इंफाल
उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच अचानक झड़प तथा गोलीबारी की घटना के एक दिन बाद जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न अस्पतालों में इलाज के दौरान तीन और लोगों के दम तोड़ने के बाद, एक दिन पहले हुई झड़पों में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को पांच हो गई।
एक अधिकारी ने बताया कि इंफाल घाटी और आसपास के जिलों में सेना और अर्धसैनिक बल के जवानों का तलाशी अभियान जारी है। उन्होंने बताया कि सेना के अभियान का मकसद हथियारों के अवैध जखीरे को खोजना तथा जब्त करना है।
पुलिस ने बताया था कि लोगों पर गोलीबारी तथा उग्रवादियों तथा सुरक्षा बलों के बीच झड़पों की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम दो लोग मारे गए और 12 घायल हो गए।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा था कि सुरक्षा बलों ने राज्य में शांति कायम करने के लिए अभियान शुरू करने के बाद से मकानों में आगजनी और लोगों पर गोलीबारी करने में शामिल हथियारों से लैस करीब 40 उग्रवादियों को मार गिराया है।
अधिकारियों ने बताया कि ताजा संघर्ष तब शुरू हुआ जब सेना ने शांति कायम करने के लिए समुदायों को हथियारों से मुक्त करने को लेकर तलाशी अभियान शुरू किया।
मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद से मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।