मुंगेली/ कहा जाता हैं कि साहित्यकार बिना किसी स्वार्थ से अपने कलम के माध्यम से जागरूकता का वो मशाल जलाते हैं, जिसके जिससे सत्य, निष्ठा, कर्तव्य-पालन सहित धर्म का प्रकाश चारों ओर विद्यमान रहता हैं, साहित्यकार वो होता हैं जो बिना किसी की महिमामंडित कर निःस्वार्थ भाव से सभी को सच्चाई से अवगत कराये..परंतु मुंगेली कुछ साहित्यकारों के चलते साहित्य शब्द कलंकित होने की कगार पे हैं, दैनिक भारत-भास्कर ने पूर्व में भी मुंगेली के सबसे पुराने आगर साहित्य समिति के वर्तमान नेतृत्वकर्ता के विवादित और चंदाख़ोरी कार्यशैली को प्रमुखता से प्रकाशित किया था । वैसे कहा जाता हैं कि साहित्यकार वो होता हैं जो अपने शैली में समाज, संस्कृति और मानव को एक नई दिशा दिखाए, साथ ही साहित्यकार देश, संस्कृति, राजनैतिक परिदृश्य और मानव के संतुलन को बनाये रखने का एक दूसरा नाम माना जा सकता हैं, परंतु जब कोई साहित्यकार कर्तव्यविमुख होकर अपने नाम व पद का दुरुपयोग करें तो ऐसे में साहित्य जगत शर्मसार हो जाता हैं, वर्तमान में मुंगेली में जो आगर साहित्य समिति हैं उसमें चल रहे आपसी फूट और समिति के नेतृत्वकर्ता के मनमानी रवैये से पूरा साहित्य जगत शर्मसार हैं, लोगों व साहित्य प्रेमियों ने इसकी कड़ी निंदा की हैं, एक ओर देश -दुनिया में कोरोना वायरस के नाम से लीगो में भयानक डर बैठा हुआ है और कोरोना संकट स बचने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी 21 दिनों के लिए लॉकडाउन देश मे घोषित किया जिससे रोज कमाने वाले के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई थी, जिसके चलते मुंगेली जिला प्रशासन जरूरतमंदों के लिए सक्रियता से राहत सामग्रियां प्रदान करने में लगा हुआ है वही दूसरी ओर कुछ समाजसेवी संस्था और समाजसेवकों के द्वारा भी स्वयं और प्राप्त दान की राशियों के माध्यम से जरूरतमंदों को राहत सामग्रियां पहुँचाई जा रही, वर्तमान में शहर की सामाजिक संस्था प्रयास के द्वारा जरूरतमंदों को घर जा जाकर आवश्यक सामग्री दी जा रही, प्रयास संस्था के इस कार्य को देख कई संस्थाओं और व्यक्तिओ द्वारा प्रयास संस्था को दान के रूप में राशि और सामग्रियां भी प्रदान की जा रही, इसी क्रम में मुंगेली के साहित्यकारों के द्वारा भी प्रयास संस्था को 22101 रुपये एवं 70 लीटर दूध प्रदान किया गया, जिसकी सभी ने सराहना तो की परंतु मुंगेली के कुछ साहित्य प्रेमियों ने कहा कि साहित्यकारों के आंतरिक कलह के कारण सहयोग करने में थोड़ा विलंब हो गया, जबकि ये सहयोग करने पहले ही प्रस्ताव दिया गया था। आगर साहित्य समिति के विवादित एक साहित्यकार नेतृत्वकर्ता की वजह से आपसी तालमेल नही बैठ पा रहा था, कुछ साहित्यकारों ने बताया कि सबसे पहले साहित्यकारों द्वारा जिला सहायता कोष में राशि जमा करने की चर्चा हो रही थी, परंतु उस विवादित साहित्यकार के द्वारा जिला सहायता कोष में राशि देने आपत्ति की गई और कई संदेहास्पद स्थिति की संभावना बताई गई जिससे बाकी सदस्यों ने मजबूरवश सामाजिक संस्था प्रयास को यह राशि प्रदान की गई। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब कुछ विवादित साहित्यकार इसमें सफाई देते फिर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुंगेली के साहित्यकारों में जब सहयोग देने का विचार आया तो देखा गया कि वे लोग आपस में ही एकमत नही थे कि सहयोग राशि जिला सहायता कोष में दिया जाए ? या नगर पालिका को दिया जाए ? या किसी समिति को दिया जाए ? साहित्यकारों द्वारा एकत्र राशि समिति को दिया जाना तय हुआ, इसकी जानकारी बहुत से साहित्यकारों को नही हो पाया, साथ ही नगर के सभी साहित्यकारों से संपर्क नही किया गया, एक गुट विशेष के साहित्यकारों से ही सहयोग राशि एकत्रित की गई जबकि अगर सभी साहित्यकारों से योजनाबद्ध तरीके से संपर्क कर सहायता राशि एकत्र किया जाता तो ज्यादा साहित्यकार इससे जुड़ते और सहयोग राशि में भारी वृद्धि होती। बहरहाल कई वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकारों ने ऐसे कोरोना संकट काल मे हर सम्भव मदद देने का आश्वासन दिया तो वही प्रयास संस्था के कार्य को सभी ने खूब सराहा।