रांची। झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। झारखंड सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए दो मार्च को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करेगी। उसके अगले दिन 3 मार्च को वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव वित्तीय वर्ष 2023-24 का सालाना बजट पेश करेंगे। आर्थिक सर्वेक्षण में आगामी बजट के प्रारूप के साथ-साथ समाप्त होनेवाले वित्तीय वर्ष की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण भी होता है।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में क्या समाहित होता है
आर्थिक सर्वेक्षण सरकारों के वित्तीय प्रबंधन संबंध में अभिलेखों के प्रसंग में एक आधारभूत दस्तावेज होता है। इसके द्वारा सरकार के मौलिक आर्थिक वित्तीय लेखा-जोखा तो पेश होता ही है, यह भविष्य के लिए एक ठोस प्रस्तुतीकरण और मार्गदर्शक होता है। यही कारण है कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बजट के प्राय एक दिन पहले रखा जाता है। इससे आम जनता के सामने इस बात का खुलासा हो जाता है कि आर्थिक-वित्तीय रूप से लेकर विकास में हम कहां हैं। सर्वेक्षण सभी मानकों पर देश-राज्य की स्थिति को स्पष्ट करता है। प्रति व्यक्ति आय, निवेश, जीडीपी, जीएसडीपी या ऋण, उधारी का जिक्र होता है।
पूंजीगत खर्च या राजकोषीय स्थिति स्पष्ट हो जाती है
पूंजीगत खर्च या राजकोषीय स्थिति के बारे में यह सर्वेक्षण स्पष्ट कर देता है। इतना ही नहीं राज्यों के संदर्भ में सभी आर्थिक-विकासशील मानकों में राज्य कहां खड़ा है, किस राज्य की स्थित अपेक्षाकृत बेहतर या बदतर है, इसका भी ज्ञान होता है। राष्ट्रीय औसत की तुलना में राज्य कहां है, इनका भी सही खाका सर्वेक्षण के जरिए पेश किया जाता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आर्थिक सर्वेक्षण एक तथ्य आधारित, सत्य आधारित आर्थिक दस्तावेज है, जिसमें भावी बजट का चेहरा साफ-साफ दिखाई देता है। राज्य किन प्रयासों के आधार पर अग्रणी हो सकता है या राष्ट्रीय औसत विकास में आगे आयेगा, यह सर्वेक्षण से ही परिलक्षित होगा।
आर्थिक सर्वेक्षण से बजट बनाने में मिलती है मदद
आर्थिक विशेषज्ञ इस बात का अंदेशा जता रहे हैं कि झारखंड सरकार चल रहे वित्तीय वर्ष में योजना बजट की पूरी राशि 31 मार्च तक खर्च नहीं कर पायेगी। संसाधन बढ़ाने में संकुचन हो रहा है। चालू वित्तीय वर्ष (2022-23) में योजनागत खर्च के लिए 57,259 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, उसके विरुद्ध 15 फरवरी तक मात्र 32,224.54 करोड़ रुपए (56.26 प्रतिशत) राशि ही खर्च हो पायी है। बचे हुए 32 दिनों में 25,035 करोड़ रुपए खर्च करना संभव नहीं लग रहा है। लिहाजा संसाधन अभिवृद्धि के मामले में राज्य अभी भी पीछे है। गैर योजना बजट का आकार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण बहुत प्रगतिशील नहीं हो सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आगामी बजट में सरकार को इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखना होगा। आर्थिक मामलों के जानकार अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सत्य आधारित और तथ्यों पर आधारित मौलिक आर्थिक वित्तीय एवं विकास की दशाओं को देश-राज्य के समक्ष रखा जाये। यह दस्तावेज हमारी विकास यात्रा में बजटीय प्रबंधन का आईना है।