रायपुर। जीएसटी अधिनियम और नियमों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दे जिन्होंने जीएसटी कराधान प्रणाली को काफी जटिल बना दिया है को लेकर कन्फेडरेशन आॅफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष विवेक जौहरी से मुलाकात की और जीएसटी पर एक व्यापक ज्ञापन सौंपते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के व्यापार करने में आसानी के उद्देश्य के अनुसरण में देश में जीएसटी कर ढांचे को सुव्यवस्थित करने का आह्वान किया। कैट के प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय मंत्री, कैट की जीएसटी कमेटी की अध्यक्ष, कैट कार्यालय सचिव सहित अन्य लोग उपस्थित थे। बैठक में सदस्य, जीएसटी और अन्य भी उपस्थित थे।
विवेक जौहरी ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए गए मुद्दों की सराहना की और कहा कि सरकार जीएसटी व्यवस्था के तहत व्यापार करने में आसानी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, कर चोरों के साथ कोई सहानुभूति नहीं होगी। उन्होंने कैट के माध्यम से व्यापारियों से जीएसटी के तहत समय पर अनुपालन का पालन करने की अपील की और समय समय पर व्यापारियों की वास्तविक समस्याओं का समाधान भी करने का आश्वासन दिया।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि जीएसटी के मुद्दों पर चर्चा करते हुए, कैट ने कहा कि देश भर में करदाताओं की संख्या बढ़ाने की व्यापक गुंजाइश है, लेकिन इसके लिए जीएसटी कराधान प्रणाली को युक्तिसंगत और सरल बनाने की आवश्यकता है। देश भर के व्यापारिक संगठन कर के दायरे को बढ़ाने के लिए सरकार के साथ हाथ मिलाने को इच्छुक हैं और इस तरह केंद्र और राज्य दोनों सरकारे अधिक राजस्व प्राप्त कर सकते है। उन्होंने सुझाव दिया कि जीएसटी के कार्यान्वयन की निगरानी और व्यापारियों की शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए, प्रत्येक जिले में कर अधिकारियों और व्यापार प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए संयुक्त जीएसटी समिति बनाना उचित होगा। कैट ने आगे कहा कि जीएसटी को लागू हुए अब लगभग 5 वर्ष हो चुके हैं और सरकार और करदाताओं दोनों ने जीएसटी कर प्रणाली के लाभ और खामियों का अनुभव किया है। यह उचित होगा यदि जीएसटी परिषद इसे सबसे स्वीकार्य कर प्रणाली बनाने के लिए हितधारकों के परामर्श से अधिनियम और कानून एवं नियमों की नए सिरे से समीक्षा करे।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि कैट ने जीएसटी के कुछ प्रमुख और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि अभी तक न तो केंद्र स्तर पर कोई अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापारियों को इस हद तक असुविधा हुई है कि किसी पर भी एक छोटी सी गलती या चूक के लिए भी व्यापारियों को कानूनी सहारा लेना पड़ता है जो महंगा और समय लेने वाला भी है। इसी तरह एक राष्ट्रीय अग्रिम शासन प्राधिकरण की अनुपस्थिति में, एक ही वस्तु पर अलग-अलग कर दरें लगाई जा रही हैं जिससे जीएसटी की भावना विकृत हो रही है। इसलिए इन दोनों प्राधिकरणों का जल्द से जल्द गठन किया जाना चाहिए। पंजीकरण रद्द करना और बैंक खाते की अस्थायी कुर्की मनमानी है और इसे रोका जाना चाहिए। चालान की तिथि कर के भुगतान का दस्तावेज होना चाहिए न कि फॉर्म जीएसटीआर-3बी, टैक्स न मिलने और न चुकाने पर देर से टैक्स चुकाने पर ब्याज की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत की जाए.फॉर्म जीएसटीआर-3बी, जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-9, जीएसटीआर-9सी आदि में जहां कहीं भी यह वाक्यांश गैर-जीएसटी आपूर्ति अंकित है उसे गैर-कर योग्य आपूर्ति से बदला जाए। उक्त नोटिस के संबंध में सभी कार्यवाही सीजीएसटी अधिनियम की धारा 74 की उप-धारा (8) और (11) से निष्कर्ष निकाला गया माना जाएगा।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि कैट ने एक हजार रुपये से कम की लागत वाले टेक्सटाइल और फुटवियर पर 5 प्रतिशत टैक्स और आॅटो स्पेयर पार्ट्स और पेय वस्तुओं सहित अन्य वस्तुओं पर 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब का पुन: वर्गीकरण पर जोर दिया। कैट ने यह भी कहा कि ब्रांडेड खाद्य उत्पादों पर 5 प्रतिशत कर और गैर-ब्रांडेड खाद्य उत्पादों पर शून्य कर की दर से भ्रम पैदा हो रहा है और इसलिए चूंकि ये वस्तुएं आवश्यक प्रकृति की हैं, इसलिए इन्हें शून्य कर या 5 प्रतिशत कर की दर से समान स्लैब में रखा जा सकता है। अन्य मदों में आइसक्रीम पर दर में कमी और आइसक्रीम निमार्ताओं को कंपोजिशन योजना का लाभ प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा आम के गूदे पर 5 प्रतिशत के तहत कर लगाने के संबंध में स्पष्टीकरण और बिना तले हुए फ्रायम्स के रेट के संबंध में स्पष्टीकरण अपेक्षित है।