रतलाम। पांच दिवसीय दीपोत्सव में माणकचौक स्थित प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए सोना-चांदी, आभूषण, मोती, हीरे और नकदी से होने वाली सजावट व विशेष शृंगार इस बार तीन दिन ही रहेगा। शृंगार के लिए मंगलवार से श्रद्धालुओं से सामग्री लेने की शुरुआत होगी। 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने से इस बार मंदिर में की गई सजावट व महालक्ष्मीजी का विशेष श्रृंगार 24 अक्टूबर दीपावली की रात ही वापस समेट लिया जाएगा। ग्रहण के सूतक काल में जहां मंदिर के कपाट बंद रहेंगे वहीं मोक्ष के बाद मंदिर में साफ-सफाई और मूर्तियों को स्नान आदि कराया जाता है। इसी वजह से श्रद्धालुओं द्वारा दी गई सामग्री मंदिर में धनतेरस से दीपावली की रात तक रखने के बाद वापस कर दी जाएगी। हर बार भाई-दूज तक शृंगार रहता था।
सामग्री देने पर मिलेगा टोकन
हर बार की तरह इस बार भी श्रृंगार के लिए सामग्री देने वाले श्रद्धालुओं को टोकन दिया जाएगा। इसी टोकन के आधार पर सामग्री वापस भी की जाएगी। मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि मंगलवार से सामग्री लेंगे। सूर्यग्रहण के कारण इस बार दीपावली पर ही सामग्री वापस कर दी जाएगी। पड़वी के दिन ग्रहण के मोक्ष के बाद मंदिर की साफ-सफाई की जाएगी।
कुबेर पोटली नहीं बंटेगी
कोरोना काल से मंदिर में दर्शनार्थियों को कुबेर पोटली वितरण की व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। इस बार भी धनतेरस पर कुबेर पोटली नहीं बांटी जाएगी। हालांकि सामग्री रखने वाले श्रद्धालुओं को पोटली मिलेगी। कुबेर पोटली में सीपी, सुपारी, कमल गट्टा, सिक्का आदि सामग्री रहती है। मान्यता है कि इसे घर की तिजोरी में रखने से समृद्धि बनी रहती है।
नोटों, जेवरों से होती है विशेष सजावट
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष श्रद्धालुओं द्वारा दी गई सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर की सजावट के बाद पट धनतेरस पर तड़के शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं। पांच दिवसीय दीपोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले आभूषण, हीरे, मोती, तिजोरी, नकदी आदि से की गई सजावट भाई दूज तक रहती है। इसके बाद श्रद्धालुओं को उनकी सामग्री वापस कर दी जाती है। मान्यता है कि मंदिर में सामग्री देने के बाद वापस लेकर घर में रखने पर वर्षभर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।