रायपुर-बिलासपुर-मुंगेली/ आपको बता दे कि यह पूरा मामला वर्तमान मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के वनग्राम जल्दा का हैं जहाँ बैगा परिवारों के पुनर्वास, विस्थापन और निर्माण कार्य के नाम पर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया गया हैं। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा वनक्षेत्र में निवास करने वाले बैगा आदिवासियों के आर्थिक विकास एवं सामाजिक उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू करती हैं परंतु सरकारी नौकरों ने कुछ भ्रष्ट नेताओं, ठेकेदारों से सांठगांठ कर, इन योजनाओं का दुरुपयोग कर कुछ राजनीतिक रसूखदारों को लाभ पहुंचाने और अपने जेबें भरने इन भोलेभाले बैगा-आदिवासियों की करोड़ों की राशि डकारने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं।
मामला यह हैं कि शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े असगर अली द्वारा बैगा आदिवासियों का दुख दर्द नहीं देखा गया, जब उसे वन क्षेत्र जल्दा में रहने वाले बैगा आदिवासियों की नारकीय जीवन के बारे में पता चला तो उन्होंने बैगा आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे पहल व योजनाओं के संबंध में अक्टूबर 2010 से जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी जिसके बाद एक नया भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ, इस भ्रष्टाचार को लेकर लगातार एकत्र किये जा रहे दस्तावेजी साक्ष्य से वनक्षेत्र में होने वाला एक बड़ा स्कैम का खुलासा हो सकता था, इसी डर की वजह से ठेकेदारों व राजनीतिक लोगों द्वारा असगर अली पर उनके ही स्कूल में जानलेवा हमला कराया गया, जिसकी असगर अली ने तखतपुर थाने में दिनांक 05/02/2011 को नामजद एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी जिसमें कांग्रेस के वर्तमान जिलाध्यक्ष सागर सिंह सहित अन्य लोगों का भी नाम उल्लेखित हैं। उक्त एफआईआर के बाद रंजिशवश शिकायतकर्ता असगर अली के विरूद्ध ही दिनांक 18/03/2011 को थाना लोरमी में राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप द्वारा अप.क. 73/11 धारा, 420 भादवि का रिपोर्ट दर्ज कराया गया एवं दिनांक 29/03/11 को पुनः लोरमी थाना में इसी प्रकरण के गवाह के द्वारा अनावेदक के विरूद्ध अ.क. 87/11 धारा 294, 506 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कराया गया था।
थाना तखतपुर में असगर अली द्वारा कराये गये एफआईआर के बाद सागर सिंह द्वारा दिनांक 07/04/2011 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से असगर अली को कानूनी नोटिस भेजा गया। उक्त नोटिस में सागर सिंह ने वनक्षेत्र में ठेकेदारी की बात स्वीकार की हैं और असगर अली द्वारा तखतपुर थाने में उसके नाम पर लिखित रिपोर्ट करने पर प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाने की बात का उल्लेख करते हुये 7 दिवस के भीतर सार्वजनिक तौर पर मांफी मांगने कहा गया अन्यथा दांडिक व सिविल दोनों प्रकार की कार्यवाही की बात कही गई। जिसके बाद असगर अली द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से सागर सिंह के अधिवक्ता को उसके नोटिस का जवाब दिनांक 15/04/2011 को दिया गया।
