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कलेक्टर कार्यालय में नियमों-अधिनियमों की उड़ रही धज्जियां…RTI के तहत नहीं मिल रही जानकारी…क्या जानकारी देने से खुल सकता हैं कोई राज…? पहले 2-3 बार व्हाट्सएप ग्रुप से भाग गए थे पूर्व कलेक्टर…अब ट्रांसफर के बाद ग्रुप में रहकर कहीं भेद जानने का प्रयास तो नहीं…? इसी कलेक्टर से जुड़ी हैं जानकारी…

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स्वतंत्र तिवारी – 9752023023

रायपुर-मुंगेली/ मुंगेली कलेक्टर कार्यालय में सूचना के अधिकार की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, कलेक्टर कार्यालय में जनसूचना अधिकारी के समक्ष किये गए आवेदन के पश्चात जनसूचना अधिकारी द्वारा जानकारी प्रदान करने संबंधित शाखा, अधिकारी या कर्मचारी को पत्र प्रेषित कर दिया गया, साथ ही इसकी प्रतिलिपि आवेदक को भी दी गई। सूचना के अधिकार के तहत कलेक्टर कार्यालय में दिनांक 31.01.22 को आवेदन किया गया था, परंतु सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन के तीस दिनों के भीतर कलेक्टर कार्यालय के जनसूचना अधिकारी के द्वारा आवेदक को जानकारी नहीं दी गई, कारण पता करने पर मालूम हुआ कि आवेदन को संबंधित अधिकारी, शाखा में प्रेषित कर दिया गया था, वहीं से जानकारी अप्राप्त हैं जिससे जानकारी नहीं दिया गया। जानकारी न मिलने के बाद आवेदक द्वारा मुंगेली कलेक्टर कार्यालय में प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष दिनांक 10.03.22 को प्रथम अपील किया गया, परंतु आज दिनांक तक जानकारी नहीं दी गई हैं। हालांकि प्रथम अपील के बाद भी निर्धारित समय में जानकारी न मिलने पर द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में किया जा चुका हैं। सामान्यतः किसी विभाग में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी जाती हैं तो उनके द्वारा जानकारी भ्रष्टाचार के उजागर होने के भय के चलते कई बार जानकारी नहीं दी जाती, साथ ही कई कारण भी होते हैं, परंतु जिले के सबसे बड़े कार्यालय कलेक्टर कार्यालय द्वारा ही अगर किसी नियमों-अधिनियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाए तो इसे क्या कहेंगे ? क्या कलेक्टर कार्यालय के RTI शाखा के संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को किसी बात का डर नहीं हैं ? या जानकारी देने से कोई मना कर रहा हैं ? या जानकारी देने से किसी मामले का खुलासा होने की संभावना हैं ? यह सभी बातें विचारणीय हैं, आपको बता दे कि आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण और जनहित से जुड़ी हुई हैं। कलेक्टर कार्यालय में बैठ ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाले कुछ तथाकथित अधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी और नियमों की अनदेखी कई संदेहों को जन्म दे रही हैं।
आपको बता दे कि जिला बनने के बाद से ही मुंगेली जिले के पत्रकारों और अधिकारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था जिसमें जिले के प्रमुख अधिकारियों, कलेक्टरों, पुलिस अधिकारियों और पत्रकारों को जोड़ा गया था, जिसमें एक पूर्व कलेक्टर को भी जोड़ा गया था परंतु वे 2-3 बार ग्रुप से लेफ्ट हो गये, मुंगेली में अपने कलेक्टर कार्यकाल के दौरान वे व्हाट्सएप ग्रुप में कभी नहीं जुड़े, बाद में जब उनका ट्रांसफर हुआ तो वे खुद ग्रुप में जुड़ने लालायित हो उठे और पत्रकारों को बोल ग्रुप में जुड़ गए। अपने कार्यकाल के दौरान पत्रकारों के व्हाट्सएप ग्रुप से भागने वाले इस पूर्व कलेक्टर के ट्रांसफर होने के बाद इस ग्रुप में जुड़ने की मंशा रखना और जुड़ भी जाने से अधिकांश पत्रकारों को यह बात हजम नहीं हुई, पत्रकार यह बात सोचने मजबूर हो गए, पत्रकारों के काफी इन्वेस्टिगेशन के बाद कुछ खोजी पत्रकारों को यह बात मालूम चला कि उस पूर्व कलेक्टर ने अपने कार्यकाल के दौरान इस ऐसा आदेश कर दिया था जिसके खिलाफ कभी भी न्यायालयीन प्रक्रिया अपनाई जा सकती थी, जो सुप्रीम कोर्ट तक के दिशा-निर्देशों, आदेशों को भी चैलेंज करता हैं, हालांकि इसकी तथ्यात्मक जानकारी एकत्र कर इसकी और भी जांच और पुष्टि की जा रही हैं, इस बात की भनक पूर्व कलेक्टर को भी लग गई थी जिसके चलते वे मुंगेली के इस पत्रकारों और अधिकारियों के ग्रुप में करीब 3 बार भागने/लेफ्ट होने के बाद और ट्रांसफर हो जाने के बाद भी इस ग्रुप में जुड़ यहाँ की गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए हैं। हालांकि कोई भी व्यक्ति किसी ग्रुप में रहना चाहता हैं या नहीं, ये उनका व्यक्तिगत विचार या इच्छा हैं परंतु अपने कार्यक्षेत्र/पदस्थापना स्थल में रहने के दौरान लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के व्हाट्सएप ग्रुप से परहेज करें और ट्रांसफर उपरांत उसी ग्रुप में जुड़ कर एक्टिव रहे तो ऐसे में इसका क्या अर्थ निकाला जाए ? पत्रकारों की माने तो सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई महत्वपूर्ण जानकारी इसी पूर्व कलेक्टर से संबंधित हैं।
सूचना के अधिकार तहत जानकारी न देने के संबंध में कलेक्टर राहुल देव से चर्चा करने पर उनके द्वारा जल्द ही जानकारी प्रदान करने का आश्वासन दिया गया।