मुंगेली/ एक समय था जब मुंगेली ‘दानदाताओं की नगरी’ के नाम से जाना जाता था परंतु ऐसा लगता हैं कि वर्तमान समय में दानदाता विलुप्त से हो गए हैं। मुंगेली में धनाढ्य लोगों की कमी नहीं हैं, जिनके पूर्वजों ने मुंगेली को ‘दानवीरों की भूमि’ की संज्ञा दिलाई, लेकिन आज उनके कुछ वंशज ऐसे हैं जो ‘दान’ की परिभाषा से अनभिज्ञ हैं और स्वार्थी हो गए हैं। वर्तमान समय में मुंगेली में एक नई परंपरा की शुरुआत हो चुकी हैं जहां ऐसे भी व्यक्ति हैं जो किसी भी क्षेत्र से जुड़ें हो यदि उन्हें किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि या अतिथि बनना हैं, मंच में बैठने के बहुत शौकीन हैं, माला पहनने और स्वागत कराने के बेहद इच्छुक हैं तो होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजकों से एक समझौता किया जाता हैं जिसमें अतिथि के अनुसार बोली लगती हैं, और आमंत्रण कार्डो या बैनरों में,,, दिए गए चंदा, दान के हिसाब से नाम और फ़ोटो रहता हैं। हम मानते हैं कि कार्यक्रमों के लिए फंडिंग की आवश्यकता होती हैं इसीलिए ऐसे अतिथियों का चयन भी किया जाता हैं जिससे आर्थिक मदद मिल सके, परंतु अतिथि बनने के शौकीनों, जो कि राजनीति से जुड़े हैं, धनाढ्य हैं, कुछ तथाकथित लोग जो अवैध कार्य में लिप्त भी रहते हैं,,, ऐसे लोगों को चाहिए कि वे कार्यक्रमों में आर्थिक मदद करने, चंदा बांटने के अलावा समय-समय पर ऐसे बीमार गरीब बच्चों और असहायों की आर्थिक मदद भी करें। मुंगेली में बहुत सक्षम लोग हैं जो इस बच्ची भावना यादव के ईलाज के लिए सामने आ सकते थे परंतु उन्हें जहां प्रत्यक्ष लाभ होगा वहां वे खर्च करने की सोचते हैं। बहरहाल बच्ची के जल्द स्वस्थ होने की हम सभी कामना करते हैं।
आपको बता दें कि मुंगेली के ग्राम केसतरा निवासी 13 वर्षीय भावना यादव विगत दो वर्षो से बिस्तर पर है। डॉक्टरों का कहना हैं की इनके दिमाग में सूजन हैं, जिसका ईलाज छत्तीसगढ़ से बाहर ही संभव हैं। आपको बता दे कि यह बच्ची हिलती डुलती भी नहीं, पुरे शरीर में सिर्फ गले में हल्की सी हलचल कर पाती हैं और पुरा शरीर सुन्न रहता हैं, आँखें चौबीस घंटे खुली रहती है, सोचनेंं समझनें बोलनें की शक्ति बिल्कुल नही है। भोजन करनें के लिए नाक में पाइप लगा है, जिससे भोजन तरल पदार्थ के रुप में दिया जाता है। इस बच्ची के पिता दो वर्षो में करीब 15 लाख से उपर खर्च कर चुके हैं, साथ ही प्रदेश के लगभग अस्पतालों का चक्कर लगा चुके हैं पर कुछ फर्क नहीं पड़ा, जिससे बच्ची को अब घर पर ही रखे हुए हैं, फिर भी हर माह 15-20 हजार रूपये का खर्च बच्ची के लिए लगता हैं।
जानकारी के मुताबिक इस मासूम बच्ची भावना के पिता राजेश हर सक्षम अधिकारी और राजनेता के पास अपनी बच्ची के लिए गुहार लगा चुके हैं पर किसी ने कोई मदद नहीं की। व्यक्तिगत रूप में कुछ लोगों ने थोड़ी बहुत मदद जरूर की हैं। बच्ची के पिता ने अपनी पूरी पुंजी अपनी बच्ची को ठीक करने लगा दी अब वो बहुत परेशान हैं कि आगे इस बच्ची का इलाज कैसे होगा ? ऐसे में मुंगेली की सामाजिक संस्था ‘प्रयास’ के सामने जब इस बीमार मासूम बच्ची भावना की बात पहुंची तो प्रयास संस्था के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों ने तत्काल उस बच्ची के स्वास्थ्य के लिए पूरी ताकत झोंक दी, जानकारी मिली हैं कि कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी प्रयास संस्था के निवेदन पर बच्ची के घर उसे देखने गए और आश्वासन भी दिए परंतु दुबारा वहां झांकने नहीं गए।
ऐसे में प्रयास संस्था के एक ट्विट ने कमाल कर दिया। छतीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल को प्रयास अ स्माल स्टेप फाउंडेशन ने एक संवेदना भरा ट्वीट किया गया, जिसका असर ये हुआ की मात्र 6 घंटे के अंदर स्वास्थय मंत्री टी.एस बाबा ने उक्त मामले को संज्ञान मे लेते हुए बच्ची के बेहतर इलाज के लिए बच्ची को स्वास्थ्य स्टाफ द्वारा बच्ची के बेहतर इलाज हेतु डी.के.एस. रायपुर हास्पिटल पहुंचाया गया। प्रयास संस्था ने मुख्यमंत्री भुपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस बाबा का आभार व्यक्त किया हैं।
बच्ची भावना यादव को जब स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इलाज के लिए रायपुर हॉस्पिटल बुलावा आया तो प्रयास संस्था के द्वारा हॉस्पिटल के अलावा दैनिक खर्च के लिए 31,000 रुपये का सहयोग किया गया। प्रयास संस्था ने भी बच्ची भावना के जल्द स्वस्थ होने की कामना की हैं।
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