शिकायतकर्ता असगर अली के द्वारा सन् 2011 में ही 2 करोड़ 41 लाख पांच हजार पांच सौ उनसठ रूपये की राशि की गबन पर कार्यवाही करने पुलिस महानिदेशक, छग, पुलिस महानिरिक्षक बिलासपुर, बिलासपुर पुलिस अधीक्षक तथा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस कोटा से लिखित शिकायत की गई थी। शिकायत में बताया गया कि अचानकमार टाईगर रिजर्व क्षेत्र के बाघ को बचाने एवं बैगा अनुसूचित जनजाति के आर्थिक विकास एवं सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से वनग्राम जल्दा के 74 बैगा परिवारों को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के पुर्नवास नीति 2 के तहत 2 डिसमिल के सर्वसुविधायुक्त मकान, 5 डिसमिल की बाड़ी, 5 एकड़ कृषि भूमि अधिकारों का व्यवस्थापन एवं अन्य समुदायिक सुविधायें ( पहुंच मार्ग, सिंचाई के साधन, पेयजल, स्वच्छता, विद्युतीकरण, दुरसंचार, धार्मिक पूजा स्थल, अंतिम संस्कार / शमशान तथा 50 हजार रुपये प्रत्येक बैगा परिवार नगद प्रोत्साहन राशि सहित प्रत्येक परिवार 10 लाख रुपये की दर से 7 करोड़ 40 लाख रुपये वनमण्डल अधिकारी बिलासपुर को दिया गया था, जिसमें से बैगा परिवारों को 37 लाख रुपये वितरण करने के उपरांत शेष 7 करोड़ 3 लाख रुपये से पुनर्वास हेतु मकान, बाड़ी, कृषि अधिकारों का व्यवस्थापन एवं अन्य सामुदायिक सुविधायें निर्माण कराने का दायित्व वनपरिक्षेत्र विजय वर्मा एवं उपवनमण्डल अधिकारी टी. डी. सुखदेवे को दिया गया था जिसमें दोनो अधिकारियों ने वनमाफिया सागर सिंह (वर्तमान जिलाध्यक्ष कांग्रेस मुंगेली) के गिरोह से कार्य कराया और सागर सिंह, राजू कश्यप के साथ सांठ-गांठ कर विभागीय रूप से कार्य कराने का फर्जी व्हाउचर्स बनाकर 2 करोड़ 41 लाख 5 हजार पांच सौ उनसठ रुपये का गबन कर बाघ बचाने एवं बैगा जनजाति के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के कार्यक्रम को निष्फल किया गया हैं, जिससे बाघ बचाने का पुनीत उद्देश्य निष्फल हो गया है।
शिकायत में आगे बताया गया कि वनग्राम जल्दा के बैगा परिवार के पुनर्वास हेतु भूमि खरीदे बिना आरक्षित वन क्षेत्र कक्ष क्र. 550 कठमुड़ा रेंज-लोरमी के वनभूमि के 155 हेक्टेयर में राष्ट्रपति के अनुमति के बिना बसाते हुये राशि का गबन किया गया है। इसके साथ ही कृषि भूमि के अंतर्गत खेत बनाने हेतु मिट्टी की खुदाई करना, खोदी गई मिट्टी को धुलवाकर समतल करवाना, मेढ़ बनवाना एवं ठुठ को क्षेत्र से बाहर निकलवाना, मानव श्रम से भूमि को समतल कराना तथा ट्रेक्टर से विशेष मरम्मत कराना। उपरोक्त कार्यो को चार बार अतिरिक्त करना दर्शाकर 1 करोड़ 20 लाख 33 हजार 144 रूपयें का फर्जी व्हाउचर्स बनाकर गबन किया गया है। उसी प्रकार भवन निर्माण में अनियमितता बरतते हुये 74 मकानों की राशि में 1 करोड़ 50 लाख 6 हजार 890 रूपये गबन किया गया है, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्माण में 1 लाख 88 हजार 965 रूपये का गबन किया गया है, सी.सी. रोड 13 लाख 76 हजार 560 रूपये है। इस प्रकार कुल गबन की राशि 2 करोड़ 41 लाख 5 हजार 559 रूपये है। साथ ही शिकायत के अंत में कहा गया कि जांच के समय गबन के साक्ष्य एवं कैश-बुक की प्रतिलिपि दी जायेगी।
