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विधानसभ चुनाव से ठीक पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बोला Good bye

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अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को जोरदार झटका लगा है। पार्टी के युवा नेता और कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वे पिछले कुछ समय से नाराज चल रहे थे। उनका आरोप है कि पार्टी में उनके लिए अब कोई काम नहीं रह गया है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि “कांग्रेस में मेरा हाल जैसे नए दूल्हे की नसबंदी करा दी गई हो।” इस घटनाक्रम से पार्टी के अंदर मतभेद और गहरा गया है।
बुधवार को उन्होंने ट्वीटर पर अपने इस्तीफे काे सार्वजनिक करते हुए लिखा, “आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊँगा।”
हार्दिक पटेल ने इस्तीफा देने के थोड़ी देर बाद टि्वटर पर प्रोफाइल फोटो भी बदल लिया। पहले उन्होंने वह फोटो लगा रखा था, जिसमें कांग्रेस चुनाव चिह्न पंजा भी साथ नजर आ रहा था पर मौजूदा फोटो में वह हाथ बांधे नजर आ रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें राहुल गांधी ने खुद कांग्रेस पार्टी में शामिल किया था और 2020 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा था, “मुझे पीसीसी की किसी भी बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाता है, कोई भी निर्णय लेने से पहले वे मुझसे सलाह नहीं लेते हैं, तो इस पद का क्या मतलब है?”
सिर्फ विरोध तक सीमित रह गई कांग्रेस…
यह 21वीं सदी है और भारत विश्व का सबसे युवा देश हैं। देश के युवा एक सक्षम और मज़बूत नेतृत्व चाहते हैं। पिछले लगभग 3 वर्षों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है, जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो, देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो। अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही। भारत देश हो, गुजरात हो या मेरा पटेल समाज हो, हर मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड सिर्फ केंद्र सरकार का विरोध करने तक ही सीमित रहा। कांग्रेस को लगभग देश के हर राज्य में जनता ने रिजेक्ट इसीलिए किया है क्यूंकि कांग्रेस पार्टी और पार्टी का नेतृत्व जनता के समक्ष एक बेसिक रोडमैप तक प्रस्तुत नहीं कर पाया।
मोबाइल में बिजी रहे बड़े नेता…
कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में किसी भी मुद्दे के प्रति गंभीरता की कमी एक बड़ा मुद्दा है। मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा। जब भी देश संकट में था अथवा कांग्रेस को नेतृत्व की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, तो हमारे नेता विदेश में थे। शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे कि गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो। ऐसे में कांग्रेस कैसे अपेक्षा करती है कि गुजरात के लोग उन्हें विकल्प के तौर पर देखेंगे?
सैंडविच में समय देते हैं…
दुख होता है जब हम जैसे कार्यकर्ता अपनी गाड़ी से अपने खर्च पर दिन में 500-600 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, जनता के बीच जाते हैं और फिर देखते हैं कि गुजरात के बड़े नेता तो जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए हुए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं। युवाओं के बीच मैं जब भी गया तो सभी ने एक ही बात कही कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो, जो हर प्रकार से गुज़रातियों का सिर्फ अपमान ही करती है, चाहे वह उद्योग के क्षेत्र में हो, चाहे धार्मिक क्षेत्र में हो, चाहे राजनीति के क्षेत्र से हो। मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने युवाओं का भी भरोसा तोड़ा है, जिसके कारण आज कोई भी युवा कांग्रेस के साथ दिखना भी नहीं चाहता।
कांग्रेस ने गुजरात की जनता के मुद्दों को कमजोर किया…
मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है कि आज गुजरात में हर कोई जानता है कि किस प्रकार कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जानबूझकर गुजरात की जनता के मुद्दों को कमजोर किया है और इसके बदले में स्वयं बड़े आर्थिक फायदे उठाये हैं। राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है परंतु कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का इस प्रकार बिक जाना प्रदेश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है।
मैं गुजरात के लिए कुछ करना चाहता हूं…
राजनीति में सक्रिय हर व्यक्ति का धर्म होता है कि जनता के लिए कार्य करता रहे, लेकिन अफसोस की बात है कि कांग्रेस पार्टी गुजरात की जनता के लिए कुछ अच्छा करना ही नहीं चाहती। इसीलिए जब मैं गुजरात के लिए कुछ करना चाहता था तो पार्टी ने सिर्फ मेरा तिरस्कार ही किया। मैंने सोचा नहीं था कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व हमारे प्रदेश, हमारे समाज और विशेष तौर पर युवाओं के लिए इस प्रकार का द्वेष अपने मन में रखता है।
आज मैं बड़ी हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूँ। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं भी मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में समग्र गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊँगा। जनता से मिले प्रेम का ऋण चुकाने के लिए मैं सदैव प्रयास करता रहूंगा।
हार्दिक के कांग्रेस छोड़ने की क्या है वजहें?:
कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण में डाली बाधी
पार्टी ने 370, सीएए का विरोध किया
शीर्ष नेतृत्व में किसी मुद्दे के प्रति गंभीरता नहीं
देश लंबे समय से इन मुद्दों का हल चाहता था
गुजरात कांग्रेस के बड़े नेता बिक गए हैं- आरोप
कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उनके बीजेपी या फिर आप में जाने की अटकल हैं। साथ ही यह भी सवाल उठ गया है कि विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी छोड़ने से पहले क्या कांग्रेस को नुकसान होगा?