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नगर पालिका ने छिपाई जानकारी…जनसूचना अधिकारी को राज्य सूचना आयोग की जमकर फटकार…नपा के अधिकारियों को उपस्थित होने राज्य सूचना आयोग ने दिया आदेश…दानदाता परिवार के हक से जुड़ा मामला…करोड़ों की जमीन दान करने वाले दानदाता का नगर पालिका ने मिटाया अस्तित्व…

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मुंगेली/ मुंगेली नगर पालिका का शुरू से विवादों व भ्रष्टाचार से नाता रहा हैं। यहाँ के अधिकारियों की मनमानी और नियम विरुद्ध कार्य कांग्रेस सरकार के लिए नुकसानदायक हैं। नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी समय पर उपलब्ध न कराने से संबंधित अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही हैं। आपको बता दे मुंगेली निवासी अधिवक्ता स्वतंत्र तिवारी द्वारा दिनांक 14/02/2022 को मुंगेली नगर पालिका में सूचना के अधिकार के तहत मुंगेली के प्रसिद्ध दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा दिये गए दान की जमीन के संबंध में विभिन्न जानकारी मांगी गई, परंतु नगर पालिका के अधिकारियों ने शुरू से ही अधूरी और भ्रामक जानकारी दी जा रही थी, जिसके बाद दिनांक 22/03/2022 प्रथम अपील किया गया, प्रथम अपील में भी कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही जानकारी दी गई जिसके बाद अधिवक्ता स्वतंत्र तिवारी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में इसकी अपील की गई, जिसके बाद दिनांक 02/03/2023 को राज्य सूचना आयोग ने पहली सुनवाई की, जिसमें नगर पालिका के जनसूचना अधिकारी के द्वारा संतोषजनक जवाब न देने पर उन्हें फटकार भी लगाया गया, तथा छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने नगर पालिका के जनसूचना अधिकारी तथा प्रथम अपील अधिकारी को 30/05/2023 को राज्य सूचना आयोग रायपुर कार्यालय में उपस्थित होने तथा उक्त दिनांक के पूर्व अपीलार्थी को जानकारी देने आदेश दिया गया। उसके बाद भी नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा अपीलार्थी को अधूरी व भ्रामक जानकारी देने की कोशिश की जा रही हैं।
आपको बता दे कि अपीलार्थी स्वतंत्र तिवारी द्वारा दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा दी गई दान की जमीन से संबंधित जानकारी मांगी गई हैं, जिसमें शुरू से रामानुज स्कूल संचालित था, बाद में यहाँ कॉम्प्लेक्स बना, दुकानें आबंटित हुई, और अब यहां सी-मार्ट का संचालन हो रहा हैं। इस दान की जमीन को लेकर पिछले कुछ दशकों में नगर पालिका द्वारा कई प्रस्ताव भी लाया गया, साथ ही वर्तमान समय में दानदाता परिवार की स्थिति ठीक न होने की वजह से इस दान की जमीन में निर्मित कॉम्प्लेक्स में एक दुकान दानदाता परिवार के एक सदस्य के नाम से आबंटित किये जाने का प्रस्ताव भी हुआ, मुख्यमंत्री से मांग हुई, मंत्रालय स्तर में पत्र व्यवहार भी हुए, पर उसे दुकान आबंटित नहीं किया जा सका। साथ ही वर्तमान में इस दान की जमीन में सी-मार्ट संचालित हैं जबकि इस जमीन के दानदाता का नाम गायब हो गया हैं, जबकि सी-मार्ट के साथ-साथ दानदाता रामानुज देवांगन के नाम का भी उल्लेख किया जाना था, पर नगर पालिका के इस कृत्य से मुंगेली के दानदाता का यह अपमान हैं। साथ ही मुंगेली के किसी भी पार्टी के नेताओं में यह साहस नहीं कि वे नगर पालिका के पुराने प्रस्तावों का पालन करा सके। आपको बता दे कि पूरा मामला दानदाता परिवार की ओर से उनके हक से जुड़ा हैं, जिसे राजनीतिक दलों के द्वारा भुलाया जा रहा हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रामानुज स्कूल वाली जमीन से संबंधित पूरी जानकारी मिलते ही कानूनी कार्यवाही के लिए सक्रियता देखी जा सकती हैं शायद इसकी भनक नगर पालिका को लग गई हैं इसीलिए संबंधित अधिकारियों द्वारा सही जानकारी नहीं दी जा रहीं।
किसी भी मामले में शिकायत या कानूनी कार्यवाही के लिए पुख्ता दस्तावेज आवश्यक होता हैं जिसके चलते सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज निकाला जाता हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल मंत्र यही माना गया है कि लोकतांत्रिक शासन में सरकार और सरकारी मशीनरी जनता के प्रति जबाबदेह हो तथा सरकारी मशीनरी के क्रियान्वयन में पारदर्शिता हो। इस सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की गई है जिसके अंतर्गत कोई भी नागरिक लोक प्राधिकारी के कार्यकलापों के संबंध में सूचना प्राप्त कर सके। यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा संबंधित को समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो ऐसे अधिकारियों को, राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य सूचना आयोग द्वारा दण्डित किया जा सकता है। अपीलार्थी द्वारा दानदाता की जमीन से संबंधित जानकारियों के अलावा कई योजनाओं, निर्माण कार्यो की भी जानकारी मांगी गई हैं।