अब सवाल यह उठता है कि इतने परफेक्ट आंकड़े के हिसाब से कोई इतनी तकनीकी जानकारी कैसे दे सकता है ऐसे में शिकायत को झूठलाया भी नहीं जा सकता हालांकि इस मामले में बड़े पैमाने पर जांच एवं कार्यवाही की जानी थी। जर जंगल जमीन के भरोसे जीवन यापन करने वाले राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने विशेष संरक्षित जनजाति बैगा आदिवासियों का दर्द देखकर आपका दिल पसीज जाएगा। दस्तावेजों की बात की जाए तो कागज में सारे कार्य पूर्ण हो चुके है लेकिन धरातल में आज भी यह परिवार नारकीय जीवन जीने को मजबूर है क्योंकि जैसी सुविधा की बात कही गई थी वो मिलना तो दूर उसका आधा भी अब तक नही हुआ है…यही वजह है कि दर्द भरे जीवन व्यतीत कर रहे इन परिवारों को ना तो सर्वसुविधायुक्त मकान मिले और ना ही उपजाऊ खेत और ना ही व्यवस्थित बाड़ी जिसकी वजह से आज यह अपने आपको ठगा महसूस कर रहे है। वही आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वैष्णव ने बताया कि सुविधा के नाम पर भारी घोटाला किया गया है जिसकी निष्पक्ष जांच उच्च स्तरीय समिति से करवाई जाए तो जिला का सबसे बड़ा घोटाला सामने आएगा।
एसडीओपी ने की जांच….जांच रिपोर्ट में भी भ्रष्टाचार उजागर…3 पुलिस वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की गई थी अनुशंसा…पर कार्यवाही का पता नहीं…
प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता असगर अली के खुलासे से वन विभाग के तत्कालीन अधिकारी, ठेकेदार सागर सिंह तथा उनके साथी सहमे हुए थे, जिसके चलते शिकायतकर्ता असगर अली के ऊपर जानलेवा हमला भी कराया गया था उसके बाद असगर अली द्वारा तखतपुर थाने में सागर सिंह एवं उनके साथियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके बाद रंजीशवश व दुर्भावनावश सागर सिंह के साथियों द्वारा लोरमी थाने में असगर अली के विरूद्ध शिकायत की गई जिसमें अपराध पंजीबद्व किया गया जिसके बाद असगर अली ने दिनांक 25/03/2011 को एसडीओपी कोटा के समक्ष राजू कश्यप द्वारा की गई झूठी रिपोर्ट दर्ज पर निष्पक्ष एवं तथ्यात्मक विवेचना कर सत्य सामने लाने हेतु आवेदन दिया गया। उक्त आवेदन में उसने बताया कि रेंज लोरमी में विशेष अनु. जनजाति बैगा को विस्थापित करने हेतु दी गई राशि में से 2 करोड़ 25 लाख रू. की गबन में अपनाई गई अपराधिक प्रक्रिया को जानने एवं दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित कर दोषियों को दण्डित कराकर बैगा लोगों के हित संरक्षित करने के उद्देश्य से अपने निजी कर्मचारी अनिल वैष्णव, अधिवक्ता प्रकाश जायसवाल एवं स्वयं के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2010 से प्रयास किया जा रहा है और प्रकरण राज्य सूचना आयोग रायपुर लंबित है, किये