भारत में अगरबत्ती का प्रचलन प्राचीनकाल से ही जारी है। प्रारंभ में अगरबत्ती की जगह धूप का प्रचलन था। भारत से यह प्रचलन मध्य एशिया, तिब्बत, चीन और जापान में गया। आइये जानते हैं अगरबत्ती के 5 फायदे और 5 नुकसान।
अगरबत्ती जलाने के 5 फायदे
1. अगरबत्ती जलाने के दो प्रयोजन है। पहला यह कि देवताओं के समक्ष अगरबत्ती जलाकर उन्हें प्रसन्न करना और दूसरा यह कि घर में सुगंध को फैलाना जिससे मन शांति महसूस करे।
2. कहते हैं कि अगरबत्ती जलाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर हो जाती है। विशेष प्रकार की सुंगध से मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश हो जाता है। इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है।
3.कहते हैं कि इससे गृहकलह और पितृदोष का भी शमन हो जाता है और घर में शांति एवं समृद्धि बनी रहती है।
4.यदि आपको किसी भी प्रकार का तनाव है या चिंता है तो घर में विशेष प्रकार की सुगंध वाली अगरबत्ती लगाएं। इससे रात में अच्छी नींद भी आती है।
5. कहते हैं कि इस अगरबत्ती लगाने से पारलौकिक या दिव्य शक्तियां आकर्षित होती है और व्यक्ति को उनसे मदद मिलती है।
अगरबत्ती जलाने के 5 नुकसान
1. शोधकर्ताओं के अनुसार अगरबत्ती का धुआं सिगरेट के धुएं से भी खतरनाक होता है। यह हमारे फेंफड़े को खराब करता है। बच्चों के लिए तो यह बहुत ही हानिकारक होता है। खुशबूदार अगरबत्ती को घर के अंदर जलाने से वायु प्रदूषण होता है विशेष रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड।
2. शोधकर्ताओं के अनुसार के अनुसार इस धुएं से कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसे रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं। साउथ चीन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में इस पर शोध हुआ था। इसमें मौजूद केमिकल डीएनए में बदलाव करने के साथ ही शरीर में जलन और कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। ब्रिटिश लंग फाउंडेशन के चिकित्सीय सलाहकार डॉक्टर निक रॉबिन्सन ने अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि धूप के धुंए सहित कई प्रकार के धुंए जहरीले हो सकते हैं। एक अन्य शोधानुसार अगरबत्ती एवं धूपबत्ती के धुएं में पाए जाने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) की वजह से अस्थमा, कैंसर, सरदर्द एवं खांसी की गुंजाइश कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल, अगरबत्तियों को बनाने में कई तरह के तेल, रसायन, लकड़ी, नकली सेंट और दूसरी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। अगरबत्तियों में बेंजीन, ब्यूटाडाइन और बेन्जो पाइरेन की खतरनाक मात्रा होती है। इन रसायनों की वजह से ल्यूकेमिया और फेफड़ों, त्वचा, ब्लाडर का कैंसर हो सकता है।
3. भारतीय सनातन परंपराओं में बांस का जलाना निषिद्ध है। कहा जाता है की यदि बांस की लकड़ी से चूल्हा जलाया गया तो वंश नष्ट होने से कोई रोक नहीं सकता। अगरबत्ती में बांस का उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि प्राचीनकाल में बांस की उपयोगिता के चलते इसे जलाने से मना किया गया होगा।
4. हालांकि वैज्ञानिकों अनुसार बांस को जलाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। अगरबत्ती बांस की सींक के केमिकल पदार्थो का लेप करके बनाई जाती है। इसमें नकली सेंट मिलाया जाता है। इसके जलने पर बांस भी जलता है और सेंट भी। बांस में लेड एवं भारी मेटल होता है। दोनों पदाथों के जलने से हानीकारक तत्व श्वास के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो कि भारी नुकसान दायक होते हैं।
5.ऐसी मान्यता भी है कि बांस जलाने से भाग्य का नाश हो जाता है। बांस का होना भाग्यवर्धक है लेकिन उसे जलाने से दुर्भाग्य घटित होता है। फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं। माना जाता है कि बांस जलाने से पितृदोष लगता है। माना जाता है कि बांस जलाने से पितृदोष लगता है। अगरबत्ती बांस की बनी होती है अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता। गवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे। भारतीय वास्तु विज्ञान में भी बांस को शुभ माना गया है। शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मण्डप बनाने के पीछे भी यही कारण है। अत: बांस को जलाना शुभ नहीं होता। ऐसा भी माना जाता है कि बांस का पौधा जहां होता है वहां बुरी आत्माएं नहीं आती हैं।