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कुछ रियायतों के साथ बढ़ सकता है लॉकडाउन

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4 मई से कोरोना पर नई गाइडलाइन
नई दिल्ली।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तीन मई तक लॉकडाउन की भी समाप्त होने वाली है। इस बीच गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया कि 4 मई से नई गाइडलाइंस प्रभावी हो जाएंगी। इसका मतलब साफ है कि तीन मई के बाद भी लॉकडाउन में पूरी तरह से छूट नहीं दी जाएगी। कुछ रियायतों के साथ लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है।
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता के अनुसार कोविड-19 से लडऩे के लिए नए दिशानिर्देश 4 मई से प्रभावी हो जाएंगे, जो कई जिलों को काफी हद तक राहत देंगे। इस संबंध में विवरण आने वाले दिनों में सूचित किया जाएगा। गृह मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन की स्थिति पर एक व्यापक समीक्षा बैठक की। अब तक लॉकडाउन के कारण स्थिति में जबरदस्त लाभ और सुधार हुआ है। हम इस लाभ को आगे गंवा नहीं सकते। लॉकडाउन दिशानिर्देशों को 3 मई तक सख्ती से पालन करना चाहिए। इससे पहले बुधवार शाम में गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर, छात्र, तीर्थयात्री और सैलानियों को अपने-अपने राज्यो में वापस जाने की इजाजत दे दी। हालांकि इसके लिए राज्य की सहमति की जरूरत होगी। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए दिशानिर्देश के अनुसार दूसरे राज्यों में जाने की इजाजत सिर्फ बसों के माध्यम से ही मिलेगी और घर पहुंचने के बाद उन्हें क्वारंटीन में रहना होगा।
गृह मंत्रालय ने दी छूट
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 अप्रैल के अपने दिशानिर्देशों में बदलाव कर राज्यों को लॉकडाउन में फंसे अपने लोगों को घर ले जाने की अनुमति दे दी है। अब तक के संकेत बताते हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन अब नहीं बढऩे वाला है। अब तक वायरस से अछूते रहे या कम जोखिम वाले क्षेत्र धीरे-धीरे सामान्य जनजीवन की तरफ बढऩे वाले हैं। मसलन गृह मंत्रालय की तरफ से जारी दिशानिर्देश के अनुसार सभी राज्यों को फंसे हुए लोगों को भेजने, अपने यहां बुलाने के लिये नोडल प्राधिकारी नियुक्त करने होंगे और मानक प्रोटोकॉल तैयार करना होगा। नोडल अधिकारी अपने राज्यों या केंद्रशासित क्षेत्रों में फंसे लोगों को पंजीकृत करेंगे। अगर फंसे हुए लोगों का समूह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना चाहता है तो राज्य एक-दूसरे से परामर्श कर सड़क मार्ग से आवाजाही पर परस्पर सहमत हो सकते हैं।
ग्रीन और ऑरेंज जोन में मिलेगी ढील
4 मई से ग्रीन और ऑरेंज जोन में पाबंदियों में काफी ढील दी जा सकती है। इन इलाकों में पहले से ही गृह मंत्रालय ने गैरजरूरी सामानों, सेवाओं की दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है। अब यहां हर तरह की दुकानों को खुलने की इजाजत दी जा सकती हैं। ग्रीन जोन वे हैं जो या तो अब तक कोरोना से अछूते रहे हैं या फिर पिछले 28 दिनों से वहां नए केस सामने नहीं आए हैं। ऑरेंज जोन वे हैं जहां पिछले 14 दिनों से नए केस सामने नहीं आए हैं। ऐक्टिव केसों वाले इलाके रेड जोन हैं और वहां पाबंदियों में छूट की संभावना कम है।
कोरोना से अछूते 300 जिलों में पूरी छूट मुमकिन
देश में 300 जिले ऐसे हैं जो अब तक कोरोना से अछूते हैं यानी वहां अब तक कोरोना के एक भी केस सामने नहीं आए हैं। इन जिलों में 4 मई के बाद हर तरह की कारोबारी गतिविधियां शुरू हो सकती हैं यानी यहां हर तरह की दुकानें, कारोबारी प्रतिष्ठान, छोटे-मोटे उद्योग, दफ्तर आदि खोले जा सकते हैं। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश के 300 जिले तो कोरोना से बिल्कुल अछूते हैं। इसके अलावा 300 जिले ऐसे हैं जहां कोरोना के मामले बेहद कम हैं। इन जिलों में भी रियायतों का दायरा बढ़ाया जा सकता है यानी यहां भी दुकानें, दफ्तर, कारोबार को धीरे-धीरे खोलने की इजाजत दी जा सकती है।
ग्रीन जोन्स में इंट्रा ट्रांसपोर्ट की दी जा सकती है इजाजत
इंट्रा-डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट को भी इजाजत दी जा सकती है। सटे हुए ग्रीन जोन वाले जिलों के बीच भी ट्रांसपोर्ट शुरू किया जा सकता है। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन जरूरी होगा।
129 जिले हॉटस्पॉट जहां छूट की उम्मीद नहीं
देश के 129 जिलों में कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट हैं यानी ये जिले रेड जोन में हैं। रेड जोन्स में हॉटस्पॉट्स से बाहर के इलाकों में ही कुछ मुमकिन है। हॉटस्पॉट्स में छूट मिलने की संभावना न के बराबर है। लॉकडाउन के बाद एक रणनीति तो यह हो सकती है कि हॉटस्पॉट्स से बाहर जाने या किसी बाहरी के वहां आने को पूरी सख्ती से रोका जाए और बाकी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा छूट दी जाए ताकि इकॉनमी का पहिया भी आगे बढ़े। खास बात यह है कि मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद जैसे शहर जो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, वे उद्योगों व रोजगार के सबसे बड़े केंद्र भी हैं।
फंसे हुए लोगों को ले जाना बड़ी चुनौती
फंसे हुए लोगों को उनके घर ले जाने के लिए ट्रेनों को चलाने की मांग हो रही है लेकिन केंद्र ने इससे इनकार किया है। सभी को बसों से ही ले जाया जाएगा और इसकी व्यवस्था संबंधित राज्य सरकारें करेंगी। लाखों लोगों को इस तरह बसों से ले जाना आसान भी नहीं है। देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बसों के जरिए लोगों को लाना-ले जाना निश्चित तौर पर बहुत ही चुनौती वाला काम है। इसके अलावा अब जब इकॉनमी को खोलने का वक्त है, ऐसे वक्त में इस कदम से मजदूरों की कमी की समस्या और ज्यादा विकराल हो सकती है।