गये प्रयास से उनतीस लाख इकतालिस हजार तीन सौ पांच रू. को प्रत्यक्ष फर्जी भुगतान की व्हाउचर तैयार करने वाले वन माफिया सागर सिंह एवं राजू कश्यप ने किये गये गबन के अपराध दण्ड से बचने से उद्देश्य से अपराधिक साठ गांठ कर की गई गबन के अपराध को उजागर करने से रोकने की दुषित मानसिकता से झूठी रिपोर्ट लोरमी थाने में दर्ज करायी गई जिस पर जुर्म दर्ज किया गया है। इसलिये उक्त् आवेदन पर निष्पक्ष एवं तथ्यात्मक विवेचना कर वन माफिया सागर और राजू कश्यप के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने आवेदन भेजा गया।
असगर अली के शिकायतों के बाद पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पुलिस कोटा को जांच का जिम्मा सौंपा गया जिसके बाद एसडीओपी कोटा ने जांच उपरांत दिनांक 19/08/2011 को पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को 6 पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। अपनी जांच रिपोर्ट में एसडीओपी कोटा ने बताया कि आवेदक सैयद असगर अली पिता जाकीर अली शिक्षक प्राथमिक शाला बरगन थाना लोरमी जिला बिलासपुर ने थाना लोरमी में विरूद्ध दर्ज अपराध कमांक 73/11 अंतर्गत धारा 420 भादवि थाना लोरमी दिनांक 18/3/11 को दर्ज किये गये अपराध को झूठा होने की शिकायत दिनांक 25/3/11 को किया था। जिसकी जांच में प्रार्थी राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप, साक्षी सागर सिंह एवं सुरेश अग्रवाल को पेश करने निर्देश थाना प्रभारी प्र.आ. देवेन्द्र सिंह क्रमांक-1013 थाना लोरमी को दिया गया था तथा प्रधान आर0 एवं थाना प्रभारी से स्पष्टीकरण लिया गया। प्रधान आरक्षक ने प्रार्थी एवं साक्षियों को शिकायत प्राप्त होने के बाद से आज दिनांक तक 5 माह तक पेश नहीं किया जिससे उनके कथन दर्ज नहीं किया जा सका ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी गवाहों को उपस्थित नहीं होने की समझाईश दी गई है।
शिकायत कर्ता का कथन एवं दस्तावेज पेश किया है जिसकी जांच रिपोर्ट निम्नानुसार है –
- आवेदन पत्र/शिकायत पत्र के आधार पर जब जांच से लिया जाता है। तब आवेदक और अनावेदक दोनों पक्षों के साक्षियों का कथन लेकर जो तथ्य पाया गया। निष्कर्ष को रोचा.सान्हा में दर्ज किया जाता है । और रिपोर्ट तैयार कर थाना प्रभारी को अवगत कराने के बाद, निर्देश पर अपराध या प्रतिबंधक या जांच को फाईल करने की कार्यवाही किया जाता है । उपरोक्त नियमों का पालन थाना प्रभारी व प्र0आर0 देवेन्द्र सिंह. 1013 के द्वारा बिल्कुल ही नहीं किया गया है ।
(अ) मात्र आवेदन पत्र के आधार पर अपराध 6 माह बाद (दि.04/10/10-18/03/11) बिना शिकायत जांच के पंजीबद्ध किया है।
(ब) जबकि गंभीर अपराध पंजीयद्व थाना प्रभारी को ही करना चाहिये न कि प्रधान आरक्षक को।
