रायपुर। राजस्थान में राइट टू हेल्थ एक्ट पर पिछले दिनों से चला आ रहा डॉक्टरों का आंदोलन मंगलवार को राज्य सरकार के साथ हुए आठ समझौतों के साथ समाप्त हो गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने राइट टू हेल्थ पर राजस्थान सरकार और डॉक्टरों के बीच कल दोपहर हुए समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक गहलोत सरकार को जनहित की राइट टू हेल्थ योजना को लागू करने से पूर्व पारदर्शिता से डॉक्टरों के साथ बातचीत के सहमति के सभी बिंदुओं को बिल में शामिल रखना चाहिए था, इन्हें शामिल नहीं करने पर टकराव की स्थिति आने से ना केवल 17 दिन राजस्थान के मरीजों को इलाज के लिए दूसरे पड़ोसी राज्यों में भटकना पड़ा बल्कि योजना का उद्देश्य ही कहीं न कहीं दूषित हो गया इस प्रकार की इमरजेंसी सेवाएं अब केवल बड़े अस्पतालों में मिल सकेगी जहां इलाज महंगा है और राजस्थान के बड़े शहरों में स्थित गरीब मरीज की पहुंच इन अस्पतालों में सीमित है। बेहतर होता राइट टू हेल्थ योजना में आपातकालीन इलाज को पहले से राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही चिरंजीवी योजना में शामिल अस्पतालों के पैकेज में ही जोड़ दिया जाता ताकि संबंधित अस्पताल अपनी स्पेशलिटी के हिसाब से पहले से चल रही चिरंजीवी योजना में आपातकालीन स्थिति में पहुंचे मरीजों को इलाज दे सकते।
उल्लेखनीय है कि राइट टू हेल्थ एक्ट पर 4 अप्रैल को राजस्थान में सरकार और डॉक्टरों के बीच चला आ रहा विरोध प्रदर्शन और गतिरोध समाप्त हो गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, प्राइवेट नर्सिंग होम एसोसिएशन और राज्य सरकार के बीच निम्न बातों पर समझौता हुआ। इस एक्ट के अंतर्गत किसी भी तरह के परिवर्तन के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के दो प्रतिनिधियों को सलाहकार मंडल में शामिल किया जाएगा समझौते के बाद राजस्थान और कुछ राज्यों में आंदोलनरत सभी चिकित्सक अपने कार्य पर वापस आ गए। इस समझौते के समय राज्य सरकार की ओर से सचिव चिकित्सा शिक्षा सम्मिलित हुए। डॉक्टरों की ओर से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, प्राइवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम एसोसिएशन और उपचार एसोसिएशन के प्रतिनिधि सम्मिलित थे ।