोश्यारी ने कहा है कि चूंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं और उन्हें 28 मई 2020 से पहले परिषद में चुने जाने की आवश्यकता है। ऐसे में चुनाव आयोग अपनी ओर से जल्द से जल्द इस पर फैसला करे।
… तो उद्धव को देना होगा इस्तीफा
इससे पहले कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की 24 अप्रैल को खाली होने वाली 9 विधान परिषद सीटों के चुनाव को अनिश्चित समय के लिए आगे बढ़ा दिया था। अब अगर चुनाव आयोग विधान परिषद की सीटों के लिए चुनाव कराने को लेकर तैयार नहीं हुआ तो उद्धव को 27 मई को इस्ताफी देना पड़ सकता है। हालांकि इसके बाद वह दोबारा से शपथ ले सकते हैं।