(स) जब उक्त आवेदन पत्र रोचा. सान्हा 350/10 दिनांक 04/10/2010 को ही प्राप्त हुआ था और थाना प्रभारी ने रोचा. सान्हा 135/10 दिनांक 04/10/10 को प्र0आर0 682 को जांच हेतु दिये थे न कि प्र0आर0 देवेन्द्र सिंह 1013 को। - प्रार्थी राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप के द्वारा चपरासी पद के लिए अनावेदक को पैसा देना बताते है किन्तु यह नहीं बता रहे है कि प्रार्थी कौन सा विभाग के लिए कब विज्ञापन निकला था. कौन कौन सी दैनिक पेपर में और कब निकला था .कब कौन सी तारीख में उक्त विभाग में चपरासी पद के लिए आवेदन प्रार्थी के द्वारा दिया गया है उपरोक्त तथ्यों को साक्ष्य के रूप में संकलित करना था।
- अनावेदक असगर अली के द्वारा दिये गये कथन और कथन के समर्थन में दिये गये वन विभाग में हुये गबन (2करोड 41 लाख) संबंधी दस्तावेजी साक्ष्य (सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त) को पेश किया था, उसका अध्ययन और विश्लेशण करता तो धारा 420 ता.हि. का अपराध ही नहीं बनता।
- प्रकरण के प्रार्थी राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप, गवाह, सागर सिंह पिता रामनरेश सिंह, सुरेश अग्रवाल है । प्रार्थी एवं 2 गवाह वनविभाग के स्थायी काम करने वाले है और सुरेश अग्रवाल धर्मकांटा के साथ कोयला का व्यापारी है। साक्षी सागर सिह एवं प्रार्थी राजू कश्यप उर्फ सत्यनारायण के रिश्तेदार मामा रामेश्वर जगदीश शिवनारायण चंद्रवंशी, आदि के नाम से विभिन्न व्हाचर्स के माध्यम से खेत बनाने स्थल सफाई ,छड सिमेंट ,गिट्टी आदि के एक करोड़ रुपये के व्हाउचर्स है।
आवेदक राजू कश्यप दिनांक 09/01/10 से 24/04/10 तक स्वयं के टेक्टर से खेत बनाने का कार्य वनविभाग से किया है विभिन्न व्हाउचर्स से मात्र चार माह में 7 लाख 59 हजार 650 रूपये प्राप्त किया है।इतना रकम मात्र 4 माह में प्राप्त करने वाला व्यक्ति क्या बेरोजगार व गरीब हो सकता है। इसी तरह कार्य विगत 3-4 साल से कर रहा है। उक्त रकम प्राप्त दस्तावेज के अनुसार है दस्तावेज प्राप्त होने पर और भी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। - वन परिक्षेत्र लोरमी, अचानकमार ,रतनपुर में रेंजर विजय वर्मा और संजय त्रिपाठी / पदस्थ है, इनके कार्यकाल में अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बाघ को बचाने एवं बैगा अनु जन जाति के आर्थिक सामाजिक विकास व उत्थान के उद्देश्य से वनग्राम जल्दा के 74 बैगा परिवारों को वन एवं पर्यावरण भारत सरकार के पुर्नवास नीति – 2 के तहत 7 करोड 40 लॉख रूपये प्राप्त हुआ है। उपरोक्त विकास कार्य को रेंजर विजय वर्मा व रेंजर संजय त्रिपाठी के द्वारा वन ठेकेदार राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप, सागर सिंह, सुरेश अग्रवाल एवं अन्य 10-15 व्यक्तियों के द्वारा करवाया गया है। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को लाखों रूपये का फायदा हुआ है। उपरोक्त तथ्यों का दस्तावेजी साक्ष्य अनावेदक आरटीआई के तहत प्राप्त कर पेश किया है।
