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राहुल आज और सोनिया ठीक होने के बाद जाएंगी ईडी ऑफिस : तन्खा

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रायपुर। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने रविवार को भाजपा और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब से सत्ता में भाजपा की नरेंद्र मोदी केंद्र की सरकार आई है तब से केवल गांधी परिवार को ही टारगेट किया जा रहा हैं। लेकिन अब कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी। ईडी की द्वेषपूर्ण कार्यवाही का कांग्रेस विरोध करती है और इसी का सामना करने के लिए कल राहुल गांधी ईडी दफ्तर जाएंगे और जैसे ही सोनिया गांधी की तबीयत ठीक हो जाएगी वे भी ईडी का सामना करने ईडी आॅफिस जाएंगी।
तन्खा ने कहा कि हम हर गलत का विरोध करते है। गलत का विरोध नहीं करना मतलब गलत को स्वीकार करना है। ईडी की द्वेषपूर्ण कार्यवाही का कांग्रेस विरोध करती है। भाजपा ईडी, सीबीआई, आईबी के सहारे से सरकार चलाना चाहती है। कांग्रेस इसका हर स्तर पर विरोध करेगी। ईडी केंद्र सरकार का पुलिस स्टेशन बन गई है, जिसे मन किया बुला लो, जिसे मन किया छोड़ दो। मैं नहीं कहता कि इमरजेंसी सही चीज थी, लेकिन वो भी कानूनी तरीके से लगाई गई थी। उन्होंने कहा, राजनीतिक द्वेष के कारण केवल गांधी परिवार को ही टारगेट किया जाता है। सब कुछ वैसे का ही वैसा है। गांधी परिवार को तंग करना है। उनको दोषी दिखाना है। उनको छवि धूमिल करना है। उनके विरूद्ध षड?ंत्र किया जा रहा है। बीजेपी का यह तरीका है कि पहले लोगों को प्रेशर करो और जब सब बीजेपी ज्वाइन कर लेते है तो सब ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि क्या पूरे विपक्ष पर ही ईडी केस बनाएगी? क्या बीजेपी का कोई नेता केस बनाने लायक नहीं है? क्या देश को विभाजित करने की कोशिश की जा रही है? क्या प्रजातंत्र को पराजित करने की कोशिश हो रही है? कांग्रेस इसका विरोध करती है।
विवेक तन्खा ने कहा नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, पुरूषोत्तम टंडन, आचार्य नरेन्द्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं द्वारा वर्ष 1937 में की गई, ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जा सके। 1942 से 1945 तक अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसे महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के लिये एक त्रासदी के रूप में वर्णित किया था।
इस समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया, जिसके परिणाम स्वरूप इसके द्वारा देय बकाया राशि 90 करोड़ रूपए तक पहुंच गई। इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिये कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रुपए ऋण दिया। इसमें महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात यह है कि इस 90 करोड़ रूपए की राशि में से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रूपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिये उपयोग किए और बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई।
बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी, जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को आपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं, ऐसा वह विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं। यह सर्वथा अस्वीकार्य है।
किसी भी राजनीतिक दल द्वारा ऋण देना भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है। फिर, कांग्रेस पार्टी द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (1937 से कांग्रेस पार्टी से निकटता से जुड़ी और कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करने वाली कंपनी) को समय-समय पर कुल 90 करोड़ रुपए का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है? इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दशार्या गया था, जिसका विधिवत लेखा-जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया।
इस मामले में कोई एफआईआर नहीं है। एक शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। 2015 में केस बंद भी कर दिया गया था। क्लोजर रिपोर्ट को साल 2018-19 में री-ओपन किया गया और अब समन जारी किया जा रहा है जिसका कांग्रेस विरोध करती है। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, ईडी और केंदीय एजेंसियों से केंद्र सरकार डराने का काम करती है। लेकिन विपक्ष सरकार के सामने झुकने वाला नहीं है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन परास्त नहीं होगा।