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मध्य प्रदेश में राज्यपाल ने दिया फ्लोर टेस्ट का फरमान

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भोपाल। मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच कमलनाथ सरकार को 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। शनिवार आधी रात राज्यपाल लालजी टंडन ने इसके आदेश जारी कर दिया। इसके मुताबिक, सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद ही विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग होगी। आदेश में कहा गया है कि मतदान सिर्फ बटन दबाकर होगा। यह प्रक्रिया इसी दिन पूरी होगी और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
इससे पहले शनिवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव समेत अन्य भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर बजट सत्र से पहले फ्लोर टेस्ट की मांग की थी। इस बीच, कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी कर दिया। मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शुक्रवार को राज्यपाल से मिले थे। इसके बाद उन्होंने कहा था- फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं, लेकिन पहले विधायकों को मुक्त कराएं।
स्पीकर ने बेंगलुरु से इस्तीफा भेजने वाले 22 विधायकों को नया नोटिस जारी किया है। अब इन सभी विधायकों को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक पेश होने का वक्त दिया गया है। नियम के मुताबिक सभी विधायकों को स्पीकर के सामने उपस्थित होना जरूरी है। इसबीच, सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकती है। मुख्यमंत्री कमलनाथ कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।
कांग्रेस के विधायक आज भोपाल आएंगे
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने आज (रविवार को) विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार बचाने की रणनीति पर चर्चा होगी। जयपुर में ठहराए गए कांग्रेस विधायक रविवार सुबह भोपाल लौटेंगे। रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें सभी विधायकों को शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर में ठहरे सभी विधायक रविवार सुबह भोपाल पहुंचेंगे। इस बैठक में सरकार बचाने की रणनीति पर चर्चा होगी। शनिवार को पार्टी महासचिव हरीश रावत ने जयपुर के रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस विधायकों से चर्चा की।
कांग्रेस को सरकार चलाने का अधिकार नहीं: शिवराज
शिवराज सिंह के साथ गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और रामपाल सिंह भी राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। राजभवन से बाहर आने के बाद शिवराज ने कहा, ”हमने राज्यपाल को बताया कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है। उनके पास सरकार चलाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है, इसलिए 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण और बजट सत्र का कोई मतलब नहीं है। हमने राज्यपाल से अनुच्छेद 175 के तहत सरकार को विश्वासमत प्राप्त करने का निर्देश देने की मांग की।”
बेंगलुरु गए विधायक दबाव में, वे इस्तीफा नहीं देंगे: कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को दावा किया कि बेंगलुरु ले जाए गए विधायक दबाव में हैं। भोपाल आने के बाद उनमें से कई विधायक इस्तीफा नहीं देंगे। सिंधिया के करीबी रामनिवास रावत ने कहा, ”मैं कांग्रेसी था और कांग्रेसी रहूंगा। विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाया गया है। जब वे भोपाल पहुंचेंगे, तो इस्तीफा नहीं देंगे।” रावत ने कहा- हमने सिंधियाजी को नहीं छोड़ा है, सिंधियाजी हमें छोड़कर गए हैं। भाजपा ने भोपाल में उनके स्वागत में उन्हें विभीषण की उपाधि दे दी। अब ये सही संदर्भ में है या गलत, लेकिन हमारे देश में कोई माता-पिता अपने बच्चों का नाम विभीषण नहीं रखते।
सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों का इस्तीफा
बेंगलुरु के रिजॉर्ट में ठहराए गए कांग्रेस के 19 विधायक और बाद में 3 और विधायक अपना इस्तीफा स्पीकर को भेज चुके हैं। विधानसभा स्पीकर द्वारा नोटिस जारी करने के बाद उनमें से 6 विधायकों को शुक्रवार को भोपाल आना था, लेकिन दिनभर के इंतजार के बाद आखिरी मौके पर उनका आना कैंसिल हो गया। वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बेंगलुरु में विधायकों से मिलने पहुंचे। विधायक पहले से नड्डा के संपर्क में हैं। 12 मार्च को कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी भी विधायकों से मिलने बेंगलुरु पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष से 19 विधायकों के इस्तीफों की विस्तृत जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि इन विधायकों को स्पीकर के समक्ष बुलाया जाए और यह जांच-पड़ताल की जाए कि उन्होंने इस्तीफा किन हालात में दिया। अगर यह स्वेच्छा से नहीं दिया गया, तो इन्हें निरस्त किया जाए। सिंह ने यह भी कहा कि सभी विधायकों के इस्तीफे कूटरचित हैं।