भिलाई। सांस्कृतिक शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र संस्कृति विभाग भारत सरकार के माध्यम से सीनियर फैलोशिप अवॉर्डी रामेश्वरी ने छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों में प्रचलित किंतु लुप्तप्राय नृत्यो के शोध वा संग्रहण के दूसरे चरण का कार्य पूरा कर लिया है। इसके तहत दुर्ग संभाग के दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बेमेतरा आदि जिले में चिन्हित स्थानों पर जाकर वहां के गोंड आदिवासियों में प्रचलित गोंडी करमा लोकनृत्य के संदर्भ में उन से चर्चा कर जानकारी हासिल की और उन्हें संग्रहण का हिस्सा बनाया। इस दौरान वे तेंदूभाठा ,झालम ,नवागढ़ ,सोहागपुर, कोदवा रसमडवा, जगमड़वा ,एवं गंडई गांव का भ्रमण कर जनजातीय मान्यताओ, परंपराओं ,नृत्य शैलियों आदि का प्रायोगिक अध्ययन किया । प्रदेश के गोंडी करमा सम्राट घनश्याम ठाकुर ,लोक कलाकार निर्मल देवदास एवं अन्य ग्रामीण कलाकारों से मुलाकात कर विस्तृत जानकारी अर्जित की। इसके पूर्व प्रथम चरण में उन्होंने दक्षिण बस्तर के धूर वन ग्रामों में जाकर लुप्तप्राय वनांचल के आदिवासियों से लोक नृत्य और उनकी परंपराओं की जानकारी ली तथा उन्हें शोध का हिस्सा मानते हुए संग्रहित किया। इस संग्रह कार्य में तरुण निषाद ,राकेश देशमुख, रंजीत साहू एवं दीप शर्मा सहभागी रहे।