नई दिल्ली
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने देशभर में मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को निर्देशित किया है। इस पत्र का उद्देश्य मदरसों और बच्चों के संवैधानिक अधिकारों के बीच उत्पन्न हो रहे टकराव को समाप्त करना है।
पत्र की मुख्य बातें
प्रियंक कानूनगो ने पत्र में उल्लेख किया है कि NCPCR, 2005 के बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और इस संदर्भ में विभिन्न मुद्दों की निगरानी करना है। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग को 2015 के बाल न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और 2009 के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के सही और प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करने का अधिकार प्राप्त है। पत्र में यह बताया गया है कि RTE अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को समान शिक्षा का अवसर प्रदान करना है, लेकिन मदरसों की स्थिति के कारण बच्चों के मौलिक अधिकारों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के बीच टकराव उत्पन्न हो गया है। धार्मिक संस्थानों को RTE अधिनियम से छूट मिलने के कारण कई बच्चे औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर हो गए हैं, जिससे उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
NCPCR की रिपोर्ट का महत्व
इस पत्र के साथ NCPCR ने "गार्जियंस ऑफ फेथ या ओप्रेसर्स ऑफ राइट्स: कंस्टीट्यूशनल राइट्स ऑफ चिल्ड्रन वर्सेस मदरसा" शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में कुल 11 अध्याय शामिल हैं, जो मदरसों के इतिहास, उनकी कार्यप्रणाली और बच्चों के शिक्षा अधिकारों के उल्लंघन के विभिन्न पहलुओं को छूते हैं। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल एक मदरसा बोर्ड का गठन या UDISE कोड प्राप्त करना यह सुनिश्चित नहीं करता कि मदरसे RTE अधिनियम की शर्तों का पालन कर रहे हैं।
वित्तीय सहायता पर रोक
NCPCR ने सभी राज्यों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य से मिलने वाली वित्तीय सहायता को रोकने और उन्हें बंद करने की सिफारिश की है। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि मदरसा बोर्ड नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, और ऐसे में इनकी गतिविधियों को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
बच्चों के दाखिले की दिशा में सुझाव
पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से बाहर निकालकर स्कूलों में दाखिल कराया जाए। वहीं, मुस्लिम समुदाय के बच्चों को, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या न हों, औपचारिक स्कूलों में दाखिल कराने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। NCPCR का यह प्रयास बच्चों को एक सुरक्षित, स्वस्थ और उत्पादक वातावरण में बढ़ने का अवसर प्रदान करना है। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे देश के निर्माण की प्रक्रिया में प्रभावी ढंग से योगदान कर सकें।
NCPCR की अपेक्षाएँ
इस रिपोर्ट की एक प्रति सभी मुख्य सचिवों के लिए संलग्न की गई है, ताकि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकें। NCPCR की इस पहल का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मदरसों की फंडिंग पर रोक लगाना है। यह कदम न केवल बच्चों के शिक्षा अधिकारों को सशक्त करेगा, बल्कि समाज में समानता और न्याय को भी बढ़ावा देगा। इस प्रकार, NCPCR ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा के अधिकार को बढ़ावा देगी, बल्कि समाज में सामाजिक न्याय और समानता को भी स्थापित करने में सहायक होगी। आयोग की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि बच्चों के भविष्य के लिए उचित और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सभी बच्चों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ मिल सके और वे एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सकें।