गवाह सागर सिंह के नाम से वन परिक्षेत्राधिकारी संजय त्रिपाठी रतनपुर ने वित्त वर्ष 2010-11 मे हरितिमा रोपड़ी दोलगी लोरमी से ग्राफटेड आंवला का पौधा वर्मी खाद एवं अन्य बीज सागर टेडर्स से फेंसिंग पोल, रासायनिक, उर्वरक, कीटनाशक, छड़, गिट्टी, सिमेंट का लगभग बीस लाख रुपये (20,00000) का भुगतान पाप्त किया है। - अनावेदक एवं उसका सहयोगी अनिल वैष्णव के द्वारा आरटीआई के तहत प्रत्येक कार्य की जानकारी मांगने एवं आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज का भौतिक सत्यापन कर करीबन दो करोड़ 41 लाख रूपये का गबन साबित कर दिया है। इस कारण रेंजर विजय वर्मा और रेंजर संजय त्रिपाठी गबन उजागर न हो बौखला गये और क्षुब्ध होकर उपरोक्त व्यक्तियों के साथ प्लान बनाकर दिनांक 05/02/11 को ग्राम- बरगन प्राथ.शाला में सागर सिंह अपने घरेलु नौकर ईश्वरी व लोरमी थाना के कन्हैया से अनावेदक से मारपीट कराये है । जिसकी रिपोर्ट थाना-तखतपुर में अनावेदक ने प्रार्थी बनकर अपराध क. 58/11 धारा 452, 506, 34 ता.हि. पंजीबद्ध करवाया है । जिसमें अनावेदक प्रार्थी ने रेंजर विजय वर्मा, सागर सिंह, ईश्वरी यादव, कन्हैया के विरूद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कराया है। इसी रंजीश वश दिनांक 18/03/11 को थाना लोरमी में प्रकरण का प्रार्थी राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप ने अनावेदक के विरूद्ध अप.क. 73/11 धारा, 420 ता.हि का रिपोर्ट दर्ज कराये है एवं दिनांक 29/03/11 को पुनः लोरमी थाना में इसी प्रकरण के गवाह के द्वारा अनावेदक के विरूद्ध अ.क. 87/11 धारा 294, 506 ता.हि. का अपराध पंजीबद्ध कराये हैं।
संपूर्ण जांच में यह पाया गया कि आरटीआई के तहत अनावेदक असगर अली बैगा विशेष संरक्षित एवं अति पिछड़ी अनु.जनजाति के आर्थिक व सामाजिक उत्थान व विकास हेतु एवं राष्ट्रीय पशु बाघ को बचाने के लिए भारत शासन से 7 करोड़ चालीस लाख रूपये वनविभाग रेंज लोरमी को दिया गया है । उसके तहत रेंजर विजय वर्मा, रेंजर संजय त्रिपाठी ने उपरोक्त व्यक्तियों से कार्य करवाये है। उपरोक्त प्रत्येक किये गये कार्यों की जानकारी आरटीआई के तहत मांगने से एवं आरटीआई के तहत प्राप्त कैश बुक व्हाउचर की प्रति से 2 करोड़ 41 लाख का गबन व्यक्तिगत भौतिक सत्यापन कर उजागर कर रहा है। इसी गबन को उजागर होने से दबाने के लिए दोनो रेंजरों ने 15-20 अन्य व्यक्ति जो वनविभाग में हमेशा कार्य करते है उनके साथ मिलकर एक राय होकर अनावेदक के विरुद्ध अपराध धारा 420 ता.हि. एवं 294, 506 ता.हि. व मारपीट करवाये है जिसकी रिपोर्ट जो 452,506, 34 ता. हि. का अपराध दर्ज कराये है ।
इस प्रकरण का गवाह सागर सिंह पिता रामनरेश सिंह एक रिटा. प्र0आर0 का पुत्र है जो पुलिस लाईन लोरमी के पीछे में रहता है जिनका मधुर संबंध प्रधान आरक्षक देवेन्द्र सिंह और सहायक उप निरिक्षक अखिल पाण्डेय के साथ है इन्होने भी वनविभाग के रेंज आफिसर विजय वर्मा एवं सागर सिंह के साथ सांठगांठ कर 2 करोड़ 41 लाख रूपये के गबन को दबाने हेतु झुठा प्रकरण (1) अप0क0 73/11 धारा 420 ता.हि. दि. 18/03/11 (2) अ0क0 87/11 धारा 294,506 ता.हि. दि. 29/03/11 को पंजीबद्ध किये हैं।
