ब्रम्हलीन शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा किए गए वसीयत का समस्त पीठों ने किया सम्मान
भोपाल। शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्यों के पीठासीन अभिषेक के आलौकिकता के साक्षी रहे शहडोल संभाग के परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि समूचे विश्व पटल पर सनातन धर्म व संस्कृति की बयार की खूबसूरत महक की अनुभूति होना प्रारंभ हो चुकी है और हो भी क्यों न, आखिर द्वारिका पीठ और शारदा पीठ के संयुक्त शंकरचार्य रहे ब्रम्हलीन शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने सनातन धर्म व संस्कृति को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी युवा पीढ़ी को जो सौंप दी है। अब सनातन धर्म व संस्कृति को युवाओं की ऊर्जा, साधु संतों का तपोबल, संन्यासियों का त्याग और न जाने ऐसी कितनी ऊर्जाओं से ओतप्रोत शक्तियों से लबरेज हांथ सनातन धर्म को आगे बढ़ाने की ओर सक्रिय होंगे और निश्चित रूप से गुरु कृपा से समूचे विश्व पटल पर सनातन धर्म व संस्कृति के विस्तार को एक नई दिशा मिलेगी। ब्रम्हलीन शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्यों हेतु वसीयत किया था। समस्त पीठों ने इस वसीयत का सम्मान किया और इसी वसीयत के आधार पर विगत 14 अक्टूबर को द्वारिका में शारदा पीठ नवनियुक्त शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी का पीठासीन अभिषेक सम्पन्न किया गया और इसी तारतम्य में आगामी 17 अक्टूबर को ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी का पीठासीन अभिषेक किया जाना सुनिश्चित हुआ है। श्रृंगेरी पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विधुशेखर भारती जी के करकमलों से नव नियुक्त शंकराचार्य परम पूज्य स्वामी श्री सदानंद जी महाराज का पीठासीन अभिषेक सम्पन्न किया गया एवं आपके करकमलों से ही परम पूज्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महराज का पीठासीन अभिषेक किया जाएगा। नव नियुक्त शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी को शारदा पीठ की सनातन की आगामी ज़िम्मेदारी सौंपी गई। शहडोल संभाग के परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने बताया कि गुरुकृपा से इस पावन अवसर पर उपस्थित होकर इस क्षण की अलौकिकता की अनुभूति का सुअवसर प्राप्त हुआ और आगामी 17 तारीख के कार्यक्रम हेतु हम प्रस्थान कर रहे हैं। गुरु कृपा से हमें इस अलौकिक दृश्य का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। इसी प्रकार से हम सभी पर गुरुकृपा सदैव बनी रहे और गुरुजी हमें सनातन धर्म व संस्कृति के लिए सदैव समर्पित भाव से कार्य करने हेतु प्रेरणा और शक्ति प्रदान करें।