नई दिल्ली। राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ‘चितन शिविर’ में कांग्रेस ने बड़े संगठनात्मक सुधारों का ऐलान किया था जिनमें अधिक से अधिक युवाओं को तरजीह देने की बात भी कही गई थी। हालांकि सूत्रों की मानें तो इससे कांग्रेस के पुराने दिग्गज खासा खुश नजर नहीं आ रहे हैं और उन्होंने चुनावों के लिए एक आयु सीमा तय करने के कांग्रेस के प्लान पर नाखुशी जाहिर की है। पार्टी नेताओं ने मंगलवार को संकेत दिया कि अगस्त-सितंबर में संगठनात्मक चुनावों के बाद ही युवा कोटा और नए पैनल सहित कई आंतरिक सुधारों को लागू किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नए सलाहकार समूह और कार्य समिति में युवा कोटा सहित कुछ नए प्रस्ताव भी संगठनात्मक चुनाव खत्म होने के बाद ही लागू होने की संभावना है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने घोषणा की थी कि कांग्रेस अध्यक्ष के पद को सभी नए नियमों से छूट दी जाएगी, जिसमें एक पदाधिकारी का कार्यकाल पांच साल तय करना शामिल है। लेकिन पार्टी ने सुधारों को लागू करने पर भरोसा जताया। माकन ने कहा, “यह हमारे लिए नव संकल्प और साथ ही दृढ़ संकल्प भी है।” इससे पहले कांग्रेस ने रविवार को ‘बडे सुधारों’ की घोषणा की और यह फैसला किया कि इन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी में एक समग्र कार्यबल का गठन किया जाएगा तथा ‘एक परिवार, एक टिकट’ का फार्मूला लागू होगा। साथ ही, यह शर्त भी जुड़ी होगी कि परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिलेगा, जब उसने संगठन के लिए कम से कम पांच साल काम किया हो।
क्या है कांग्रेस का प्लान?
घटनाक्रम के जानकार लोगों ने कहा कि कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक के नेतृत्व में संगठन की समिति ने चुनाव लड़ने और संगठनात्मक पदों पर 70 वर्ष की आयु सीमा का सुझाव दिया है। भारतीय युवा कांग्रेस ने भी इसे आगे बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दिया है। इसके अलावा अन्य प्रस्तावों में 50 वर्ष या उससे कम उम्र के नेताओं के लिए सभी पार्टी पदों में से आधे को आरक्षित करने और 2024 के लोकसभा चुनावों से, 50% लोकसभा और विधानसभा सीटों को भी इस आयु वर्ग के लिए आरक्षित करना शामिल है।
क्यों विरोध कर रहे हैं वरिष्ठ नेता
ऐसे में जब कांग्रेस ने संगठन और चुनावों में युवा कोटे को मंजूरी दे दी है, तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आयु सीमा का विरोध किया है और तर्क दिया कि कोटा और उम्र सीमा एक साथ नहीं जा सकते। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जब आपके पास पहले से ही कोटा है, तो आयु सीमा रखने का क्या मतलब है? हमें युवा नेताओं का मार्गदर्शन करने के लिए वरिष्ठों की भी आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि विचार-विमर्श के दौरान कई नेताओं को लगा कि उम्र सीमा से पार्टी में युवाओं और अनुभव के बीच संतुलन नहीं बनेगा।
इसके अलावा एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए 50% जाति कोटा लाने के एक अन्य महत्वपूर्ण सुझाव को भी ठुकरा दिया गया। एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कई नेताओं ने तर्क दिया कि 20% आरक्षण का वर्तमान कोटा भी नहीं भरा जाता है, तो इसे बढ़ाने का क्या मतलब है? साथ ही, यह भी महसूस किया गया कि महिला आरक्षण के साथ इस तरह के कोटा से संगठन में सामान्य वर्ग के नेताओं के लिए बहुत कम अवसर बचेगा।”