इसी सांठगांठ के कारण प्रकरण के प्रार्थी सत्यनारायण उर्फ राजू कश्यप गवाह सागर सिंह, सुरेश अग्रवाल शिकायत जांच में बार बार बुलाने पर भी सहयोग नही करते हुये बयान हेतु शिकायत प्राप्त दिनांक 25/3/11 से आज दिनांक तक (5 माह) तक हाजिर नहीं हुए प्रार्थी सत्यनारायण उर्फ राजू कश्यप नोटिस पर लिखकर दिया है कि मेरा पुर्व में बयान हो गया है मैं बार बार बयान नही दूंगा नोटिस भेजकर मेरे और मेरे परिवार को परेशान न किया जाए । इतनी हिम्मत व साहस बिना पुलिस के सहयोग से आम जनता में नही होती है। - प्रकरण की केश डायरी का अनावेदक के द्वारा दि. 25/03/11 शिकायत करने पर थाना लोरमी से प्राप्त कर मेरे द्वारा अध्ययन कर रफ में बिन्दुवार नोट किया गया था और श्रीमान के समक्ष पेश किया गया था और थाना प्रभारी को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि प्रकरण में आगे विवेचना ना करें किन्तु सहा.उपनि. अखिल पांडेय प्र0आर0 1013 देवेन्द्र सिंह के द्वारा 26/03/11 व 29/5/11 को विवेचना दर्ज की गई हैं। प्रार्थी, गवाह का बयान बदल दिया गया है।
संपूर्ण जांच से प्र0आर0 1013 देवेन्द्र सिंह सहा उपनि. अखिल पांडेय थाना प्रभारी थी.एक्का के विरूद्ध अपराध क. 73/11 धारा 420 ता.हि. व अपराध क. 87/11 धारा 294, 506 ता.हि. प्रकरण दर्ज करना दस्तावेजी साक्ष्य का अवलोकन और प्रार्थी एवं गवाहों को जांच में सहयोग नही कराने देने पेश नही करने के कारण झुठा व मनगढंत केश दर्ज करना पाया जाता है क्योंकि प्रकरण का प्रार्थी राजू उर्फ सत्यनारायण कश्यप किसी तरह का बेरोजगार और गरीब नहीं है जो 4 माह में 7 लाख रूपया वनविभाग से कमा रहा है तो साल भर में कितना कमा सकता है। विवेचक की कार्यवाही पुलिस आचरण संहिता के अनुसार घोर आपतिजनक, दुर्भावना व वैदान्ति पूर्वक अपराध दर्ज कर पुलिस विभाग का छवि धुमिल करने का स्पष्ट सबुत पाया गया है।
श्रीमान जी के समक्ष जांच रिपोर्ट पेश करते हुये उपरोक्त कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा की जाती है एवं प्रकरण में ख़रीजी भेजने की अनुशंसा की जाती है। उक्त जांच रिपोर्ट एसडीओपी कोटा जिला बिलासपुर द्वार पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को सौंपी गई।
(उक्त सारी बातें SDOP कोटा की जांच रिपोर्ट की हैं)
उक्त संबंध में आगे की कार्यवाही के विषय में जानकारी को लेकर अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जा रहा हैं।
मामले का पूरा दस्तावेजी साक्ष्य दैनिक भारत-भास्कर रायपुर के पास सुरक्षित हैं।
(पूरे भ्रष्टाचार और जांच की और भी स्पेशल रिपोर्ट आगामी अंक में…)
चंद्रमोहन सिंह पुलिस अधीक्षक मुंगेली ने कहा कि “जब मैं मुंगेली जिले का चार्ज लिया था तो पहली बार क्राइम मीटिंग बुलाई थी तो उसमें पेंडिंग प्रकरण की जब स्टडी कर रहे थे तब ये मामला सबसे पुराना प्रकरण 2011 का हैं मेरे संज्ञान में आया था, इसमें 2 बार खात्मा के लिए भेजा गया था तो न्यायालय ने इसमें स्वीकृति नहीं दी हैं, तो यह फाईल दुबारा ओपन हो रही हैं, इस फाईल की प्रॉपर स्टडी करना बाकी हैं, सम्बंधित थाना क्षेत्र का प्रभारी भी बदल गया हैं इसमें आदेश दिया गया हैं कि इस प्रकरण में जल्द से जल्द नतीजे पर लेकर जाएं।“